कोटा को आज़ाद कराने वाले जांबाज़ सिपाही , महराब खान , लाला जय दयाल के बहादुरी के क़िस्सों को चाहे कितना ही दबाओ कभी भूत के नाम पर , कभी आत्मा के नाम पर , लोगों को लिखने के लिए मजूबर होना ही ,पढ़ेगा , नाम पट्टिकाएं चाहे मत लगाओ , लेकिन एक दिन यह पट्टिकाएं लगाने पर मजबूर होना ही पढ़ेगा ,, लाला जय दयाल , महराब खान , कोटा को आज़ाद कराने वाले जंग ऐ आज़ादी के शहीद सिपाही थे , सिपाही रहेंगे ,
कोटा ,,आज़ादी की जंग में ,,, अंग्रेज़ों के ज़ुल्म के खिलाफ , तात्कालिक कोटा दरबार की गुलामी के खिलाफ , जंग ऐ आज़ादी , में कोटा को आज़ाद कराने वाले महराब खान , लाला जय दयाल चाहे , इतिहासकारों ने गुमनामी के अँधेरे में गुमा दिए हों , चाहे , कोटा नगर विकास न्यास ने ,, स्वायत शासन मंत्री के आदेश , निर्देश के बाद भी , उनकी बहादुरी ,वफादारी , के क़िस्से , शहीद स्मारक पट्टिका पर नहीं लिखे हों , लेकिन आज भी ,वोह ,, किसी ना किसी क़िस्से कहानी के रूप में , राष्ट्रिय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर , ज़िंदा है , ,जी हाँ दोस्तों , केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी के निर्देशों ,पर , देश भर में आज़ादी के आंदोलन में , अपने प्राणों की आहुति देने वालों को , आज़ादी के अमृतमहोत्सव में चाहे खूब याद किया गया हो ,चाहे राजस्थान के गाँधीवादी मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत ने , आज़ादी की जंग लड़ने वालों को , महिमा मंडित किया हो , लेकिन कोटा जिला प्रशासन , कोटा सांसद लोकसभा अध्यक्ष , प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी , मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत , राष्ट्र्पति महोदया सहित सभी ज़िम्मेदारों को ,, कोटा में 1857 की जंग ऐ आज़ादी में , बहादुर आज़ादी के दीवाने , महराब खान , लाला जय दयाल जिन्होंने कोटा को , अंग्रेज़ों की गुलामी से आज़ाद कराने के लिए जंग लड़ी , अंग्रेज़ों के पोलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन जो क्रूर शासक थे , उन्हें मार ,कर कोटा को आज़ाद कराया , अंग्रेज़ों के समर्थक , आज़ादी की जंग के खिलाफ रहे , अंग्रेज़ों के अधीनस्थ कोटा शासक को गिरफ्तार किया , उनके क़िस्से , उनका इतिहास , कोटा , हाड़ोती के सभी इतिहासकारों , पत्रकारों ने , गुमशुदा कर दिया , आज़ादी के जिन दीवानों का ,इतिहास , ,स्कूली पाठ्यक्रम में , बच्चों को गर्व के साथ पढ़ाया जाना था , उस इतिहास को , देश के हर पन्ने से मिटाने की साज़िशें कामयाब हुईं ,, सिर्फ स्वायत शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने इसे गंभीरता से लेते हुए , मेरे द्वारा लिखे पत्र पर , ,नगर विकास न्यास को , अदालत चौराहे पर स्थित शहीद स्मारक पर महराब खान , लाला जयदयाल के नाम की पट्टिका, उनकी बहदुरी के क़िस्से का सारांश लिखने का आदेश नगर विकास न्यास कोटा के अधिकरियों को दिया , लेकिन अफ़सोस , नौकरशाह तो नौकरशाह होते हैं , उन्होंने मंत्री महोदय के आदेश को , ना जाने किस दबाव में , कोटा के आज़ादी की जंग के इन शहीद दीवानों की कहानी , कचरे के डब्बे में डाल दिए और शहीद स्मारक पर आज तक भी आदेश के बावजूद इनके नाम की , इनके क़िस्सों के सारांश की पट्टिका नहीं लगाई गयी है , ,देश जनता है , इतिहास गवाह है , कोटा के मासूम बच्चों को बल्लम पर उछाल कर, उन्हें जाना से मार देता था , ,वोह कोटा की आम जनता पर बहुत ज़ुल्म करता था , उसके दोनों बेटे और फौज , कोटा में कोहराम मचाये हुए थे , कोटा दरबार जो , अंग्रेज़ों के अधीनस्थ थे , वोह इस पोलिटिकल एजेंट की हरकतों पर खामोश थे , ,लेकिन , रिसालेदर महराब खान , , एडवोकेट लाला जय दयाल ,, इन सब को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं ,थे जब , भारत के हर कोने में , अंगेज़ों के खिलाफ आज़ादी की जंग की तैय्यारियाँ हो रही थीं , तब उससे भी पहले , कोटा में , देश भर का पहला आज़ादी का संघर्ष हुआ , लाला जय दयाल , महराब खान ने , अपने फौजियों को लामबंध कर, बगावत की और , अंग्रेज़ों , ,कोटा दरबार की फौज के खिलाफ कोटा को आज़ाद कराने की जंग लड़ी , इस जंग ,में आज़ादी के कई दीवाने शहीद हुए , लालबुर्ज ,, लाडपुरा ,, रामपुरा , ,कर्बला , मक़बरा ,, सूरजपोल , ,सहित सभी जगह सड़कें खन से तरबतर ,थीं लेकिन , आज़ादी के दीवानों ने हार नहीं मानी , और लड़ते हुए , अंग्रेज़ों और कोटा दरबार की फौज को खदेड़ते हुए , ,बृजराज भवन ,, जो तात्कालिक रेसीडेंसी हाउस यानी , अंग्रेज़ों के पोलिटिकल एजेंट का बंगला था , उसमे घुस गए ,, जंग में, पोलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन के दोनों बेटे भी मारे गए , खुद मेजर बर्टन भी मारा गया और मेजर बर्टन का आतंक जो कोटा की आम जनता के सर पर चढ़ कर बोल रहा था , उसे खत्म करने के लिए , , लाला जय दयाल , महराब खान ने , उसके सर को , पुरे शहर में घुमाया , ताके लोगों के दिल दिमाग ,से अंग्रेज़ों का आतंक खत्म हो सके , कोटा को आज़ाद किया गया , भारत में शायद कोटा ही पहला ऐसा राज्य ,था जिसे आज़ादी के दीवानों ने , अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद कराकर , कोटा को आज़ाद राज्य का नाम दिया था ,, कई महीनों ,तक कोटा में आज़ादी का शासन रहा , लेकिन फिर , तात्कालिक कोटा दरबार और अंग्रेज़ों की मुखबिरी के चलते , अंग्रेज़ों ने फिर , कोटा को घेरा , और मुखबीरी , गद्दारी के चलते , अंग्रेज़ों ने कोटा को फिर गुलाम बना लिया , , इस जंग में , लाला जय दयाल , महराब खान , को , मुखबिरी के आधार पर , धोखे से गिरफ्तार करवाया गया ,, अंग्रेज़ों ने , दोनों जाबाज़ आज़ादी के दीवानों को ,, रेसीडेंसी हाउस , बृजराज भवन के यहां एक नीम के पेड़ ,पर सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका कर ,, आज़ादी के जंगजू सिपाहियों का हौसला तोड़ने का संदेश दिया , कोटा की आज़ादी के लिए संघर्ष और , क़ुर्बानी देने वाले , इन दोनों सहीद , लाला जय दयाल , महराब खान , की बहादुरी के क़िस्से आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम से गायब , , स्कूलों में पाठ्यक्रम से गायब , कोटा के इतिहास से गायब , पुरालेखागर से गायब , उनके शहीद स्थल ,, फांसी स्थल गायब , ,समाधि गायब , और महराब खान का मज़ार गुमनामी के अँधेरे में ,, है , ,आज़ादी के शहीदों के साथ यह ज़ुल्म ,, यह ज़्यादती हुई , इतिहास को तोड़ा मरोड़ा गया , लेखक तो , जागीरदार , ज़मींदार बनते गए , लेकिन कोटा का ओरिजनल , आज़ादी की जंग का इतिहास , गुम हो गया , लेकिन , एक अदालत ऊपर की है , उस अदालत को इंसाफ करना आता है , , मेजर बर्टन की पत्नी ,ने आज़ादी के जंगजू सिपाहियों से बदला लेने की क़सम खाई , मेजर बर्टन की क़ब्र पर , इस संबंध में पट्टिका लगवाई , और फिर बदला लिया भी गया , ,वक़्त बदला , ,कोटा सहित भारत आज़ाद हुआ ,, बृजराज भवन कोटा वर्तमान दरबार के नियंत्रण में आया , यहां होटल बनी , और होटल के वक़्त , एक ऐसा क़िस्सा सामने आया ,जो मेजर बर्टन को भूत के रूप में पेश किया गया , और महराब खान , लाला जय दयाल को , उनका हत्यारा बनाकर पेश किया ,गया , बात जो भी हो , लेकिन , इस क़िस्से ने, कोटा के सभी अख़बारों , मिडिया कर्मियों , देश भर के ही नहीं विश्वस्तरीय मीडिया को , इस क़िस्से को , लिखने , प्रसारित करने , प्रकाशित करने पर मजबूर कर दिया, ,,, कहा गया के होटल बृजराज भवन में , भूतों का वास है , क़िस्से बनाये गए , के मेजर बर्टन का क़त्ल यहां हुआ था, ,, इसलिए उनकी आत्मा इसी भवन में है , वोह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती है , लेकिन जो कर्मचारी , चौकीदार , रात में सोते हैं , धूम्रपान करते हैं , उनके यह भूत थप्पड़ मारता है , ,एक पत्रकार ने तो , खुद महारानी साहिबा से इस आत्मा के होने की पुष्टि की है , जिसमे उन्होंने , आत्मा को , एक कमरे पर , बूढी अवस्था में , आराम कुर्सी पर, सिगार पीते ज हुए देखना स्वीकार किया है , जबकि , कहते हैं , के वोह बहुत धूम्रपान करने वाले पर भी थप्पड़ बरसाता है ,, कोटा स्टेडियम नयापुरा के पास आज भी अंग्रेज़ों का क़ब्रिस्तान है , जहां यह क़ब्रें मौजूद है , लेकिन यह क़ुदरत का ही करिश्मा है , जिन आज़ादी के दीवानों की शहादत के जांबाज़ क़िस्से को , इतिहासकारों से दबवा दिया गया था , इतिहास को तोडा मरोड़ा गया था , एक भूत के क़िस्से ने , एक भूत की घटना ने ,, पुरे देश के पत्रकारों को , लिखने , पर मजबूर कर दिया , और उसमे , चाहे हत्यारे के रूप में ही , महराब खान ,, लाला जय दयाल का ज़िक्र आया हो , महराब खान का क़िस्सा आया हो , लेकिन , मेजर बर्टन , उसके सिपाहियों पर वोह जांबाज़ सिपाही टूट कर बरसे थे , अंग्रेज़ों को , असहाय ,बेबस ,कर भागने पर उन्होंने मजबूर कर दिया था , पोलिटिकल एजेंट की हत्या कर दी थी , यह क़िस्से देश के हर अख़बार में छपे भी हैं , प्रसारित , प्रकाशित भी हुए हैं , ,इसलिए कहते हैं , के कोटा को आज़ाद करवाने वाले , जिन जांबाज़ फांसी पर चढ़ने वाले , लाला जय दयाल , महराब खान के क़िस्से , दबा दिए गए थे , वोह तोड़ मरोड़ कर ही सही , ,एक भूत की आत्मा ,, के नाम पर , प्रकाशित करने पर मजबूर होना पढ़ा ,, और आगे भी देखिये , देश के लिए , कोटा को आज़ाद कराने के लिए मर मिटने वाले , इन शहीद जांबाज़ सिपाहियों के क़िस्से ,, छुपेंगे नहीं , कभी भी , एक फिल्म के रूप में एक पुस्तक के रूप में अख़बारों की सुर्ख़ियों के रूप ,में इनके स्मारक , के रूप में , आज नहीं तो कल , किसी ना किसी ना किसी रूप में ज़रूर सामने आएंगे ,, और नगर विकास न्यास के अधिकारीयों ,ने इनके क़िस्सों को , स्वायत शासन मंत्री के लिखने के आदेशों के बाद भी चाहे कचरे की टोकरी में डाल दिए हों , लेकिन प्रशासन भी , केंद्र और राजस्थान सरकार भी , इन जांबाज़ आज़ादी के शहीदों के क़िस्से लिखने , इनके नाम की पट्टिकाएं ,लगाने स्मारक ,बनाने म्यूज़ियम बनाने के लिए मजबूर हो जाएंगे , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अक्टूबर 2023
कोटा को आज़ाद कराने वाले जांबाज़ सिपाही , महराब खान , लाला जय दयाल के बहादुरी के क़िस्सों को चाहे कितना ही दबाओ कभी भूत के नाम पर , कभी आत्मा के नाम पर , लोगों को लिखने के लिए मजूबर होना ही ,पढ़ेगा , नाम पट्टिकाएं चाहे मत लगाओ , लेकिन एक दिन यह पट्टिकाएं लगाने पर मजबूर होना ही पढ़ेगा ,, लाला जय दयाल , महराब खान , कोटा को आज़ाद कराने वाले जंग ऐ आज़ादी के शहीद सिपाही थे , सिपाही रहेंगे
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