कोटा
की सियासत को ,, तेज़तर्रार ,,कांग्रेस नेतृत्व ,, विकास ,सोंदर्यकरण
योजनाओं के क्रियान्वन पर खरा उतरने वाले केबिनेट मंत्री शान्तिधारीवाल की
शख्सियत की अहमियत को समझकर , उनके हाथों में सांसद का झंडा देकर उन्हें
बुलंद करने वाले राजीव गांधी की आदर्श नीतियां उनका ,कोटा से जुड़ाव याद आने
लगता है ,,,,,, आधुनिक भारत के निर्माता ,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व
शांति के नेतृत्व ,, देश की एकता , अखंडता ,, सहिष्णुता के लिए ,
आंतकवादियों के क्रूर मानव बम ,हमले में शहादत का जाम पीने वाले
,,, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के शहीद दिवस पर , आज देश
उनकी विकास गाथाये ,,देश के सामने खुले रूप से ,डिजिटल इंडिया ,
कंप्यूटीकृत भारत , आंतकवादियों सहित ,दुश्मन देश के दांत खट्टे कर देने
वाले बोफोर्स तोपों की चर्चा कर रहा है ,जबकि एक कड़वा सच ,जो सरकारी सिस्टम
के भ्रष्टाचार को उन्होंने शीर्ष पद पर रहते हुए अपने अधीनस्थों द्वारा
किया जाना स्वीकार किया , इतना ही नहीं उन्होंने भ्रस्टाचार के खिलाफ
मुहीम चलाई ,,वोह आज भी अनुकरणीय है ,,,एक तरफ ,देश के पूर्व प्रधानमंत्री
राजीव गाँधी की क्रूरतम आंतकवादी हमले में हत्या ,दूसरी तरफ उनकी विधवा
,भारत की आदर्श बहु , देश के प्रधानमंत्री का पद ऑफर होने पर भी ठुकरा देने
वाली त्यागी महिला श्रीमती सोनिया गाँधी की उदारता , जिसमे उन्होंने अपने
पति की क्रूरतम हत्या के आरोपियों की फांसी की सज़ा रुकवाकर ,उन्हें माफ़
करने की अनुशंसा की ,, उनकी यह क़ुर्बानी इस देश को ,इस कांग्रेस ,को इस
गांधीपरिवार को ओर भी महान बना देती है , यूँ तो मेरा भारत महान ,, का सपना
साकार करने के प्रयासों में जुटे ,राजीव गाँधी आतकवाद का शिकार हुए ,लेकिन
उनके सपनो का भारत आज भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके कार्यकाल की संधियों
को याद करता है ,, में बात कर रहा हूँ राजीव गाँधी की उन स्मृतियौं की ,
जो कोटा ,, राजस्थान के सोंदर्यकरण और विकास के लिए एक ऐसे नेतृत्व को
परखकर, उसके जोहरी निकले ,और कोटा के शांति धारीवाल से प्रभावित होकर
उन्होंने ,,शान्तिधारीवाल को , कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र के सांसद का
नेतृत्व दिया , जो आज राजस्थान के लिए संकट मोचक भी है ,,हर समस्या के
समाधान के जंगजू सिपाही भी है ,,सरकार का ऐसा नेतृत्व चेहरा जो जी एस टी
बहस हो , ,विधानसभा में प्रतिपक्ष की तथ्यात्मक बखिया उधेड़ने वाला टकराव
हो ,, सी ऐ ऐ , के खिलाफ प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तार्किक बहस
रही हो , शांति धारीवाल इस मामले में हर दिल अज़ीज़ हीरो भी हैं ,,राजस्थान
,कोटा की सोंदर्यकरण ,विकासयोजनाओं के स्वीकारित केबिनेट मंत्री भी है ,,,
शांति कुमार धारीवाल यूँ तो छात्र जीवन से ही मुखर नेतृत्व थे ,,कोटा
बारां जब एक जिला था ,, शांति कुमार धारीवाल ,निर्वाचित जिलाप्रमुख थे
,ग्रामीण विकास योजनाओं ,पंचायत राज व्यवस्था को ,शान्तिधारीवाल ने
ज़िम्मेदारी से अव्वल दर्जे का जिला प्रमुख बनकर निभाया ,ऐसे वक़्त में कोटा
उम्मेदकलब के मैदान में स्वर्गीय राजीव गाँधी की सभा ,, पंडित नवल किशोर
शर्मा ,,शांति धारीवाल के सियासी गुरु भी मौजूद ,,हज़ारों की तादाद ,, शांति
कुमार धारीवाल की वही ,,शेर जैसी दहाड़ ,तार्किक वक्तव्य ,विकास की योजनाओं
से भरा पूरा भाषण ,,जब राजीव गाँधी ने मंच पर सुना ,, तो वोह खुद
,शांतिधारीवाल की इस शैली से मंत्रमुग्ध हुए बगैर नहीं रह सके ,,राजीव
गाँधी ,नेतृत्व क्षमता की पहचान रखते थे ,एक पारखी जोहरी थे ,बस ,,राजीव
गाँधी ने शान्तिकुमार धारीवाल को ,, कोटा लोकसभा से सांसद का टिकिट दिया
,और शान्तिकुमार धारीवाल , कोटा लोकसभा से ऐतिहासिक जीत लेकर सांसद बने
,,लोकसभा में ,उन्होंने हर मुद्दे को शालीनता लेकिन आक्रामक ढंग से
,मुद्दों के साथ ,साक्ष्य सुबूत ,तथ्यों ,तर्कों के साथ रखा और बस ,फिर
शांति धारीवाल का नेतृत्व जैसा राजीव जी ने सोचा था ,, वैसा ही साबित
होता चला गया ,,आज कोटा की विकास योजनाएं ,राजस्थान का सौन्दर्यक्रत
विकास , राजस्व बढ़ाने की योजनाएं , शान्तिकुमार धारीवाल के कार्यक्रम ,
विकास योजनाये ,,कार्यशैली , प्रतिपक्ष के खिलाफ तेज़तर्रार तार्किक
जवाबदारी ,, हमारे लिए गर्व की बात है ,, में जब धरती करे पुकार अख़बार में
प्रशिक्षु पत्रकार था जब ,मोबाईल नहीं थे ,लैंडलाइन भी ,नंबर प्लीज़ बुकिंग
के बाद ,कई दिनों में लगते थे ,सिर्फ हॉटलाइन ही थी जो वी आई पी सिस्टम के
लिए रहती थी ,उस वक़्त ,मेने ,स्वर्गीय राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री पद पर
रहते हुए ,राष्ट्रिय , अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ,,पत्र साक्षातकार , के तहत
दस सवालात , इस प्रार्थना से लिखकर भेजे के ,इन सवालों का जवाब आप अपनी खुद
की लेखनी मे देंगे ,, तो में अनुग्रहित रहूंगा ,,राजीव गाँधी का एक छोटे
से समाचार पत्र के प्रति सम्मान , देखने लायक था ,कुछ दिनों में एक पत्र
,जिसमे खुद स्वर्गीय राजीव गाँधी ने ,अपनी हस्तलेखनी में जवाब दिया था ,
में धन्य हो गया ,,भारत में पत्र साक्षात्कार के माध्यम से किसी
प्रधानमंत्री के साक्षात्कार की पहली शैली थी , बाद में इसे कई लोगों ने
आगे बढ़ाया ,,, राजीव गाँधी सत्ता से ज़्यादा संगठन को तवज्जो देते थे ,वोह
कहते थे ,संगठन है तो सत्ता है ,,,संगठन ,स्थाई सत्ता टेम्परेरी होती है ,
और संगठन के ज़रिये ही सत्ता में लोग आते ,है एसे में ,मंत्रियों वगेरा को
उनकी संगठन ,, संगठन के पदाधिकारियों , कार्यकर्तों के प्रति जवाबदार रहने
की सख्त हिदायत थी ,वोह खुद संगठन को सत्ता से पहले ,सर्वोच्च स्वीकार
करते थे ,,सेवादल अग्रिम संगठन हो ,छात्र कांग्रेस हो ,,यूथ कोंग्रस हो
,अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ,जो अब विभाग बन गया है ,,उसके पंद्रह सूत्रीय
कार्य्रकमों की शत प्रतिशत क्रियान्वीति हो ,,संगठन की प्रदेश जिला इकाइयां
हों ,जिला स्तर ,पर , राज्य स्तर पर ,,राष्ट्रिय स्तर पर , सेमिनार ,
सम्मेलन , प्रशिक्षण कार्यक्रम हो ,वोह नियमित ,,कांग्रेस संगठन के संविधान
की मर्यादाओं के अनुसार करवाते थे ,,उन्होंने हर ज़िले में प्रशिक्षण
कार्यक्रम के लिए ,,पृथक से अध्यक्ष नियुक्त किये थे ,,खुद हर ज़िले में एक
हिडन ,यानी छुपा हुआ प्रतिनिधि रखते थे ,जिससे वोह उनके ज़िले ,राज्य ,
संगठन ,, प्रशासन का फीडबैक भी लेते थे ,,,वोह विकेन्द्रित सरकार गांवों
में ग्रामीणों की शहरियों की सरकार चाहते थे , उन्हों पंचायत राज ,
पालिकाओं को मजबूती दी , संविधान संशोधित किया , एक स्मृति , कोटा में
बूंदी जाने का राजीव जी का कार्यक्रम ,, उस वक़्त कोटा से एक मात्र प्रकाशित
हिंदी दैनिक जननायक के सम्पादक मालिक ,प्रकाशक के साथ में इस अख़बार के
रिपोर्ट के रूप में उनके साथ उनकी फी एट कार में , हमे सिर्फ एयरपोर्ट के
पास दिए गए ,सर्किट हाउस के पास नहीं थे ,सीधे बूंदी के लिए जनसम्पर्क की
गाडी में व्यवस्था थी ,,,लेकिन भंवर शर्मा अटल , सर्किट हॉउस की तरफ रवाना
हुए ,,सर्किट हाउस के गेट पर ,सिक्योरिटी का विवाद ,,गाड़ी रोक ली गयी
,लेकिन , भंवर शर्मा अटल भी ,जंगजू पत्रकार थे ,वोह गेट पर ही गाडी खडी कर ,
प्रशासन को ,सर्किट हॉउस का पास नहीं देने पर नाराज़गी जताने , लगे इतने
में राजीव जी की गाडी आयी ,वोह भीड़ ,जाम देखकर उतरे ,अटल जी को उन्होंने
साथ लिया ,हमने कार की चाबी एक पुलिस कर्मी को दी और फिर रास्ता साफ हुआ
,,राजीव गाँधी ने प्रशासन को उनसे पत्रकारों को दूर रखने पर नाराज़गी भी
जताई ,, और खुद राजीव गांधी ने ब्लेक ऐंड व्हाइट फोटोग्राफी के ज़माने में
प्रेस फोटोग्राफर्स को पोज़ बनाकर ,हँसते हुए चेहरे के साथ फोटो खिंचवाए ,,
कोटा में ,, जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनूपचंद जेन को बिना सूचना दिए , एक
सुचना प्रसारण मंत्री आये ,,आकाशवाणी का उद्घाटन करके सर्किट हॉउस से ही
चले गए ,भुवनेश चतुर्वेदी उनके साथ थे ,,कोटा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष ने
जब राजीव जी को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज करवाई ,,तो मंत्री जी की राजीव जी
ने संगठन अध्यक्ष ,संगठन की उपेक्षा को लेकर ज़बरदस्त क्लास लेकर उन्हें
संगठन के अधीनस्थ सत्ता है ,,का पाठ पढ़ाया ,, राजीव गाँधी के एक प्रशिक्षण
कार्यक्रम में ,प्रशिक्षक गाँधीवादी नरेश विजयवर्गीय ने भी ,,उन्हें
अनुशासन व्यस्थाओं के तहत रोक दिया था , जिसे उन्होने स्व अनुशासन व्यवस्था
के तहत स्वीकार किया ,,राजीव गाँधी का संगठन में जान फूंकने का एक ही
फार्मूला ,,कार्यकर्ताओं ,संगठन के पदाधिकारियों से सीधा संवाद ,, उनसे
पत्र व्यवहार के माध्यम से संवाद का रिश्ता ,, संगठन पर कभी सत्ता हावी न
हो ऐसी अनुशासित सीख ,,,कांग्रेस संविधान की शतप्रतिशत पालना ,, हर पत्र ,
हर सुझाव पर विचार ,अध्ययन तत्काल जवाब देकर ,कार्यकर्ताओं , पदाधिकारियों
का उत्साहवर्धन ,शिकायतों पर जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही ,, फिर
अनुशासन के डंडे की मार में ,कोई भी कितना ही बढ़ा मंत्री ,,,कोई भी
पदाधिकारी ही क्यों हो , वोह ऐसे स्वम्भू सत्ता के नशे में या ,,ऐसे लोग,
जो यह समझने लगते ,के पार्टी उनके ही भरोसे है ,पार्टी उनसे है ,वोह पार्टी
से नहीं ,,ऐसे लोगों को वोह बाहर का रास्ता दिखाने में भी नहीं चूकते थे
,,शान्तिकुमार धारीवाल ,, ,कोटा ,राजस्थान के नेतृत्व के लिए राजीव जी की
पारखी निगाहों की खोज है ,,खुद शांति धारीवाल ने खुद को उनकी कसौटी पर खरा
साबित करके भी बताया ,है ,,शांति धारीवाल के निर्देशों पर आज कोटा सहित
,राजस्थान में सर्वाधिक बस्तियां ,सर्वाधिक बाज़ार ,,सरकारी योजनाए
,स्वर्गीय राजीव गाँधी के नाम पर ही है , जबकि उनकी स्मृतियाँ ,,उनकी
डिजिटल मूर्तियां भी चोरोहों पर ,शान्तिकुमार धारीवाल के निर्देशों पर ही
राजस्थान के हर बढे ज़िलों में लगाई गयी है ,,कोटा में विज्ञाननगर का राजीव
प्लाज़ा , यहाँ की मूर्ति तो अलग बात ,है लेकिन राष्ट्रिय राजमार्ग झालावाड़
रोड ,कॉमर्स कॉलेज आई एल चौराहे पर ,,राजीव गांधी की आदमक़द ,कम्यूटर हाथ
में लेकर ,,डिजिटल भारत का संदेश देने वाली राजीव जी की यह मूर्ति खुद
शान्तिकुमार धारीवाल ने अपने कार्यकाल में , अपने सुपरविज़न में, रविन्द्र
त्यागी के नगर विकास न्यास चेयरमेंन कार्यकाल में, यादगार बना डाली है
,,राजीव गांधी के संगठन को मज़बूत करने के गुण , कार्यकर्ताओं ,
पदाधिकारियों से संवाद के तोर तरीके , संगठन ,सत्ता से सर्वोच्च का नारा
,,अनुशासन ,प्रशिक्षण कार्य्रक्रम ,, संगठन के संविधान की शत प्रतिशत
पालना ,, कार्यकर्ताओं ,पदाधिकारियों ,, आम आदमी के पत्रों का जवाब ,,उनके
सुझावों पर अमल करना ,,निश्चित तोर पर संगठन को मज़बूत , , पुनर्जीवित ,आम
कार्यकर्तों में शक्ति का संचार भरने का फार्मूला ही है ,,,जो अनुकरणीय भी
है ,ज़रूरी भी है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 मई 2023
कोटा की सियासत को ,, तेज़तर्रार ,,कांग्रेस नेतृत्व ,, विकास ,सोंदर्यकरण योजनाओं के क्रियान्वन पर खरा उतरने वाले केबिनेट मंत्री शान्तिधारीवाल की शख्सियत की अहमियत को समझकर , उनके हाथों में सांसद का झंडा देकर उन्हें बुलंद करने वाले राजीव गांधी की आदर्श नीतियां उनका ,कोटा से जुड़ाव याद आने लगता है
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