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18 जुलाई 2023

विख्यात सूफी संत, पीर ज़ादा मौलाना चमन क़ादरी को , , देश भर के क़ौमी एकता से जुड़े मौलवी , मौलाना पंडित , पादरी , सिक्ख ,,,और सियासत से जुड़े लोग , मोहर्रम के पहली चाँद तारीख ,, 19 जुलाई को क़ौमी एकता के पैगाम के साथ , बूंदी स्थित चमन क़ादरी बगीची में उनके मज़ार पर क़ौमी एकता की दुआओं के साथ खिराज ऐ अक़ीदत पेश करेंगे ,

विख्यात सूफी  संत,   पीर ज़ादा मौलाना चमन क़ादरी को , , देश भर के क़ौमी एकता से जुड़े   मौलवी ,  मौलाना  पंडित , पादरी , सिक्ख ,,,और सियासत से जुड़े लोग , मोहर्रम के पहली चाँद तारीख ,, 19 जुलाई को क़ौमी एकता के पैगाम के साथ , बूंदी स्थित चमन क़ादरी बगीची में उनके मज़ार पर क़ौमी एकता की दुआओं के साथ खिराज ऐ अक़ीदत पेश करेंगे , ,मौलाना चमन क़ादरी का विसाल आज से 11 साल पहले , मोहर्रम की चाँद रात पहली तारीख को , अंग्रेजी तारीख 15 नंवम्बर को हुआ था ,, देश भर से आये उनके अनुयायी,  उनके विसाल के इस दिन को , देश भर में क़ौमी एकता , अमन सुकून की दुआओं के पैगाम के साथ ,  उन्हें खिराज ऐ अक़ीदत पेश करते हैं , जो साल में दो बार कार्यक्रम होता है ,
देश भर के ही नहीं , विश्व भर में , बेहतरीन आलिमों में गिने जाने वाले , सूफी संत , इल्म के जानकार,  मौलाना चमन क़ादरी , हम्द , नात , क़व्वाली भी पुर कशिश आवाज़ में , गाते थे , जबकि , इबादत में मशगुल होकर ,इनका सूफियाना रस्क भी , लोगों के लिए एक ,, खुद को खुदा की याद में खोकर , सब कुछ भुला देने की सीख वाला था ,, बेहतरीन आवाज़ में , इनकी हम्द , इनकी नात विश्व भर में विख्यात रही हैं , मौलाना चमन ,क़ादरी  चालीस सालों तक बूंदी ज़िले के , शहर क़ाज़ी के रूप में कार्यरत रहे , रूहानी इल्म से , यह लोगों की कई बिमारियों के इलाज की शिफा की कामयाब कोशिश भी करते रहे , इन्हे कामयाबी भी मिली , और देश भर में ही नहीं , विश्व भर में , ईरान , इराक़ सहित कई इस्लामिक मुल्क , में , इनके अनुयाई बने , बुराई के खिलाफ अच्छाई ,   की जंग , नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जंग के पैगाम के साथ  मौलाना चमन क़ादरी , देश भर में ,  नफरत के माहौल में क़ौमी एकता के पैगाम के साथ एक जंग जो सिपाही , एक जंगजू फ़क़ीर , सूफी संत बनकर , नफरत बाज़ों के खड़े थे , वोह कहते थे , इस्लाम का एक ही जिओ और जीने दो , मोहब्बत करो , और मोहब्बत से पेश आओ , इसीलिए क़ौमी एकता कमेटी के नाम से आज भी उनके हमदर्द उन्हें हर साल उनकी योम ऐ विसाल पर क़ौमी एकता के पैगाम के साथ , खिराज ऐ अक़ीदत पेश करते है , इस  मौके पर , उनके पुत्र , पूर्व अल्पसंखक आयोग सदस्य , भाई गुड्डू क़ादरी ,  मेज़बान रहते हैं , ,गुड्डू क़ादरी कहते हैं ,, वालिद तो जन्नतुल फिरदोस में आराम फरमा ,हैं  लेकिन उनकी सीख , क़ौमी एकता का पैगाम , प्यार , मोहब्बत , खुलूस का उनके पैगाम , आज भी हमे ,, देश को एक जुट करके साथ रखने की सीख देता है , ,और हमे इस पैगाम को अमल में लाना है , इसलिए हर साल  एक चाँद रात मोहर्रम , दूसरे , 15 नवम्बर को दो बार , देश भर के क़ौमी एकता से जुड़े लोग , यहां आते है , खिराज ऐ अक़ीदत पेश करते हैं ,,,उनके एक शागिर अनुयायी कहते है ,,,
हज़रत अल्लामा पीरज़ादा मौलाना चमन ) कादरी तारिक़ के उस्ताद, सुन्नत के अवतार और सहिष्णुता और अंतरधार्मिक संवाद के लिए भारत के अग्रणी प्रवक्ताओं में से एक थे। वह आज के कठिन समय में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के समर्थक थे और उन्होंने राजस्थान के बूंदी में मुख्य काजी के रूप में कार्य किया। वह वक्फ बोर्ड और हज समिति के सदस्य, अखिल भारतीय कौमी एकता समिति और राजस्थान में अखिल भारतीय सीरेट समिति के अध्यक्ष भी थे। हज़रत साहब ने अपने चाचा, हज़रत मुज़फ़्फ़र अली अल-हनफ़ी ('दाता साहब') की कृपा दृष्टि में एक चौथाई सदी से भी अधिक समय बिताया।
1957, 1969 और फिर 2000 में, उन्होंने सय्यिदुना '-शेख अब्दुल कादिर अल-जिलानी के मजार शरीफ पर ज़ियारा किया। उन्हें हुज़ूर पीर मोहम्मद इब्राहिम बगदादी  से तसव्वुफ़ सिखाने की अनुमति मिली, जो संतों के सरदार, सुल्तान अल-अवलिया के प्रत्यक्ष वंशज और उनके धन्य मकबरे के पूर्व रक्षक थे। हज़रत साहब को इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिस बरेलवी के छोटे बेटे, हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद (अल्लाह उन पर रहम हो सकता है) से प्राधिकरण का प्रमाण पत्र भी मिला वह हिंदी और उर्दू में कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें मैसेज ऑफ पीस, ज्वेल्स फॉर ह्यूमैनिटी, कमांड्स ऑफ शरीयत, सेंट सन ऑफ सेंट और द वे ऑफ पीस शामिल हैं।
 मौलाना चमन क़ादरी साहब का एक खुसूसी इंटरविव मेने खुद बूंदी जाकर उनकी बगीची में लिया ,था  ,, जहाँ अलग अलग परेशानियों , बिमारियों से परेशान लोग , उनकी दुआओं , और रूहानी इलाज के लिए क़तार बद्ध होकर इन्तिज़ार में थे , तो कुछ लोग , तंदरुस्त होने के बाद उनका शुक्रिया अदा कर उन्हें दुआएं दे रहे थे , वोह उन्हें , बदले , में जब कुछ तोहफा देना चाहते तो वोह , मुस्कुरा कर कहते थे , के बस , देश में अमन ,, सुकून क़ायम करो , नफरत छोड़ो ,  मोहब्बत से पेश आओ , क़ौमी एकता के सूत्र में देश को आगे बढ़ाओ , यही मेरे लिए तुम्हारा तोहफा होगा ,,, ,  उनकी पुस्तक , ,क़ौमी एकता और हम , का सम्पादन मेने भी किया है , और वोह पुस्तक सियासी लोगों में मक़बूल , मशहूर हुई , कोटा में , प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए , जब पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंम्हा राव कोटा स्टेडियम पर पहुंचे तो  ,उन्हें यह किताब जब भेंट की गई ,, तो  नरसिंम्हा राव उनके कंधे पर हाथ रखकर, शाबाशी देने के अंदाज़ में बोले,  यह किताब में पढ़ चुका हूँ , तुम्हारा क़ौमी एकता का यह पैगाम , देश भर में ही नहीं विश्व भर ,में ,  फैले मेरी ऐसी दुआ है , नरसिंम्हा राव ,ने  बाद में मौलाना चमन क़ादरी को , दिल्ली में आकर मिलने की दावत भी दी थी ,, मौलाना चमन क़ादरी को , उनके योम ऐ विसाल ,पर  खिराज ऐ अक़ीदत पेश है ,,  अल्लाह उनके बच्चों को , सब्र अता ,फरमाए  , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339 

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