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19 सितंबर 2023

ये आयतें उस किताब की हैं जो अज़सरतापा (सर से पैर तक) हिकमत से मलूउ (भरी) है

सूरए यूनुस मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी एक सौ नौ (109) आयतें है
मै उस ख़़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
अलिफ़ लाम रा (1)
ये आयतें उस किताब की हैं जो अज़सरतापा (सर से पैर तक) हिकमत से मलूउ (भरी) है (2)
क्या लोगों को इस बात से बड़ा ताज्जुब हुआ कि हमने उन्हीं लोगों में से एक आदमी के पास वही भेजी कि (बे ईमान) लोगों को डराओ और ईमानदारो को इसकी ख़ुश ख़बरी सुना दो कि उनके लिए उनके परवरदिगार की बारगाह में बुलन्द दर्जे है (मगर) कुफ्फार (उन आयतों को सुनकर) कहने लगे कि ये (शख़्स तो यक़ीनन सरीही जादूगर) है (3)
इसमें तो शक ही नहीं कि तुमरा परवरदिगार वही ख़ुदा है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया फिर उसने अर्श को बुलन्द किया वही हर काम का इन्तज़ाम करता है (उसके सामने) कोई (किसी का) सिफारिषी नहीं (हो सकता) मगर उसकी इजाज़त के बाद वही ख़ुदा तो तुम्हारा परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो तो क्या तुम अब भी ग़ौर नही करते (4)
तुम सबको (आखि़र) उसी की तरफ लौटना है ख़ुदा का वायदा सच्चा है वही यक़ीनन मख़लूक को पहली मरतबा पैदा करता है फिर (मरने के बाद) वही दुबारा जिन्दा करेगा ताकि जिन लोगों ने इमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको इन्साफ के साथ जज़ाए (ख़ैर) अता फरमाएगा और जिन लोगों ने कुफ्र एख़्तियार किया उन के लिए उनके कुफ्र की सज़ा में पीने को खौलता हुआ पानी और दर्दनाक अज़ाब होगा (5)
वही वह (ख़़ुदाए क़ादिर) है जिसने आफ़ताब को चमकदार और महताब को रौषन बनाया और उसकी मंजि़लें मुक़र्रर की ताकि तुम लोग बरसों की गिनती और हिसाब मालूम करो ख़़ुदा ने उसे हिकमत व मसलहत से बनाया है वह (अपनी) आयतों का वाकि़फ़कार लोगों के लिए तफ़सीलदार बयान करता है (6)
इसमें ज़रा भी शक नहीं कि रात दिन के उलट फेर में और जो कुछ ख़़ुदा ने आसमानों और ज़मीन में बनाया है (उसमें) परहेज़गारों के वास्ते बहुतेरी निषानियाँ हैं (7)
इसमें भी शक नहीं कि जिन लोगों को (क़यामत में) हमारी (बारगाह की) हुज़ूरी का ठिकाना नहीं और दुनिया की (चन्द रोज़) जि़न्दगी से निहाल हो गए और उसी पर चैन से बैठे हैं और जो लोग हमारी आयतों से ग़ाफिल हैं (8)
यही वह लोग हैं जिनका ठिकाना उनकी करतूत की बदौलत जहन्नुम है (9)
बेषक जिन लोगों ने इमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन्हें उनका परवरदिगार उनके इमान के सबब से मंजि़ल मक़सूद तक पहुँचा देगा कि आराम व आसाइश के बाग़ों में (रहेगें) और उन के नीचे नहरें जारी होगी उन बाग़ों में उन लोगों का बस ये कौल होगा ऐ ख़ुदा तू पाक व पाकीज़ा है और उनमें उनकी बाहमी (आपसी) खै़रसलाही (मुलाक़ात) सलाम से होगी और उनका आखि़री क़ौल ये होगा कि सब तारीफ ख़ुदा ही को सज़ावार है जो सारे जहाँन का पालने वाला है (10)

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