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05 अगस्त 2023

, भारत के न्यायालयों में जजों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने ,, न्यायिक व्यवस्था सुधारने , जवाबदारी सुनिश्चित करने , सहित देश भर के बढ़ रहे मुक़दमों के त्वरित निस्तारण के लिए , जिला स्तरीय , हाईकोर्ट स्तरीय , न्यायालयों की संख्या बढ़ाने के क्रम में ,

 प्रतिष्ठा में ,
महामहिम राष्ट्रपति महोदया
भारत सरकार ,राष्ट्रपति भवन , नई दिल्ली ,
विषय , भारत के  न्यायालयों में जजों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने ,, न्यायिक व्यवस्था सुधारने , जवाबदारी सुनिश्चित करने , सहित देश भर के बढ़ रहे मुक़दमों के त्वरित निस्तारण के लिए , जिला स्तरीय , हाईकोर्ट स्तरीय , न्यायालयों की संख्या बढ़ाने के क्रम में ,
 मान्यवर ,
 उपरोक्त विषय में निवेदन है की वर्तमान हालातों में जिस तरह से  बॉम्बे हाईकोर्ट नागपुर बेंच के , जस्टिस रोहित बी देव ने  ,हायकोर्ट में सुनवाई के चलते ,बीच में ही  ,,,अपने  आत्मसम्मान के साथ में समझौता नहीं कर सकता ,, इस तल्ख टिप्पणी के साथ उन्होंने अचानक , जो इस्तीफा दिया है , यह देश के इतिहास को , न्यायिक व्यवस्था , को , न्यायिक स्वतन्त्रत्ता को झकझोर देने वाला है , जबकि , मानहानि जैसे मामले में अधिकतम सज़ा , अपील में सज़ा स्थगन प्रार्थना पत्र के ख़ारिज होने के बाद , माननीय सुप्रीम कोर्ट में जो हालात बने है , सुप्रीम कोर्ट ने , गंभीरता से जो सवाल खड़े किये है , यह सब न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा है , लेकिन ,,, इन पर चिंतन , मंथन , सवेधानिक व्यवस्थाओं के दायरे में , राष्ट्रिय स्तर पर , व्यवस्थाएं बनना चाहिए , आखिर कोनसे ऐसे हालात बने , जो , अचानक सुनवाई के चलते एक हाईकोर्ट के जज , आत्मसम्मान की बात करके , महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा दे रहे हैं , ,यह सच राष्ट्रहित में , राष्ट्र की न्यायिक व्यवस्था जो भगवान के फैसले के पर्याय मानी जाती है , उसकी जांच कर,  ऐसे मामलों में एक श्वेत पत्र तो जारी होना ही चाहिए , जजों की सुरक्षा , निष्पक्षता बनी रहे , इसकी व्वयस्था , एक देश के संविधान के प्रधान के नाते आपकी सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी भी है ,
महामहिम महोदया , देश भर में ,मुक़दमों की संख्या के बोझ के तले , जजों को , मजिस्ट्रेटों को , ओवरलोडेड काम करना पढ़ रहा है , ,देश में मुक़दमों की संख्या के अनुरूप , नई अदालतों , नए जजों , त्वरित न्यायलयों की आवश्यकता है , जजों की संख्या देश भर में , अत्यंत कम है , जबकि उन्हें पर्याप्त सुविधाएँ तक नहीं है , चैंबरों के हालात, , सुनवाई के लिए बनी इजलास , स्टाफ की कमी ,  अव्यवस्थाओं ,से जज जूझ रहे हैं , उस पर , जजों के आत्मसम्मान पर अगर चोट लगती है , वोह चोट भी ऐसी के जज जो ,, खुले न्यायालय में , सुनवाई के दौरान , अचानक इस्तीफा देना पढ़ जाए , तो यह देश के सिस्टम को , झकझोर देने वाला है , देश की न्यायिक व्यवस्था का आत्म स्वाभिमान , जीवित है , इस पर हमे गर्व है , के देश के जस्टिस रोहित बी देव ने , आत्म सम्मान से समझौता नहीं किया और न्यायिक व्यवस्था को जीवित रखने के लिए ,, चलती सुनवाई के वक़्त , अपना इसतीफा दे दिया , ,देश के लिए गर्व की बात है , माननीय सुप्रीमकोर्ट ने  जिस तरह से , राहुल गांधी की याचिका की सुनवाई के वक़्त , अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को , व्याख्या करते हुए , स्थगित किया , वोह भी देश की न्यायिक व्यवस्था के लिए गर्व की बात है , ,
 महामहिम महोदया, , राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि मानवाधिकार आर टी आई विभाग की तरफ से , एक प्रदेश को ऑर्डिनेटर के नाते , मेरा आपसे आग्रह है , के बॉम्बे नागपुर के जज साहब द्वारा सुनवाई के वक़्त अचानक इस्तीफा देने , और अन्य न्यायिक आचरणों पर ,  सुप्रीमकोर्ट की सवालिया टिप्पणियों ,,  जजों की कमी , मुक़दमों के संख्या में बढ़ोतरी को आप गंभीरता से लें , ,आप देश भर के संविधान , न्यायिक व्यवस्था की प्रमुख है , , प्रधान है , आपसे विनम्र आग्रह है , के आप इन सब मामलों में ,, व्यवस्थाएं लागू करें , नई अदालतों के लिए बजट दें , नए जजों की नियुक्ति करें , उन्हें , अनावश्यक मुक़दमों की सुनवाई के बोझ से , व्यवहारिक रूप से जितना वोह सह सकते है , इतना काम दें , आधारभूत ढाँचे , चेंबर , कार्यालय ,, स्टाफ , सुनवाई के लिए इजलास के लिए बजट अतिरिक्त दिलवाये ,, और बॉम्बे के जज साहब ने जो अचानक आत्मसम्मान के नाम पर जो इस्तीफा दिया है , उनके इस्तीफे के कारण , उनके आत्मसम्मान को ठेस किसने पहुंचाई , उन लोगों की पहचान कर , उन्हें सज़ा दिलवाएं , सबक़ देने वाली सज़ा दिलवाएं , अधीनस्थ न्यायलय के जजों , मजिस्ट्रेटों के लिए भी अधिकतम सज़ा वगेरा सहित अन्य मामलों में , एक्सपर्ट वरिष्ठ जजों के साथ ,. रिफ्रेशर कोर्स करवाएं , ताकि , ऐसी स्थिति पैदा ना हो , जबकि , जजों के आत्मसम्मान , स्वाभिमान को जो भी , चोट पहुंचाये , दबाव बनाये , उनके  खिलाफ , अवमानना के अलावा , पृथक से क़ानून बनाने की सिफारिश करवाए ,
अतः आदरणीय महामहिम महोदय के समक्ष उक्त ज्ञापन के माध्यम से , उपरोक्तानुसार जांच भी करवाई जाए , और बॉम्बे नागपुर बेंच हाईकोर्ट जज साहब ,जस्टिस रोहित बी देव के मामले में , जांच करवाकर ,विस्तृत श्वेत पत्र जारी करवाए , दोषी लोगों को दंडित करवाए , न्यायधीशों के  ,सम्मान  ,, न्यायालयों में  म व्यस्थाओं को लेकर भी कार्यवाही करें ,

भवदीय

अख्तर खान अकेला एडवोकेट
प्रदेश को ऑर्डिनेटर , विधि , मानवाधिकार ,, आर टी आई विभाग
प्रदेश कांग्रेस कमेटी
2  थ 15 रशीदा मंज़िल , विज्ञाननगर कोटा राजस्थान 324005

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