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10 जुलाई 2023

(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के (हाल पर) नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था और (फिर) शैतान और बुतों का कलमा पढ़ने लगे और जिन लोगों ने कुफ़्र इख़्तेयार किया है उनकी निस्बत कहने लगे कि ये तो इमान लाने वालों से ज़्यादा राहे रास्त पर हैं

 (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के (हाल पर) नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था और (फिर) शैतान और बुतों का कलमा पढ़ने लगे और जिन लोगों ने कुफ़्र इख़्तेयार किया है उनकी निस्बत कहने लगे कि ये तो इमान लाने वालों से ज़्यादा राहे रास्त पर हैं (51)
(ऐ रसूल) यही वह लोग हैं जिनपर ख़ुदा ने लानत की है और जिस पर ख़ुदा ने लानत की है तुम उनका मददगार हरगिज़ किसी को न पाओगे (52)
क्या (दुनिया) की सल्तनत में कुछ उनका भी हिस्सा है कि इस वजह से लोगों को भूसी भर भी न देंगे (53)
यह ख़ुदा ने जो अपने फ़ज़ल से (तुम) लोगों को (कु़रान) अता फ़रमाया है इसके रश्क पर जले जाते हैं (तो उसका क्या इलाज है) हमने तो इबराहीम की औलाद को किताब और अक़्ल की बातें अता फ़रमायी हैं और उनको बहुत बड़ी सल्तनत भी दी (54) फिर कुछ लोग तो इस (किताब) पर ईमान लाए और कुछ लोगों ने उससे इन्कार किया और इसकी सज़ा के लिए जहन्नुम की दहकती हुयी आग काफ़ी है (55)
(याद रहे) कि जिन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया उन्हें ज़रूर अनक़रीब जहन्नुम की आग में झोंक देंगे (और जब उनकी खालें जल कर) जल जाएंगी तो हम उनके लिए दूसरी खालें बदल कर पैदा करे देंगे ताकि वह अच्छी तरह अज़ाब का मज़ा चखें बेशक ख़ुदा हरचीज़ पर ग़ालिब और हिकमत वाला है (56)
और जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए हम उनको अनक़रीब ही (बेहिश्त के) ऐसे ऐसे (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुँचाएंगे जिन के नीचे नहरें जारी होंगी और उनमें हमेशा रहेंगे वहां उनकी साफ़ सुथरी बीवियाँ होंगी और उन्हे घनी छाव में ले जाकर रखेंगे (57)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा तुम्हें हुक्म देता है कि लोगों की अमानतें अमानत रखने वालों के हवाले कर दो और जब लोगों के बाहमी झगड़ों का फै़सला करने लगो तो इन्साफ़ से फै़सला करो (ख़ुदा तुमको) इसकी क्या ही अच्छी नसीहत करता है इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा सबकी सुनता है (और सब कुछ) देखता है (58)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा की इताअत करो और रसूल की और जो तुममें से साहेबाने हुकूमत हों उनकी इताअत करो और अगर तुम किसी बात में झगड़ा करो बस अगर तुम ख़ुदा और रोज़े आखि़रत पर इमान रखते हो तो इस अम्र में ख़ुदा और रसूल की तरफ़ रूजू करो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है और अन्जाम की राह से बहुत अच्छा है (59)
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों की (हालत) पर नज़र नहीं की जो ये ख़्याली पुलाओ पकाते हैं कि जो किताब तुझ पर नाजि़ल की गयी और जो किताबें तुम से पहले नाजि़ल की गयी (सब पर) ईमान लाए और दिली तमन्ना ये है कि सरकशों को अपना हाकिम बनाएं हालांकि उनको हुक्म दिया गया कि उसकी बात न मानें और शैतान तो यह चाहता है कि उन्हें बहका के बहुत दूर ले जाए (60)

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