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02 जनवरी 2024

दिन में भवानीमंडी से कोटा आये,देर रात फिर 120 किलोमीटर दूर भवानीमंडी पहुँच लिये दो नैत्रदान

 दिन में भवानीमंडी से कोटा आये,देर रात फिर 120 किलोमीटर दूर भवानीमंडी पहुँच लिये दो नैत्रदान 

2. हाड़ कांपती ठंड,देर रात तक 500 किलोमीटर की भागदौड़ से 6 लोगों के लिये रौशनी ला,मनाया नव वर्ष

3. तेज़ ठंड,देर रात में,भागदौड़ से 6 लोगों को रौशनी से मनाया नववर्ष 

4. देर रात तेज़ ठंड में,दो बार 120 किलोमीटर गए ,6 लोगों के लिए रौशनी लाकर मनाया नव-वर्ष


नेत्रदान-देहदान के असंभव कार्यों को सम्भव बनाने के लिये  शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्य  24 घन्टे तैयार रहते है । किसी के अँधेरे जीवन में रौशनी लेकर आना ही इनका प्रमुख ध्येय हैं ।  टीम के सदस्यों के लिए दूरी का अधिक होना,किसी भी तरह की विपरीत मौसम या दुर्गम रास्तों की परिस्थितियाँ होना कोई मायने नहीं रखती हैं ।


साल की आखिरी दिन 31 दिसंबर को भी संस्था के सदस्यों ने नेत्रदान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया ,संस्था के भवानी मंडी शाखा के ज्योति मित्र कमलेश दलाल की सूचना पर,पूर्व बैंक प्रबंधक शिवलाल पाटीदार का नेत्रदान प्राप्त कर दोपहर 3:00 तक कोटा पहुंच चुकी थी । 


जयपुर के लिए पाटीदार जी का कॉर्निया रवाना करने के ठीक बाद शाम को ही दोबारा कमलेश जी ने सूचना दी की, शहर में दो और मृत्यु हुई है । उनके परिजनों को संपर्क किया जा रहा है । परिजनों की ओर से सहमति मिलते ही हमें कोटा से दुबारा भवानीमंडी के लिए निकलना होगा ।


परिवार से सहमति मिलते ही कोटा से रात 9:00 बजे डॉ कुलवंत गौड़ और उत्कर्ष मिश्रा स्टेशन रोड,भवानीमंडी निवासी सोहनलाल जैन के नेत्रदान लेने के लिए रवाना हो गए दर पहुंचने पर पता चला कि, वहां 1 घंटे से जाम लग रहा है, जाम में एक घंटा फंसे रहने के बाद कड़कड़ाती ठंड और कोहरे से होते हुए रात 1:00 बजे नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।


रास्ते में ही यह सूचना भी आ गई थी कि, दूसरे नेत्रदान के लिए भी परिजन तैयार हो चुके हैं । सोहनलाल जी के नेत्रदान के उपरांत नगर पालिका के सामने रहने वाले मंजीत जी की धर्मपत्नी परमजीत कौर का आकस्मिक निधन हुआ । समाजसेवी सोनू छाबड़ा की प्रेरणा पर परिजनों ने नेत्रदान के लिए सहमति दी । रात 2:00 परमजीत कौर का भी नेत्रदान संस्था सदस्यों ने प्राप्त किया ।


इस तरह से एक दिन में भवानी मंडी से तीन देवलोकगामियों के नेत्रदान का कार्य 500 किलोमीटर की भाग दौड़ से संपन्न हुआ । इतनी भाग दौड़ के बाद सभी के लिए हर्ष का विषय यह रहा कि, इन तीन पुण्य आत्माओं के नेत्रदान से न्यूनतम 6 दृष्टि बाधित लोगों की आंखों से अंधियारा हमेशा हमेशा के लिए दूर हो सकेगा ।  देवलोक-गामियों को यही एक सच्ची श्रद्धांजलि है कि ,उनके अंत समय के उपरांत उनके नेत्रदान परिजनों के माध्यम से कराया जाए ।

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