और खु़दा ही ने तुम लोगों को (पहले पहल) मिट्टी से पैदा किया फिर नतफ़े से
फिर तुमको जोड़ा (नर मादा) बनाया और बग़ैर उसके इल्म (इजाज़त) के न कोई औरत
हमेला होती है और न जनती है और न किसी शख़्स की उम्र में ज़्यादती होती है
और न किसी की उम्र से कमी की जाती है मगर वह किताब (लौहे महफूज़) में
(ज़रूर) है बेशक ये बात खु़दा पर बहुत ही आसान है (11)
(उसकी कु़दरत देखो) दो समन्दर बावजूद मिल जाने के यकसाँ नहीं हो जाते ये
(एक तो) मीठा खु़श ज़ाएका कि उसका पीना सुवारत है और ये (दूसरा) खारी कडुवा
है और (इस इख़तेलाफ पर भी) तुम लोग दोनों से (मछली का) तरो ताज़ा गोश्त
(यकसाँ) खाते हो और (अपने लिए ज़ेवरात (मोती वग़ैरह) निकालते हो जिन्हें
तुम पहनते हो और तुम देखते हो कि कश्तियां दरिया में (पानी को) फाड़ती चली
जाती हैं ताकि उसके फज़्ल (व करम तिजारत) की तलाश करो और ताकि तुम लोग
शुक्र करो (12)
वही रात को (बढ़ा के) दिन में दाखि़ल करता है (तो रात बढ़ जाती है) और
वही दिन को (बढ़ा के) रात में दाखि़ल करता है (तो दिन बढ़ जाता है और) उसी
ने सूरज और चाँद को अपना मुतीइ बना रखा है कि हर एक अपने (अपने) मुअय्यन
(तय) वक़्त पर चला करता है वही खु़दा तुम्हारा परवरदिगार है उसी की सलतनत
है और उसे छोड़कर जिन माबूदों को तुम पुकारते हो वह छुवारों की गुठली की
झिल्ली के बराबर भी तो इख़तेयार नहीं रखते (13)
अगर तुम उनको पुकारो तो वह तुम्हारी पुकार को सुनते नहीं अगर (बिफ़रज़े
मुहाल) सुनों भी तो तुम्हारी दुआएँ नहीं कु़बूल कर सकते और क़यामत के दिन
तुम्हारे शिर्क से इन्कार कर बैठेंगें और वाकि़फकार (शख़्स की तरह कोई
दूसरा उनकी पूरी हालत) तुम्हें बता नहीं सकता (14)
लोगों तुम सब के सब खु़दा के (हर वक़्त) मोहताज हो और (सिर्फ) खु़दा ही (सबसे) बेपरवा सज़ावारे हम्द (व सना) है (15)
अगर वह चाहे तो तुम लोगों को (अदम के पर्दे में) ले जाए और एक नयी खि़लक़त ला बसाए (16)
और ये कुछ खु़दा के वास्ते दुशवार नहीं (17)
और याद रहे कि कोई शख़्स किसी दूसरे (के गुनाह) का बोझ नहीं उठाएगा और
अगर कोई (अपने गुनाहों का) भारी बोझ उठाने वाला अपना बोझ उठाने के वास्ते
(किसी को) बुलाएगा तो उसके बारे में से कुछ भी उठाया न जाएगा अगरचे (कोई
किसी का) कराबतदार ही (क्यों न) हो (ऐ रसूल) तुम तो बस उन्हीं लोगों को डरा
सकते हो जो बे देखे भाले अपने परवरदिगार का ख़ौफ रखते हैं और पाबन्दी से
नमाज़ पढ़ते हैं और (याद रखो कि) जो शख़्स पाक साफ रहता है वह अपने ही
फ़ायदे के वास्ते पाक साफ रहता है और (आखि़रकार सबको हिरफिर के) खु़दा ही
की तरफ जाना है (18)
और अन्धा (क़ाफिर) और आँखों वाला (मोमिन किसी तरह) बराबर नहीं हो सकते (19)
और न अंधेरा (कुफ्र) और उजाला (ईमान) बराबर है (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 अप्रैल 2024
और खु़दा ही ने तुम लोगों को (पहले पहल) मिट्टी से पैदा किया फिर नतफ़े से फिर तुमको जोड़ा (नर मादा) बनाया और बग़ैर उसके इल्म (इजाज़त) के न कोई औरत हमेला होती है और न जनती है और न किसी शख़्स की उम्र में ज़्यादती होती है और न किसी की उम्र से कमी की जाती है मगर वह किताब (लौहे महफूज़) में (ज़रूर) है बेशक ये बात खु़दा पर बहुत ही आसान है
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