और इबराहीम की बीबी (सायरा) खड़ी हुयी थी वह (ये ख़बर सुनकर) हॅस पड़ी तो
हमने (उन्हें फरिशतों के ज़रिए से) इसहाक़ के पैदा होने की खुशख़बरी दी और
इसहाक़ के बाद याक़ूब की (71)
वह कहने लगी ऐ है क्या अब मै बच्चा जनने बैठॅूगी मैं तो बुढि़या हूँ और
ये मेरे मियाँ भी बूढे़ है ये तो एक बड़ी ताज्जुब खेज़ बात है (72)
वह फरिश्ते बोले (हाए) तुम ख़ुदा की कुदरत से तअज्जुब करती हो ऐ एहले
बैत (नबूवत) तुम पर ख़़ुदा की रहमत और उसकी बरकते (नाजि़ल हो) इसमें शक
नहीं कि वह क़ाबिल हम्द (वासना) बुज़ुर्ग हैं (73)
फिर जब इबराहीम (के दिल) से ख़ौफ जाता रहा और उनके पास (औलाद की)
खुशख़बरी भी आ चुकी तो हम से क़ौमे लूत के बारे में झगड़ने लगे (74)
बेशक इबराहीम बुर्दबार नरम दिल (हर बात में ख़ुदा की तरफ) रुजू (ध्यान) करने वाले थे (75)
(हमने कहा) ऐ इबराहीम इस बात में हट मत करो (इस बार में) जो हुक्म
तुम्हारे परवरदिगार का था वह क़तअन आ चुका और इसमें शक नहीं कि उन पर ऐसा
अज़ाब आने वाले वाला है (76)
जो किसी तरह टल नहीं सकता और जब हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते (लड़को की सूरत
में) लूत के पास आए तो उनके ख़्याल से रजीदा हुए और उनके आने से तंग दिल हो
गए और कहने लगे कि ये (आज का दिन) सख़्त मुसीबत का दिन है (77)
और उनकी क़ौम (लड़को की आवाज़ सुनकर बुरे इरादे से) उनके पास दौड़ती हुयी
आई और ये लोग उसके क़ब्ल भी बुरे काम किया करते थे लूत ने (जब उनको) आते
देखा तो कहा ऐ मेरी क़ौम ये हमारी क़ौम की बेटियाँ (मौजूद हैं) उनसे निकाह
कर लो ये तुम्हारी वास्ते जायज़ और ज़्यादा साफ सुथरी हैं तो खु़दा से डरो
और मुझे मेरे मेहमान के बारे में रुसवा न करो क्या तुम में से कोई भी
समझदार आदमी नहीं है (78)
उन (कम्बख़्तो) न जवाब दिया तुम को खूब मालूम है कि तुम्हारी क़ौम की
लड़कियों की हमें कुछ हाजत (जरूरत) नही है और जो बात हम चाहते है वह तो तुम
ख़ूब जानते हो (79)
लूत ने कहा काश मुझमें तुम्हारे मुक़ाबले की कूवत होती या मै किसी मज़बूत कि़ले मे पनाह ले सकता (80)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 अक्टूबर 2023
और इबराहीम की बीबी (सायरा) खड़ी हुयी थी वह (ये ख़बर सुनकर) हॅस पड़ी तो हमने (उन्हें फरिशतों के ज़रिए से) इसहाक़ के पैदा होने की खुशख़बरी दी और इसहाक़ के बाद याक़ूब की
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