रात 1:00 बजे 120 किलोमीटर दूर कोटा से गयी टीम ने लिया समरानीया में लिया नैत्रदान
शाइन इंडिया फाउंडेशन का नेत्रदान अभियान पूरे हाडोती संभाग में निरंतर बढ़ता जा रहा है । शोक के समय में यदि कोई मित्र/रिश्तेदार,परिजन को नेत्रदान जैसे पुनीत कार्य को करवाने के बारे में याद दिलाता है,तो परिजन थोड़े समय बाद ही दिवंगत के नेत्रदान के लिए सहमति दे देते हैं ।
कल देर रात,बाराँ जिले के शाहाबाद तहसील के समरानियाँ कस्बा निवासी हेमराज राठौर के पिता जगन्नाथ राठौर का आकस्मिक निधन हुआ, उनकी मृत्यु की सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से शाइन इंडिया के ज्योति-मित्र टिंकू ओझा को भी लगी,जो कि मूलतः इस गाँव के निवासी और पड़ौसी हैं, इसलिए उन्होंने तुरंत ही परिवार के सदस्यों को पिताजी जगन्नाथ जी के नेत्रदान करवाने की समझाइश प्रारंभ कर दी ।
बेटे हेमराज ने पूर्व में ही स्वयं का नेत्रदान संकल्प पत्र भी संस्था के साथ भरा हुआ है इसलिए उसने तुरंत ही संस्था सदस्यों को नेत्रदान देने आने की सहमति दे दी । हेमराज जी को शंका थी कि,इतनी रात को और 130 किलोमीटर दूर से नेत्रदान का कार्य कैसे संपन्न होगा,पर हमेशा की तरह संस्था सदस्यों की टीम, देर रात 1:00 बजे समरानियाँ पहुंच गयी,और नेत्रदान का पुनीत कार्य परिवार के सभी सदस्यों करीबी रिश्तेदारों के बीच टेक्नीशियन टिंकू ओझा और उत्कर्ष मिश्रा के सहयोग से संपन्न हुआ ।
नेत्रदान प्रक्रिया के दौरान जगन्नाथ जी के छोटे भाई मूलचंद, कंवर लाल,प्रेम चंद व लल्ला राठौर ने परिवार की ओर से नेत्रदान के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि, राठौर समाज का यह पहला नेत्रदान है,हमने पहले कभी नेत्रदान की प्रक्रिया को नहीं देखा था,इसलिए यह भ्रांति थी कि,शायद पूरी आँख ली जाएगी और अस्पताल में ही नेत्रदान प्रक्रिया पूरी होगी, परंतु ऐसा कुछ हुआ नहीं हुआ,बल्कि 10 मिनट में ही बिना रक्त निकले ,यह प्रक्रिया संपन्न हो गयी । सभी का मानना था कि, जागरूकता के अभाव में,इतना अच्छा पुनीत,पुण्य कार्य संपन्न नहीं हो पाता ।
संस्था संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,वर्ष 2020 में भी समरानिया की कमलाबाई जैन का नेत्रदान और देहदान भी संस्था के माध्यम से संपन्न हुआ था । जगन्नाथ जी के नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा कर सुबह 4:00 बजे टीम कोटा वापस पहुंची
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