. नेत्रदान के लिये 1 घंटा देरी से संपन्न हुआ अंतिम संस्कार
2. नैत्रदान के लिये,मुक्तिधाम में किया परिजनों ने नैत्रदान
3. तेज,आंधी,तूफान बारिश में कोटा से 120 किलोमीटर पहुँच लिया नेत्रदान
नेत्रदान
के क्षेत्र में भवानीमंडी अब झालावाड़ जिले में ही नहीं वरन पूरे हाड़ौती
संभाग में एक प्रमुख नगर के रूप में जाना जाने लगा है, अत्यंत दुख के समय
में भी परिजनों के द्वारा नेत्रदान के लिए स्वयं पहल होने लगी है।
इसी
तरह का एक नेत्रदान भवानीमंडी में मेड़तवाल समाज की महिला गीताबाई की
मृत्यु के पश्चात परिवार के द्वारा स्वयं पहल करके करवाया गया। जबकि इससे
पहले वर्ष 2017 में गीताबाई के बड़े भ्राता छगनलालजी गुप्ता का नेत्रदान भी
परिवार के द्वारा स्वयं पहल करके ही करवाया गया था।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र कमलेश दलाल ने बताया कि भवानीमंडी निवासी
सूरजमल, अशोककुमार, जगदीश एवं कल्याण की माताजी गीताबाई के निधन के पश्चात
मृतका के भतीजे घनश्याम एवं दिनेश गुप्ता ने बुआजी के नेत्रदान की इच्छा
प्रकट की, घनश्याम के पिताजी एवं गीताबाई के भ्राता छगनलालजी गुप्ता का
नेत्रदान पहले हो चुका है,इसलिए परिवार ने अत्यंत सहजता से गीताबाई के
नेत्रदान का निर्णय लिया ।
ज्योति-मित्र
कमलेश जी की सूचना देने पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ को
सूचना दी । जिस समय डॉ गौड़ को सूचना दी गई,उस समय कोटा में काफी तेज आंधी
और बारिश का मौसम हो रहा था, समय पर पहुंचना भी काफी बड़ी समस्या था । कोटा
से सिर्फ 2 घंटे में 24 किलोमीटर की यात्रा करके पहुंचना थोड़ा मुश्किल
था,परंतु आंधी पानी में भीगते हुए 2 घंटे से भी कम समय में डॉ गौड़
ज्योति-रथ से भवानी मंडी के मुक्तिधाम में पहुंच गए ।
जिस
समय शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम भवानीमंडी पहुंची शव यात्रा मुक्तिधाम
पहुंच चुकी थी, सभी उपस्थित परिवारजनों और समाज सदस्यों के बीच मुक्तिधाम
में ही डॉ गौड़ द्धारा नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई, उपस्थित सभी लोगों
ने विशेषकर दूर-दराज़ से आए हुए,अधिकांश लोगों ने नेत्रदान प्रक्रिया को
पहली बार देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर विकृति
नहीं आती है, इसमें केवल आंखों के ऊपर की झिल्ली जिसे कोर्निया कहा जाता है
को ही लिया जाता है, इसमें पूरी आंख नहीं निकाली जाती है, सभी के सामने यह
रक्तहीन प्रक्रिया 10 मिनट में ही पूरी हो गई। बाहर से आए रिश्तेदारों और
समाज सदस्यों ने नेत्रदान प्रक्रिया को देखकर परिवारजनों के नेत्रदान के
निर्णय की अत्यंत सराहना की।
संस्था
के ज्योति- मित्र कमलेश दलाल के अनुसार शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से
यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 83 वाँ नेत्रदान है, एवं इस वर्ष का आठवां
नेत्रदान प्राप्त हुआ है, जबकि भाई और बहन के रूप में किसी परिवार से यह
नगर का पहला नेत्रदान है, वहीं भवानीमंडी से प्रेरित होकर अन्य शहरों में
भी नेत्रदान जागरूकता बढ़ती जा रही है, पिछले महीने ही भवानीमंडी के
नेत्रदान कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर सुनेल, चोमेहला और बकानी में भी
नेत्रदान का कार्य हुआ है।
प्रेषक.
डॉ कुलवंत गौड़,
शाइन इंडिया फाउंडेशन,
कॉल - 8386900102
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