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02 सितंबर 2023

हाईकोर्ट के कोचिंग गाइड लाइन अंतरिम दिशा निर्देश 5 साल बाद भी लागू क्यों नहीं , चर्चा , मंथन इस पर होना चाहिए, गाइड लाइन शत प्रतिशत लागू हो,

 

हाईकोर्ट के कोचिंग गाइड लाइन अंतरिम दिशा निर्देश 5 साल बाद भी लागू क्यों नहीं , चर्चा , मंथन इस पर होना चाहिए, गाइड लाइन शत प्रतिशत लागू हो,
,,अख्तर खान अकेला,
कोटा/सिर्फ दबाव के कारण कोटा कोचिंग में पढ़ने आये छात्रों की ज़िंदगी कट शार्ट हो जाती है , पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया के कोटा में छात्रों की आत्महत्या पर दिया गया यह बयान , चाहे , अख़बारों में सेंसर करते हुए , मात्र , मुंग में सफेदी के बराबर छापा हो , प्रकाशित , प्रसारित किया हो , लेकिन ओरिजनल तरीके से अगर कोटा कोचिंग स्टूडेंट्स में आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने के प्रयास होंगे तो ही , यह रुक सकेगा और इसके लिए कम से कम , राजस्थान हाईकोर्ट के सो मोटो संज्ञान याचिका में दिनांक 6 फरवरी 2018 के दिशा निर्देश , कोटा , और सीकर में लागू करने के लिए , जस्टिस के एस झावेरी , और जस्टिस विजय कुमार व्यास ने दिए थे , उसे शत प्रतिशत लागू करते हुए , अभी तक व्यवस्थाओं में लगे जिन लोगों ने इसे लागु नहीं किया उनके खिलाफ कंटेम्प्ट की कार्यवाही से ही सम्भव है , यूँ तो इस मामले में , राजस्थान सरकार की एक समिति , आगामी 4 सितम्बर को , अलग अलग संस्थाओं , डॉक्टर्स , विशेषज्ञों से , मेराथन बैठक करेगी , लेकिन इतना लाखों का खर्च अब इस माथा पच्ची को करने की ज़रूरत नहीं है , क्योंकि यह जो आदेश माननीय राजस्थान हाईकोर्ट के दो जजेज़ ने , 6 फरवरी 2018 को दिया है , जिसके 16 पेज के निर्देश अब तक , व्यवस्थाओं के नाम पर , फ़ाइल में ही दफन रहे , उनमे , एक एक बिंदु को खुलासा किया गया है , यह चिंतन , मंथन , पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा सिंधिया के कार्यकाल से , आज तक के प्रयासों से हुआ था , और अभी भी लगातार जारी है , लेकिन ताज्जुब इस बात पर है , के पहले से ही , तय शुदा गाइड लाइन के बाद भी , उस गाइड लाइन की तो अभी पालना ही नहीं हुई , पुरे पांच साल के इस गाइड लाइन के प्रयासों में , हायकोर्ट में सुनवाई होती रही , लेकिन ना जाने क्यों पालना नहीं हो पाई , इस पर विचार होना ही चाहिए , ,ऐसे लोग , जिन्होंने इस पर सख्ती नहीं की , उन पर कार्यवाही होना ही चाहिए , रोज़ कमेटियां बने , अच्छी बात है , आएं जायें , विचार करें , नई व्यवस्थाएं लागू करे ,, लेकिन आप खुद बताइये , एक चालीस प्रतिशत , पचास प्रतिशत , या थोड़े बहुत ज़्यादा स्टूडेंट को , डॉक्टर, इंजीनियर बनाने का सपना दिखाकर, डेढ़ लाख रुपये फीस , हॉस्टल , मेस ,वगेरा वगेरा खर्च के साथ कोचिंग का बिना किसी कॉम्पिटिशन के प्रवेश देकर, सपना दिखाया जाएगा, उसके माता पिता , अभिभावकों को , इस मामले में समझाइश किये बगैर , रूपये जमा ,एडिशन हो गया ,की सुविधा दी जायेगी , तो फिर सपनों की दुनिया में ,सभी तो डॉक्टर्स , इंजीनियर्स बनने के प्रयास करेंगे,और नाकाम होने ,पर डिप्रेशन के शिकार ,होंगे फिर एक स्टूडेंट , एक ही दिन में एक ही समय में , स्कूल में भी उपस्थित , और कोचिंग में भी उपस्थित यह खुली बेईमानी सरकार को , सिस्टम को , अख़बार को , न्यूज़ चेनल्स , को आम नागरिक को दिख रही है , फिर भी कोटा कोचिंग बर्बाद हो ,जाएगा , के नाम पर चुप रहो का नारा क्यों, अरे अनवांटेड बच्चो को तो रोकना ही होगा, आपने लोन लेकर हॉस्टल बनाया , अपने कोचिंग प्रॉपर्टी माफिया के साथ , अपना साम्राज्य खड़ा किया अच्छी बात है , और तरक़्क़ी हो , लेकिन सिर्फ इसलिए , के कचरे को भी आप ,, डॉक्टर्स , इंजीनियर बनने के ख्वाब दिखाए, और वोह भी , सरकार के सिस्टम , दोह्ररे एडमिशन डमी एडमिशन के अपराध के साथ , तो कोटा के चंबल के पानी में यह बेईमानी से रूपये कमाने की छूट तो हरगिज़ नहीं है , स्कूल आपके , कोचिंग आपके , हॉस्टल आपके , मेस आपके , सिर्फ तीस प्रतिशत ही तो दूसरे लोग इसमें कमा रहे हैं , और आगे भी कमाएंगे, लेकिन आप कोचिंग करवा रहे हैं , तो फिर हॉस्टल , मेस , स्कूल व्यवस्था तो दूसरों को कमाने दो , खेर यह आपका स्वत्तन्त्र अधिकार है , तो फिर , वर्ष फरवरी में जो , गाइडलाइन में आपको हायकोर्ट ने निर्देश दिए है , उसे तो लागु करो , प्रवेश पर , अनवांटेड बच्चो पर प्रतिबंध तो लगाओ , अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है , मैनेज करने की जगह , कोटा के लोगों को बर्बाद होने की झूंठ फैलाकर, आत्महत्या के मामले दबाने की जगह , खुलकर, वर्ष 2018 की गाइड लाइन का समर्थन करो , पाप धूल जाएंगे, , कमाई में कोई कमी नहीं आएगी , लेकिन कोटा में अनवांटेड लोगों के आने से जो , अराजकता का माहौल है , वोह थमेगा नहीं तो कम तो ज़रूर हो जाएगा , एक बार ईमानदारी से प्रयास करके तो देखिये , तकलीफ तो होगी , शुरू में कुछ अनवांटेड लोगों से होने वाली कमाई , कम ज़रूर होगी , लेकिन इंटेलिजेंट बच्चो से होने वाली कमाई , भी कम नहीं , सब कुछ इंफ़्रा स्ट्रक्चर भी चलेगा , खर्च भी निकलेगा ,, लोन की क़िस्तें भी चुकेंगी , कोटा का सम्मान भी बढ़ेगा , खुशहाली भी रहेगी, एयरपोर्ट तो बनाओ , ताके अभिभावक , घंटों में अपने बच्चे तक कोटा पहुंच जाए , दोहरे डमी एडमिशन पर रोक तो लगाओ , स्कूलों में ,पढ़ाने वाले ,मनोविज्ञान पढ़े हुए , प्रशिक्षित , शिक्षकों से तो पढ़ाई पढ़वाओ ,बिना मनोविज्ञान पढ़े हुए लोग , आई आई टी , डॉक्टर्स , एम एस सी लोगों से तो ऐसे ही मशीनीकृत , रोबोट की तरह पढ़ाई होगी , हादसे होंगे,स्ट्रेस बढ़ेगा, , फिर कहते हो , कोटा को बदनाम मत करो , अरे जो कोटा को बदनाम करने के लिए मुनाफा देख रहे हैं , उन्हें रोको , खुद बा खुद कोटा , का नाम आसमान की बुलंदियों को छुएगा , और छूता रहा है ,एयरपोर्ट के नाम पर सब की जुबां हलक़ में क्यों अटक जाती है , इन बिंदुओं पर अख़बारों की क़लम क्यों रुक जाती है , ऐंकर की आवाज़ क्यों दब जाती है , 2018 के हायकोर्ट के निर्देशों की पालना सिस्टम में क्यों रुक जाती है , ,हायकोर्ट में इस जानकारी के बाद भी , कंटेम्प्ट की याचिका कार्यवाही क्यों नहीं होती है , ऐसे लोग जो हाईकोर्ट के निर्देशों की पालना नहीं करते , जेल क्यों नहीं भेजे जाते हैं , ज़रा चिंतन करना , मंथन करना, अपने आप अपने ज़मीर से ज़रूर पूंछना, और हो सके तो बताना ज़रूर ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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