बद्रीनाथ को मिली रौशनी तो पटरी पर आ गई जिंदगी
2. रौशन हुई बद्रीनाथ की दुनिया
55
वर्षीय कारीगर बद्रीनाथ विनोबा भावे नगर के पास झोपड़ी में रहता है,
इधर-उधर छोटा मोटा कारीगरी का काम करके अपने तीन बेटे चार बेटियों का पेट
पाल रहा है।
अभी थोड़े समय से उसको दोनों आंखों से दिखाई देना बंद होने लगा था,उस पर भी बाई आँख तो पूरी तरह से अपनी रौशनी खो चुकी थी ।
दिखना
बंद हो जाने से ही परिवार में भी आर्थिक संकट आ गया, दाई आँख की भी नजर
कमजोर हो गई थी, किसी ने सूचना दी कि, जवाहर नगर में एक संस्था है,जो कि
दृष्टिबाधित लोगों का इलाज करती हैं, उनके पास चले जाओ वह तुम्हारी आँखों
का इलाज करा देंगे ।
15
दिन पहले बद्रीनाथ अपनी पत्नी जीजा बाई के साथ शाइन इंडिया फाउंडेशन के
जवाहर नगर स्थित कार्यालय में आया और उसने अपनी सारी व्यथा संस्था सदस्यों
को बतायी ।
मेडिकल चेकअप
से यह पता चला कि, उसकी बाईं आँख में मोतियाबिंद पूरी तरह पका हुआ था और
दर्द के मारे, उसका बहुत बुरा हाल था । संस्था सदस्यों ने उसी समय संस्था
के साथ जुड़े चिकित्सक को संपर्क कर दिखाया,तो पता चला कि,उनकी अंधता का
कारण कॉर्निया का खराब होना ना होकर पूरा पका हुआ मोतियाबिंद था ।
स्थिति
ऐसी थी की,यदि तुरंत ही उसको इलाज नहीं मिला तो उसकी आँखों की रोशनी पूरी
तरह जाने का डर था, इसीलिए तुरंत ही उसका ऑपरेशन बहुत ही रियायती दरों पर
संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन और एनएमएफ करनावट ट्रस्ट की ओर से संपन्न
कराया गया ।
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