देर रात बूंदी में में संपन्न हुआ नेत्रदान
2. बेटे बहुओं ने मृत्यु के बाद भी नेत्रदान से जीवित रखा माँ को
शोक
के समय को थोड़ी देर होने के बाद ,परिजनों को यह ध्यान आता है कि,दिवंगत
के नेत्रदान करवाने से कम से कम हमारे देवलोकगामी किसी दृष्टिहीन की आँखों
में सदा सदा के लिए जीवित रहेंगे ।
मंगलवार
देर रात इसी तरह का एक किस्सा बालचंद पाड़ा,बूंदी निवासी कौशल्या आहूजा के
आकस्मिक निधन पर हुआ । कौशल्या जी के निधन के ठीक उपरांत परिवार में सभी
लोग शोक में आ गये, 2 घंटे बाद परिजनों के मन में आया कि,किसी तरह से उनके
नेत्रदान हो जायें,तो हम हमारी माता जी को दो दृष्टिहीन में जीवित रख
सकेंगे ।
बेटे
शंकर,अनिल,गुलशन और विकास ने परिवार में सभी सदस्यों से सहमति कर नेत्रदान
के लिए समाज के सदस्य महेश जैसानी, और शाइन इंडिया फाउंडेशन संस्था के
ज्योति मित्र इदरीस बोहरा को संपर्क किया । सूचना मिलते ही कोटा से डॉक्टर
कुलवंत गौड़ और उत्कर्ष मिश्रा बूंदी पहुँचे और नेत्रदान प्रक्रिया को पूरा
किया, देर रात 12:00 बजे टीम कोटा पहुंची ।
नेत्रदान
प्रक्रिया के दौरान बहुयें अनीता, किरण,अनिता,नीतू सहित काफी महिलाएं
मौजूद थी, सभी ने पहली बार देखा कि, नेत्रदान में सिर्फ आँख के सामने का
पारदर्शी हिस्सा कॉर्निया लेते हैं, पूरी आँख को नहीं लिया जाता है । यह
जानकर ज्यादातर महिलाओं ने अपना नेत्रदान संकल्प पत्र भरने की इच्छा जाहिर
की ।
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