लोकतंत्र में वोटर्स को जागरूक करने के साथ साथ , चुनाव आयोग , राजनितिक दलों के पक्षपात पूर्ण रवय्ये , झूंठ , फरेब , नियमों के उल्न्न्घन मामले में भी जनता को , सिपाही बनकर कार्यवाही करना शुरू होगी ,,
,,,,अख्तर खान अकेला ,,,,
यकींनन लोकतंत्र में वोट की क़ीमत होती है, वोट के प्रति जागरूकता की अहमियत होती है , लेकिन लोकतंत्र में उससे भी ज़्यादा , निष्पक्ष , बेखौफ चुनाव की ज़रूरत होती है, टी ऍन शेषन के बाद , वोटों के हालात , निष्पक्षता , का सच तो सभी के सामने है , ,, वोटर्स को , मतदान केंद्र पर जाकर वोट डालने के लिए जागरूक करना जितना ज़रूरी है , उससे भी ज़्यादा ज़रूरी , वोटर्स को निष्पक्ष चुनाव में अगर पक्षपात हो , तो निर्वाचन आयोग के खिलाफ आंदोलन करना ज़रूरी हो गया है , चुनाव की आचार संहिता , लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम सभी जानते है , चुनाव में ,आखिर आम जनता , जो खुद की आत्म रक्षा के लिए , हथियार के लाइसेंस लेती है , उन हथियारों को , बिना किसी युक्ति युक्त कारण , बिना किसी साक्ष्य के , भेड़ चाल की तरह , थाने में जमा कराने का आदेश क्या अक़्ल मंदी भरा है ,, , एक प्रधानमंत्री , सरकारी खर्च ,पर सरकारी हवाई जहाज़ में , सरकारी सुरक्षा के साथ , चुनाव प्रचार करते हैं , एक मुख्यमंत्री भी यही सब कुछ करता है , तो फिर निष्पक्षता किसी हो गयी , ,एक लोकसभा अध्यक्ष के पास , कवि सम्मेलन के लिए लोग जाते हैः और वोह आश्वस्त करते हैं , के में ऐसा करवा दूंगा , तो चुनाव आचार संहिता में , यह सब क्या ठीक है , एक , सरकार, आम जनता के लिए योजनाए बनाती है , भवन बनाती है , सुविधाएं देती है , और उन योजनाओं , भवनों का उद्घाटन , लोकार्पण करके , जिसने उसे बनाया उसकी नाम पट्टिका लगाती है , तो फिर ऐसे विकास कार्यों को , उनकी पट्टिकाओं को ढकना , क्या लोकतंत्र में , अच्छे काम करने वालों की अच्छाई को , ढकने जैसा नहीं है ,, , एक प्रत्याक्षी , लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत, मान्यता प्राप्त पार्टी में , सदस्य है , उसी से टिकिट लेकर विधायक बना है , तो फिर क्या , वोह दल बदल कर दूसरी पार्टी में जाता है , वोट नहीं डालता है , वाक् आउट करता है , इस्तीफा दे देता है , दूसरी पार्टी में चला जाता है , क्या यह अपराध नहीं है , एक राजनितिक पार्टी अपना चुनावी एजेंडा बनाती है , सरकार आ जाती है , और जिन वायदों पर , वोह चुनाव लड़ती है , और सरकार बनाती है , और अगर उन वायदों को वोह पूरा नहीं करती है , तो फिर क्या यह जनता के साथ धोखा नहीं है , ऐसी सरकार को निर्वाचन आयोग हटाता क्यों नहीं ,, , अब राजय सभा के चुनाव में , राष्ट्रपति के चुनाव में , वरीयता की ज़रूरत कहाँ है , एक वोट ,डाला जाए , और जो ज़्यादा वोट लाये उसे जीता हुआ घोषित कर दिया जाए , , सियासी पार्टियों की मान्यता के लिए लोकतान्त्रिक तरीके से चुनाव करवाकर , उनके पदाधिकारी , पार्टी के संविधान में , निर्वाचन नियमों के तहत निर्वाचन ज़रूरी है , लेकिन आज की तारीख में बालिग़ हुए किसी भी व्यक्ति को पता नहीं के जिस पार्टी को वोह वोट डालते हैं , उस पार्टी में , ब्लॉक स्तर पर , बूथ स्तर पर , जिला स्तर पर , प्रदेश स्तर पर , या फिर राष्ट्रिय स्तर पर कभी चुनाव हुए हों , बस सर्व सम्मति , हाईकमान पर छोड़ा , ,तो फिर निर्वाचन नियम में यह हाईकमान है क्या , इसकी परिभाषा क्या है , यह सब गलत है , तो फिर इसे रोका क्यों नहीं जा रहा ,, लोक प्रतिन्धित्व अधिनियम में , अचार संहिता का यह मतलब तो नहीं , के केंद्र सरकार , उसके कार्मिकों का डी ऐ बधाई , बोनस दे , और फिर ,संबंधित राज्य सरकारों को ऐसा नहीं करने दिया जाए , हर राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारी उनके परिवार , भी तो होते हैं , जो डी ऐ बढ़ाने , बोनस देने से प्रभावित हो सकते हैं , और प्रावधान होने पर भी , राज्य सरकारों को ऐसा करने से रोकना पक्षपात नहीं तो क्या है , ,खेर ये सब तो छोडो , राज्यों के चुनावों में , विपक्ष की सरकार और नेताओं को प्रताड़ित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियां , जब , प्रताड़ित करने , परेशान करने के लिए , , चुनाव पूर्व छापेमारी ,गिरफ्तारी , तलाशी अभियान , वगेरा वगेरा क्या नेताओं को डरा धमका कर , चुनाव प्रभावित करने वाला नहीं , , महाराष्ट्र में , अजीत पंवार का उदाहरण देश ने ही नहीं विश्व ने देखा है , एक दिन पहले तो , उनके खिलाफ मुक़दमों में गिरफ्तारियों की तलवार थी , और जैसे ही वोह , सरकार में शामिल होकर , उप मुख्यमंत्री बने , सारे मुक़दमे सरकार ने रातों रात वापस ले लिए , तो क्या चुनाव आयोग की चुप्पी , ऐक अपराध नहीं ,,, तात्कालिक कोई अपराध हो ,भ्रष्टाचार हो , तो उसमे तो तात्कालिक धर पकड़ समझ में आती है , लेकिन जब जांच महीनों से चल रही हो , कोई कार्यवाही नहीं हो रही हो , और अचानक चुनाव आते ही , यह एजेंसियां केंद्र सरकार के इशारे पर सक्रिय हो जाएँ , कार्यवाही करने लगें , मीडिया की खबरें बनाएं , और चुनाव आयोग , ऐसी हरकतों पर मूकदर्शक रहे , तो क्या यह पक्षपात नहीं है , बात साफ़ है ,, अगर ऐसी कार्यवाही ज़रूरी थी तो तत्काल कार्यवाही क्यों नहीं हुई , चुनाव तक का इन्तिज़ार क्यों हुआ, और फिर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में , पार्टी के नेता , खुलकर बयान दे रहे हैं , के अभी तो देखे जाओ , और कार्यवाहियां होंगी , क्या यह चुनाव प्रभावित करने वाले तरीके , चुनाव प्रभावित करने वाले बयान नहीं है , तो फिर चुनाव आयोग क्यों मूकदर्शक बना बैठा है ,, भारत में चुनाव के वक़्त , लाखों लोग , ट्रेन में , बसों में सफर करते हैं , अस्पतालों में भर्ती रहते हैं , जेलों में ,, न्यायिक अभिरक्षा में , रहते हैं , बीमार अशक्त घरों में रहते हैं , निजी कार्यक्रमों में व्यस्त रहते हैं , ऐसे में , उन्हें जागरूक करना , जेल में जब चुनाव लड़ने की इजाज़त है , तो फिर जेल में रह रहे क़ैदी को वोटिंग की इजाज़त क्यों नहीं , जब धर्म आधारित चुनाव प्रचार प्रतिबंधित है , तो फिर , प्रत्याक्षी का धार्मिक स्थल पर जाकर , चुनाव प्रचार की शुरुआत करना , प्रतिबंधित क्यों नहीं , ,मज़हब के देवी देवता ,पैगम्बर , धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल अपराध होने पर भी , उन पर कार्यवाही क्यों नहीं , एक दूसरे को अपमानकारी गालियां बकना , बिना किसी प्रमाण के आरोप लगाना , प्रतिन्धित है , तो फिर इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग चुप क्यों है , ,तो जनाब ,, वोटर्स को , वोट के प्रति जागरूक करना ज़रूरी है , लेकिन देश के प्रति , निष्पक्ष चुनाव के प्रति , संवैधानिक प्रावधानों के उलंग्घन पर , जब , चुनाव आयोग चुप रहे , कोई कार्यवाही नहीं करे , तो फिर आम जनता को क्या करना चाहिए , चुनाव आयोग के पक्षपात के प्रति आम जनता का कर्तव्य क्या रहे , चुनाव आयोग के विरुद्ध ऐसी प्रमाणिक शिकायत मिलने पर , ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ क्या कार्यवाही हो , यह भी सुनिश्चित होना ज़रूरी है , जागो मतदाता , जागो आम जनता , अपने अधिकार जानिये , कर्तव्यों का पालन कर, वोट डालिये , सही व्यक्ति को वोट डालिये, भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाइये , और पक्षपात करने वाले को सज़ा भी दिलवाइये , , ,प्रलोभन , झूंठे वायदे , शराब , साड़ियां , योजनाओं के झांसे में लेकर , अगर वोट भी ले लें और सत्ता में आजायें , तो जो , वायदे किये हैं , उन्हें जुमला बनाने वालों को , सत्ता से अपदस्त करने का क़ानून भी बनवाइए ,, , ,, ,जनता जनार्दन है , लोकतंत्र एक मंदिर है , तो जनता एक पुजारी है , भक्त है , इसलिए जनता ही , इस लोकतंत्र को सुरक्षित रख सकती है , , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 अक्तूबर 2023
लोकतंत्र में वोटर्स को जागरूक करने के साथ साथ , चुनाव आयोग , राजनितिक दलों के पक्षपात पूर्ण रवय्ये , झूंठ , फरेब , नियमों के उल्न्न्घन मामले में भी जनता को , सिपाही बनकर कार्यवाही करना शुरू होगी ,,
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