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05 जून 2023

इस्लाम में क़ुरान का हुक्म है , के औरत का हक़ मत खाओ , उसे परेशान मत करो , उसे उसके महर का हिस्सा तुरंत दे दो

 

इस्लाम में क़ुरान का हुक्म है , के औरत का हक़ मत खाओ , उसे परेशान मत करो , उसे उसके महर का हिस्सा तुरंत दे दो , लेकिन इसके खिलाफ , देश भर में ,क़ाज़ी ,, मुफ्ती ,तलाक़ नामे की तस्दीक़ कर ,, गैर इस्लामिक रिवाज को बढ़ावा देकर , ,गुनाह दर गुनाह कर रहे है , जी हाँ दोस्तों , खुला तलाक़ हो , समझौते से तलाक़ हो , महर माफ़ी हो , स्त्रीधन माफ़ी हो , तो कोई बात नहीं , कोटा सहित , देश भर के क़ाज़ी हों , मुफ़्ती हों , ऐसे समझौते के मामले में , उन्हें , दो गवाहान के सामने , तलाकनामा तस्दीक़ करने में कोई ऐतराज़ नहीं हैं , लेकिन आज कल , मुस्लिम औरतों का महर खाने का एक रिवाज बन सा गया है ,उनका हक़ , इद्दत का गुज़ारा खर्च , आजीवन खर्च , स्त्रीधन वगेरा खाओ पियों मौज करो , मस्ती करो के नाम पर, क़ाज़ी , मुफ़्ती , मौलवी , उसे बढ़ावा दे रहे है , सही मायनों में ,महर निकाह के वक़्त मांगने पर , या तत्काल देने का अल्लाह का हुक्म है , अब तलाक़ अगर हो रहा है , अगर तलाक़ चोर दरवाज़े से ,, गैर इस्लामिक तरीके से , बिना किसी समझाइश , बिना किसी क़ुरानी हुक्म ,सूरे अन्नीसां ,सूरे तलाक़ , के हुक्म के खिलाफ ,, महर खाकर दिया जा रहा है ,, ना हम बिस्तरी के बाद तलाक़ , फिर हम बिस्तरी के बाद कोई तलाक़ नहीं , और फिर वकीलों के ज़रिये, एक महीने का एक तलाक़ , दूसरे महीने का दूसरा तलाक़ , फिर तीसरा तलाक़ , दो गवाहों को लेकर, लड़का पक्ष पहुंच गया , क़ाज़ी , साहब ,, मुफ़्ती साहब के पास , क़ाज़ी साहब , मुफ़्ती साहब ने क़ुरआन के हुक्म , औरतों का महर मत रोको , उनका हिस्सा मत खाओ , ,की पालना करवाए बगैर , ,हज़ार , पांच सो रूपये अपनी जेब में डाले , और बस दो फ़र्ज़ी गवाहान के बयानों के आधार पर लड़के के बयानों के आधार पर , तलाकनामा तस्दीक़ कर दिया ,, एक शोहर , जिसका फ़र्ज़ निकाह के वक़्त , उसकी बीवी के साथ ज़िंदगी भर साथ निभाना था , निकाह के वक़्त , एक तय शुदा महर , और तलाक़ होने पर इद्दत अवधि में , उसे गुज़ारा खर्च देना था , उसका स्त्रीधन , हिस्सा देना था , वोह सब , उस शोहर ने क़ुरआन के हुक्म के खिलाफ गबन कर लिया , हड़प कर लिया , बेईमानी कर ली , गुनाह कर लिया , गुनाह इसलिए के जो क़ुरआन के हुक्म के खिलाफ काम करता है , वोह गुनाहगार होता है, , और ऐसे गुनाहगारों को पनाह देने के लिए, , हज़ार , दो हज़ार , पांच सो रूपये के छोटे से मेहनताना के बदले , तलाकनामे , गैर इस्लामिक रिवाज के तलाक़ होने , महर चुकता नहीं करने के बाद भी , तस्दीक़ किये जा रहे ,है जी हाँ थु है ऐसे लोगों पर , ऐसे क़ाज़ी , ऐसे मुफ्तियों पर , जो , गैर इस्लामिक तरीके से , लड़के पक्ष पर, तलाक़ के साथ ही महर देने का लाज़मी क़ानून लागू करने की जगह , उन्हें अदालत में कार्यवाही के नाम पर आज़ाद कर रहे है, अदालत में अगर कोई जाए तो कहते है, क़ाज़ी के पास ही फैसला करा लेते , क़ाज़ी हैं के लड़के पक्ष को तो एक तरफा सुनवाई के साथ, बिना महर की रसीद देखे , लड़के पर महर चुकता करने का दबाव बनाये बगैर , हज़ार , पांच सो रूपये के लालच में, तलाकनामे तस्दीक़ कर गुनाहगार खुद भी बन रहे है, औरतों पर ज़ुल्म करके , इस धरती पर भी इस्लाम की तस्वीर बिगाड़ रहे है, और इसीलिए सभी पर अल्लाह का अज़ाब ऐसे ही लोग नाज़िल करवा रहे है , तोबा का मुक़ाम है , देश के हर शहर के क़ाज़ी , मुफ़्ती , मौलवी को , कोई भी लड़का पक्ष अगर तलाक़ नाम तस्दीक़ कराने आये तो पहले वोह लड़की की महर माफ़ी की रज़ामंदी है या नहीं , अगर महर माफ़ी की रज़ा मंदी नहीं है , तो फिर उसी , इस्लामिक जज के नाते क़ुरआन के रास्ते पर चलकर, तलाकनामा तस्दीक़ करने के पहले , औरत के महर ,इद्दत अवधि के वक़्त के खर्च सहित दीगर हुक़ूक़ के बारे में , लड़के को चुकता करने के मामले में दबाव बनाना चाहिए , तलाक़ को तस्दीक़ करने से इंकार कर देना चाहिए , जब निकाह के वक़्त तय शुदा महर ही नहीं , इद्दत खर्च नहीं , तो फिर , केसा तलाक़ , अगर फ़र्ज़ी तलाक़ हो भी गया तो फिर , इस्लामिक शरीयत के हवाले से ,ऐसे गैर इस्लामिक महर खाऊ , लोगों के तलाक़ नामें को तस्दीक़ कर, गुनाह में क्यों पढ़ रहे हैं , क्यों , गुनाह को बढ़ावा दे रहे हैं , क्यों , औरतों पर ज़ुल्म , उनके महर की राशि , इद्दत अवधि के खर्च ,, को हड़प करने , हज़म करने , के ज़ालिमों के साथ मिलकर , खुद भी ज़ालिम बन रहे है, सवाल औरतों के ज़ुल्म का नहीं , आधे इस्लामी रिवाज का है , के तलाक़ का तो हक़ है , लेकिन महर के लिए अदालत जाओ , यह आधा अधूरा ,, जितना चाहो , मानलो , जितना चाहो , अदालत पर छोड़ दो , हमारे इस्लाम के लिए ठीक नहीं है, ऐसे लोगों को , देश भर में, एक साथ बैठकर, , फैसला लेना होगा , ,जिस शख्स ने तलाक़ दिया हो, और महर , इद्दत अवधि का खर्च , स्त्रीधन वगेरा हड़प कर लिया हो , तो उसके तलाकनामे की तस्दीक़ हरगिज़ ना की जाए , वरना याद रखना , अल्लाह ऐसे हालात बना देगा , के औरत का हक़ खाकर उस पर ज़ुल्म करने वाले , और ऐसे ज़ालिमों का साथ , आंख मीच कर, हज़ार , दो हज़ार तस्दीक़ फीस लेकर, देने वाले गुनाहगार ज़ालिमों को भी अल्लाह नहीं बख्शेगा , फिर कोई आयेगा , इसका क़ानून बनाएगा , और ऐसे लोगों को जेल भेजने, ऐसे लोगों का जिन्होंने तस्दीक़ कर, हौसला अफ़ज़ाई की है, साथ दिया है, उन्हें भी आपराधिक षड्यंत्र रचने , अपराध का साथ देने के मामले जेल की सीखचों में होना पढ़ेगा , क्योंकि अल्लाह का क़ानून , अगर लागू नहीं होता , तो अल्लाह उसे किसी के भी ज़रिये ,कोई रास्ता निकाल ,कर लागू करवा देता है, इसलिए , खुद ही अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ , औरत का महर , इद्दत अवधि खर्च , फेयर प्रोविज़न , स्त्रीधन वगेरा हड़पने वालों के तलाकनामे को तस्दीक़ करने से इंकार कर दें , ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दें , हाँ अगर समझौते से कोई बात हो ,तो यह आज़ादी अल्लाह ने दी है , ,अब शुरू हो जाओ , फतवे लाने के खेल कूद सामग्रियों में ,, लेकिन अनुवाद के साथ क़ुरआन शरीफ ज़रूर पढ़ लेना ,, खुद भी समझ लेना , और क़ुरआन के हुक्म को कोई भी बदल नहीं सकता , उसको तो मानना ही होगा , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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