प्रेस क्लब के विधि विधान संचालन में कोन सही कौन गलत के आरोपों से प्रेस क्लब की छवि को ठेस पहुंच रही है , ऐसे में लिखित संविधान के दायरे में सभी को मिलजुलकर , आपसी समझाइश से , प्रेस क्लब को , लिखित संविधान के दायरे में फिर से ज़िंदाबाद करना चाहिए , , नए सदस्य भी बनें , पात्र लोग , लोकतान्त्रिक तरीके से , चुनाव लड़े जो जीता वही सिकंदर बनकर , प्रेस क्लब हित में काम करे तो ही ठीक रहेगा ,,
राजस्थान सोसायटी एक्ट 1958 की धारा 12 के तहत पंजीकृत प्रेस क्लब केनाल रोड कोटा ,, को ना जाने किसकी नज़र लग गई है , जो लोग इस क्लब के फाउंडर , रक्षक, संरक्षक , प्रेसक्लब के भवन को नीवं की ईंट से लेकर अपने भवन के सपनों को साकार करने वाले रहे है वही अब ,, सियासी वाद विवादों के चलते , नियमों के संरक्षण के प्रयासों के बाद , वाद विवादों के घेरे में है , आरोप प्रत्यारोपों के घेरे में हैं , ,प्रेस क्लब का मेमोरेंडम ऑफ़ एसोसिएशन है जिसमे 7 नियम 5 उप नियम है , जबकि आर्टिकल ऑफ़ एसोसिएशन में 12 नियम और 85 से भी ज़्यादा उप नियम हैं , ,प्रेस क्लब संचालित करने के नियम , समय समय पर बदले गए हैं संशोधित किये गए है और उन्हें मानना , अनुशासित तरीके से , उन्हें लागु करना , प्रत्येक सदस्य , पदाधिकारी की नैतिक और संवैधानिक ज़िम्मेदारी हैं , वंस अपॉन ऐ टाइम , इस प्रेस क्लब में आरोप प्रत्यारोप चलते थे , फिर सभी लोग आपस में खुलकर गले मिलते थे , नोटिस बाज़ी , सदस्य्ता से निकालना , रिनिवल के वक़्त , आवेदन पत्र नहीं देने जैसी कोई भी अव्यवस्था नहीं थी , फिर चुनाव हुए , , चुनाव होते ही , पहली खेप में , हारने वाले गुट के ,, चुनाव संयोजक को , द्वेषता पूर्ण , तरीके से , रिनिवल नहीं किया , आवेदन नहीं दिया , सभी को चेताया गया , के यह शुरुआत है , इसे समझाइश कर नहीं रोका , तो आज इनकी बारी है तो कल तुम्हारी बारी है , हुआ यही , फिर दैनिक अख़बारों के ,मालिक सम्पादकों को भी दूध में से मक्खी की तरह निकाला साधारण सभा में तय होने के बाद भी उन्हें फिर सदस्य नहीं बनाया , फिर निर्वाचित लोग, जो प्रेस क्लब के सदस्यों के वोटों से , लोकतान्त्रिक तरीके से जीत कर आये थे एक एक कर उन काँटों को निकाला , फिर चुनाव की परिपाटी खत्म , असहमति पर नोटिसबाज़ी , असहमति के बाद भी , बहुमत आमसभा निर्वाचन शुरू हुआ , , हाल ही में , कुछ सदस्यों के ज़मीर जागे उन्होंने संविधान के संरक्षण और विधि अनुसार कार्यवाही की शपथ ली , प्रेस क्लब को बचाने , प्रेस क्लब को संविधान की भावना के अनुरूप चलाने के समझाइश प्रयासों के मामले में असफल होने के बाद , उन्होंने प्रेस क्लब का संविधान ,, जिस सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत है , जो संस्था इसकी गार्जियन है , वहां उन्होंने एप्रोच की , जिला कलेक्टर जो इस संस्था का प्रधान होता है , उन्हें बताया , सरकारी तटस्थ पर्वेक्षण में निर्वाचन की मांग उठाई , डर खौफ का वातावरण ना रहे , वाद विवाद ना हो , इसलिए प्रतीकात्मक रूप से पुलिस भी वहां , इंसाफ के मोरल सपोर्ट के लिए मौजूद रही , प्रेस क्लब के चुनाव के वक़्त भी ,, पुलिस व्यवस्थार्थ आती जाती रही हैं , लेकिन फिर असहमति हुई निर्वाचन की मांग हुई , और निर्वाचन अधिकारी नियुक्त नहीं हुए , निर्वाचन किया जाना प्रचारित कर दिया , और अब , जो कभी हमदर्द थे , संरक्षक थे , दोस्त थे , सलाहकार थे , वोह सब संवैधानिक चुनाव की मांग करने पर कांटे हो गए , बस फिर इन सभी को सदस्य्ता समाप्त करने के नोटिस दिए गए,, लेकिन प्रेस क्लब के एक वर्ष में हर हाल में साधारण सभा बुलाने के कठोर नियम का उलंग्घन हुआ , एक वर्ष में साधारण सभा की बैठक नहीं हुई , नतीजा , क्लब के संविधान का उलंग्घन होने पर कार्यकारिणी स्वत भंग हो गई , और नए तटस्थ व्यक्ति की उपस्थित में चुनाव का नियम लागू हों गया , खेर जो होना था हुआ , नियम अभी में आगे पेश कर रहा हूँ , उक्त नियमों के तहत ही प्रेस क्लब संचालित कर लो , फिर से सदस्य्ता बहाल करो , विधि के अनुरूप जो पात्र हैं , सदस्य बनाओ , और फिर चुनाव लड़ लो , आम सहमति बना लो , अनुभवी लोगों के अनुभवों का लाभ ,लेकर फिर से , प्रेस क्लब को ज़िंदाबाद कर डालो , यहां पत्रकारिता के संवर्धन की गतिविधियां फिर से तेज़ी से सम्पादित करवा डालो , आपस में मिलो बैठो, सलाह मशवरा करो ,, प्रेस क्लब हित सर्वोपरि मानकर आपसी द्वेष भाव भूलकर , गले मिलो , एक दूसरे की भावनाओं को समझो , ,, समझाओ , , आधा दर्जन से ज़्यादा सदयों को , नोटिस दिनांक 11 अप्रेल 2023 बिना डिस्पेच नंबर का नोटिस
प्रेस क्लब के संविधान की धारा 3 की उपधारा 12 का हवाला देलकर दिया गया हैं जबकि प्रेस क्लब के संविधान में कई अन्य विधिक बाध्यताएं और प्रावधान , भी हैं , प्रेस क्लब के उक्त संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत अगर कोई भी सदस्य पदाधिकारी कार्य करे तो प्रेस क्लब के हर सदस्य को प्रेस क्लब के संविधान ,, को विधि नियमों के तहत संरक्षित करने के प्रयास करने का विधिक अधिकार है ,
सर्वपर्थम प्रेस क्लब के संविधान के अनुरूप सदस्य्ता अभियान नहीं चलाया गया , प्रेस क्लब के सदस्य नहीं बनाये गए , प्रेस क्लब में सर्वसम्मति नहीं होने पर भी , सर्वसम्मति या बहुमत के आधार पर बिना किसी निष्पक्ष निर्वाचन अधिकारी और संविधान में एक व्यक्ति के दो बार एक पद पर रहने के बाद , उसी पद पर निर्वाचन नहीं करने का विधिक प्रस्ताव पारित हुआ , फिर भी , गत तथाकथित चुनाव में , बहुमत के आधार पर बिना किसी निर्वाचन अधिकारी के चुनाव करवाए गए , इस बार भी , सर्वसम्मति नहीं होने पर भी , भी एक वर्ष के भीतर सवेधानिक प्रावधान के तहत आम सभा बुलाने में असफल रहने के कारण क्लब के विधि नियम के तहत पूरी कार्यकारिणी स्वत ही भंग होने नियम होने पर भी, संविधान की धारा 5 की उपधारा 6 में लिखित नियम एक वर्ष में बैठक बुलाने में कोताही बरतने पर कार्यकारिणी और सभी पदाधिकारी ,,, एक वर्ष के बाद स्वत भंग होने पर , कोई भी कार्यवाही करने के लिए अधिकृत नहीं थे ,
प्रेस क्लब एक विधि विधान , संविधान के तहत गठित हैं , और लोकतान्त्रिक तरीके से गुप्त मतदान के आधार पर यहां निर्वाचन होता रहा है , प्रेस क्लब के जिस नियम 3 की उपधारा 12 का जो हवाला अपने दिया ,है , में सहमत हूँ , उक्त आचरण से में ही नहीं , आप और कार्यकारिणी का हर सदस्य सभी पाबन्द हैं , ,इसमें अगर कोई सदस्य ,, मेमोरेंडम , या आर्टिकल्स ऑफ़ एसोसिएशन की लागू धाराओं की उपेक्षा या अवहेलना करता है , तो उसकी सदस्य्ता ख़ारिज होगी , अब इस धारा का उलंग्घन लागू करके देखिये ,, सदस्य पदाधिकारियों के बारे में देखिये , अब प्रेस क्लब के संविधान की धारा 5 की उपधारा 6 का अवलोकन करें ,,, संचालन समिति का कार्यकाल दो वर्ष रहेगा , अगर एक वर्ष में वार्षिक साधारण सभा नहीं बुलाई जाती है तो यह कार्यकारिणी भंग की जायेगी ,, और नए चुनाव एक माह में कराने के लिए साधारण सभा 11 सदस्यों की तदर्थ समिति बनाकर चुनाव करवायेगी , अब कार्यकाल में , गत वर्ष की बैठक ,9 मार्च 2022 को अगर होना साबित होती है तो एक वर्ष 8 मार्च 2023 को बैठक होना थी और अगर ऐसा नहीं हुआ , तो कार्यकारिणी स्वत ही भंग हो जाती हैं ,, , , और नए चुनाव होना थे , लेकिन बैठक एक वर्ष के बाद रखवाई , तो यह संविधान का उलंग्घन है , और कार्यकारिणी स्वत ही भंग हो गई , ,ऐसे में दूसरे लोगों ने निष्पक्ष चुनाव की मांग करने पर भी , जब कोई विचार नहीं किया , तो संबंधित अधिकारीयों से प्रेस क्लब की अस्मिता , विधान को बचाने का ,प्रयास प्रत्येक प्रेस क्लब के सदस्य का कर्तव्य , हो जाता है , ,, प्रेस क्लब के की धारा 6 उपधारा 2 के तहत चुनाव ज़रूरी हैं जबकि नियम 6 की उपधारा 10 ले तहत समिति का हर कार्य क्लब के नियमों उपनियमों के तहत संचालित होने का सख्त क़ानून है , एक वर्ष के भीतर साधारण सभा नहीं बुलाई तो विधान का उलंग्घन माना जाएगा , ,फिर वर्तमान साधारण सभा में जिन नामों का अपने नोटिस में हवाला दिया है वोह तो सर्वसम्मति खिलाफ थे , यानी सर्वसम्मति हरगिज़ नहीं थी , ऐसे में निर्वाचन अधिकारी नियुक्त होता , धारा 7 की उपधारा 3 के तहत निष्पक्ष चुनाव निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करवाते , दो बार अध्यक्ष रहने वाले एक पद पर दो बार रहने वाले तो वैसे भी , निर्वाचन के लिए अयोग्य हैं , उनका निर्वाचन किसी भी तरह से , विधि विधान के तहत नहीं रहता , नियम 8 की धारा 8 की उपधारा 4 में कोष के बारे में साफ़ लिखा है , के कोष का उपयोग केवल क्लब के हित में उसके उद्द्श्यों की पूर्ति , में व् उसका कार्य चलाने में किया जा सकता है , लेकिन इस विधि नियम के खिलाफ ने क्लब के कोष की निधि में से ,,किसी को हिस्सेदार बनाया जाता है , तो शायद गलत हो जाता है , ,,,
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 अप्रैल 2023
प्रेस क्लब के विधि विधान संचालन में कोन सही कौन गलत के आरोपों से प्रेस क्लब की छवि को ठेस पहुंच रही है ,
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