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05 नवंबर 2023

कांग्रेस राष्ट्रिय महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा के विरुद्ध भाजपा विधायक मदन दिलावर के परिवाद में मुक़दमा दर्ज करने के आदेश ख़ारिज ,, लोकस स्टेनडाई ,, क्षेत्राधिकार नहीं माना ,,

 कांग्रेस राष्ट्रिय महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा के विरुद्ध भाजपा विधायक मदन दिलावर के परिवाद में मुक़दमा दर्ज करने के आदेश ख़ारिज ,, लोकस स्टेनडाई ,, क्षेत्राधिकार नहीं माना ,,
,, के डी अब्बासी
कोटा ,, अपर जिला जज क्रम 5 कोटा मुनेश जी यादव ने ,, अखिल भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस महासचिव ,, राजस्थान कांग्रेस प्रभारी , सुखजिंदर सिंह रंधावा के खिलाफ , भाजपा विधायक मदन दिलावर का परिवाद जिसमे उनके विरुद्ध महावीर नगर कोटा थाने को मुक़दमा दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश थे वोह आदेश तर्कों के साथ अपास्त कर दिया है , , अपर लोक अभियोजक  क्रम 5  कोटा अख्तर खान अकेला ने बताया की 13 मार्च 2023 को जयपुर के एक कार्यकर्ता आंदोलन के वक़्त  सुखजिंदर सिंह रंधावा , प्रभारी राजस्थान कांग्रेस ने  राजनितिक बयान दिया था , जिसके विरुद्ध , कोटा में भाजपा विधायक मदन दिलावर ने , परिवाद पेश किया ,, माननीय अधीनस्थ न्यायालय ने , इस मामले में विस्तृत सुनवाई के ,बाद  मदन दिलावर के परिवाद को स्वीकार कर ,,, महावीर नगर पुलिस को , रंधावा के विरुद्ध मुक़दमा दर्ज कर अनुसंधान के निर्देश दिए थे , उक्त आदेश के खिलाफ , थानाधिकारी , महावीर नगर कोटा ,,, सुखजिंदर सिंह रंधावा की तरफ से दो अलग अलग निगरानी याचिकाएं पेश हुईं , जो ,अपर जिला जज क्रम 5 कोटा के यहां स्थानांतरित होने के बाद ,निगरानी संख्या ,155 . 154 दर्ज हुई, इसी दौरान अधीनस्थ न्यायालय ने , मुक़दमा दर्ज नहीं करने को लेकर , पुलिस अधीक्षक कोटा नगर और महावीर नगर थानाधिकारी , को कारण बताओं नोटिस भी जारी किया था ,, निगरानी याचिका में ,सुखजिंदर सिंह रंधावा की तरफ से , विधि मानवाधिकार विभाग के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह पुनिया , ,अतिरिक्त महाधिवक्ता बार कौंसिल के पूर्व चेयरमेन जी एस राठोड ने पैरवी की जबकि , राज्य सरकार की तरफ से , अख्तर खान अकेला , थानाधिकारी की तरफ से मनु शर्मा ने पैरवी की , ,माननीय न्यायालय ने दोनों अलग अलग याचिकाओं को एक ही आदेश से , 38 पृष्ठों के व्याख्यातम आदेश में निस्तारित करते हुए , लिखा कि परिवाद 3 मई को पेश हुआ जिस पर रीडर की रिपोर्ट लेकर आगामी पेशी , 9 मई नियत की गई ,, लिपिक की रिपोर्ट की एस  पी की प्रति शामिल नहीं है , जिसे 10 मई को शामिल किया गया , 15 मई को थानाधिकारी से चाहे गई रिपोर्ट ने थानाधिकारी ने प्रकरण क्षेत्राधिकार के बाहर का बताया जबकि फौजदारी लिपिक ने पूर्व रिपोर्ट में इसे कसेहतराधिकार का बताया था , और अंकन किया  कि अख़बार की खबर को आधार बनाया गया है , जिसका प्रकाशन कोटा में हुआ है , यहीं , परिवादी ने इस खबर को पढ़ा ,है  ,14 मई का अख़बार भी पेश हुआ जिसमे लिखा है , ,अडानी को मारने से कुछ नहीं मिलेगा ,, मोदी को खत्म करो ,. मोदी खत्म हो गया तो देश बच जाएगा अगर मोदी रहा तो देश बर्बाद हो जाएगा , ,, परिवादी ने उक्त बयान से खुद को आहत मानकर प्रधानमंत्री की हत्या संबंधित प्रयास के आरोप लगाए , , अदालत ने लिखा कि  प्रथमत उक्त अख़बार जयपुर में प्रकाशित हुआ है , इस संबंध में जयपुर या कहीं अन्य स्थान पर , कोई प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है ,परिवाद पेश नहीं हुआ है , ऐसी भी कोई साक्ष्य नहीं पेश हुई के इस बयान से जयपुर , या किसी भी अन्य शहर में कोई क़ानून व्यवस्था भंग हुई हो ,, आदेश में लिखा है की उक्त कथन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कहा गया है , तो प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी की तरफ से परिवादी को , परिवाद पेश करने , कार्यवाही पेश करने के लिए अधिकृत किया गया हो , ऐसा भी  कोई दस्तावेज परिवादी ने पेश नहीं किया है , जबकि उक्त कथन से , परिवादी मात्र की भावनाये किस तरह से आहत हुई है , उसका स्पष्टीकरण भी परिवाद में नहीं है परिवादी का लोकस स्टड़ाई भी स्पष्ट नहीं किया गया है , ,, माननीय न्यायलय ने परिवाद मे दर्ज भारतीय  दंड सहित की धारा 153 ऐ , 504 ,506 , 511 ,124 ऐ की भी व्याख्या  लिखी  ,, नय्यालय ने राज्य सरकार की और से अख्तर खान अकेला,  सुखजिंदर सिंह रंधावा की तरफ से , कुलदीप सिंह पुनिया , जी एस राठोड , मदन दिलावर की तरफ से मनोज पूरी , थानाधिकारी की तरफ से मनु शर्मा द्वारा लिखित बहस , और न्यायिक दृष्टांतों का अवलोकन किया ,, माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायिक द्र्स्तांत एस जी वोमबे पकरे  बनाम यूनियन ऑफ़ इन्डिया में , राजद्रोह की धारा में मुक़दमा दर्ज करने पर स्थगन दिया गया है , ,न्यायालय ने आदर्श में तर्क दिया कि परिवादी का कथन  अख़बार परिवादी ने कोटा में पढ़ा , जिससे उसकी भावनाएं आहत हुईं जबकि उक्त भाषण से जयपुर , कोटा या फिर भारत के किसी भी हिस्से में , क़ानून व्यवस्था बिगड़ी हो , या कोई क़ानून व्यवस्था को लेकर , कहीं भी इस मामले में प्रशासन द्वारा की भी कार्यवाही की गई हो इसका कोई साक्ष्य नहीं है ,ना ही परिवाद में इसका कोई उल्लेख है , मात्र कयास के आधार पर ही ,प्रथम दृष्टया राजनितिक भावनाओ से प्रेरित होकर परिवाद द्वारा परिवाद पेश किया जाना प्रकट होता है , ,परिवादी ने जिन धाराओं का उल्लेख किया है , उन धाराओं के घटक , परिवाद में मौजूद नहीं है , न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा विद्वान विधारण न्यायालय का आदेश दिनांक 15 मई रूटीन मेंनर में किया जाना प्रतीत होता है , इस कारन अधीनस्थ न्यायालय का उक्त आदेश , वैधता ,, शुद्धता , ओचित्यता की कसौटी पर खरा नहीं उतरने ,से  विधिपूर्ण नहीं खा जा सकता ऐसी स्थिति  में  अधीनस्थ न्यायलय का आदेश दिनांक 15 मई 2023 अपास्त किये जाने योग्य है , ध्यान रहे उक्त प्रकरण को राजस्थान सरकार ने गंभीरता से लिया ,, निगरानी याचिकाएं पेश करवाई गयीं , निगरानी याचिका व्यवस्था को लेकर फेर बदल भी किया गया , जबकि कांग्रेस के विधि मानवाधिकार विभाग के , अध्यक्ष  कुलदीप सिंह पुनिया ने इसे गंभीरता से लेकर, रंधावा की तरफ से निगरानी याचिका पेश की , खुद अतिरिक्त महाधिवक्ता जी एस राठोड उपस्थित हुए , अपर लोक अभियोजक अख्तर खान अकेला ने लिखित तर्क दिए , बहुपक्षीय बहस के बाद ,, उक्त आदेश को , विस्तृत व्याख्यात्मक आदेश के साथ ख़ारिज किया गया ,, ,

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