आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

31 मार्च 2023

कोटा सहित राजस्थान में जिला और राज्य स्तरीय बैठकों के सुझाव निर्णय अमल में आयें तो दोषसिद्धि बढ़ेगी , अपराधियों पर अंकुश लगेगा,

 

कोटा सहित राजस्थान में जिला और राज्य स्तरीय बैठकों के सुझाव निर्णय अमल में आयें तो दोषसिद्धि बढ़ेगी , अपराधियों पर अंकुश लगेगा,
राजस्थान में अपराध नियंत्रण , न्यायालयों में पैरवी के वक़्त सावधानियां सहित कई मामलों में , जिला स्तर , राज्य स्तर पर त्रेमासिक , मासिक बैठकें आयोजित होती हैं , इन बैठकों के मामले में जिला कलेक्टर्स , राज्य सरकार के अधिकारी अगर गंभीर हो जाये , हर बिंदुओं पर मिले सुझावों ,, निर्णयों पर शत प्रतिशत अमल होने लगे , तो अधिकतम मामलों में , दोषियों को सज़ा मिले , जबकि , अनुसंधान अधिकारीयों के प्रशिक्षण पर भी कार्यवाही होने लगे , लेकिन यह सिर्फ फोर्मलिटी होने के कारण , अधिकतम मामलों में , अभियुक्त अनुसंधान की कमियों , गवाहों के पक्षद्रोही होने , अभियोजन पक्ष की कमज़ोरियों की टिप्पणियों के साथ , बरी किये जा रहे हैं ,, जिला स्तर पर हर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में , एक बैठक , लोकअभियोजकों , अपर लोक अभियोजकों के साथ होती है , जिसमे संबंधित पुलिस अधीक्षक , विधि अधिकारी , न्याय विभाग प्रबंधन देख रहे ,अतिरिक्त कलेक्टर मौजूद रहते हैं , ,दूसरी बैठक , हार्डकोर क्रिमनल्स के खिलाफ कार्यवाही , अन्य सुझावों के मामले में , उप निदेशक अभियोजन लोक अभियोजक , जिला कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में होती है , जबकि , एक बैठक , जिला जज की अध्यक्षता में , जिला कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक वगेरा के बीच में होती है , जिला जज के समक्ष बैठक को अगर हम छोड़ दें , तो , किसी भी दूसरी बैठकों में पुलिस अधीक्षक तो कभी जाते ही नहीं , कभी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक , तो कभी , उप अधीक्षक , कई बार तो सी आई लेवल के अधिकारी ही बैठक में आ जाते है , कई बार फोन करके ऐसे अधिकारीयों को बुलाना पढ़ता है , जब सरकार में बैठे अधिकारी , ऐसे गंभीर अपराध नियंत्रण मामले में पहले से ही बने ,नियम, बैठके आयोजित करने , उनके फैसलों को लागू करवाकर ,भविष्य में , अपराधियों के खिलाफ गंभीर कार्यवाही करवाने के मामले में , फैसलों पर अमल नहीं होता है , पुरानी कमियों ,, गलतियों को सुधारने की तरफ कोई क़दम नहीं उठाया जाता है , तो फिर विपरीत परिणाम आते हैं, कोटा में जिला कलेक्टर,ओ पी बुनकर के आने के बाद अलबत्ता इस तरह की बैठकों की गंभीरता समझी जाने लगी है , लेकिन , दूसरी बैठकों के साथ इस तरह की बैठक होने से , बैठक एक रस्म बनकर रह जाती है , और कोई निर्णय नहीं हो पाते है ,, राजस्थान के हर ज़िले के लिए , राजस्थान सरकार के लिए यह एक गंभीर प्रश्न है , अगर पुलिस अधीक्षक , हर जिला कलेक्टर , संबंधित अभियोजन अधिकारी , लोक अभियोजक , अपर लोक अभियोजक को ऐसी बैठकों की गंभीरता के बारे में सख्ती से निर्देशित किया जाए , बैठक के लिए पर्याप्त समय रखा जाए , पुलिस अधीक्षक की बैठक में , उपस्थिति सुनिश्चित की जाए , और अनुसंधान के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम हो तो , अभियुक्त के बचने ,, उनके बरी होने के चांस बहुत कम रह जाते है , व्यवहारिक रूप से , एफ एस एल रिपोर्ट समय पर नहीं आती , चालान 173 (8 )सी आरपीसी में , अनुसंधान जारी रखने के निर्देश के साथ पेश होता है , तो अगली अनुसंधान कार्यवाही पत्रावली में आती ही नहीं , लोकअभियोजकों के कार्यालयों में , पत्रावलियां संधारित करने का ही स्थान नहीं है , बैठने का कार्यालय नहीं , पृथक से गवाहान को समझाने का कक्ष नहीं , फिर गवाहों की तलबी समय पर नहीं , तलबी होती है , तो अधिकारी , क़ानून व्यवस्था में व्यस्त रहते हैं , आते है तो माल नहीं लाते , माल आ जाता है , तो खुद दूसरे व्यस्ततम मामलों में इतने थके हुए होते है , उलझे हुए होते है , के गवाह मामले में , पूर्व रिफ्रेश भी नहीं हो ,पाते यही वजह है के डकैती की योजना बनाते वक़्त पकड़े जाने वाले अभियुक्तों के पास से , हथियार बरामद होने पर भी , कई ,बार विरोधाभासी बयानों के कारण वोह बरी हो जाते है , हद तो यह , है के सेशन ट्रायल के मुक़दमों की चार्जशीट पेश करने के,पहले सरकारी वकील से संबंधित चार्जशीट की कमियों को ठीक करवाने की रिपोर्ट जिसे ब्रीफ कहते है , का भी प्रावधान है , जो , सेशन ट्रायल मामले होने पर भी , अधीनस्थ न्यायालय वाले अभियोजन अधिकारी से , ब्रीफ बनवाया जाता है , जबकि सेशन लोक अभियोजक से ही यह ब्रीफ होना चाहिए , और ऐसे ब्रीफ में भी , जब सरकारी वकील द्वारा कई कमिया गिनाई जाती ,है कई कमियों को ठीक करने , दस्तावेज लगाने के नॉट डाले जाते है ,तब भी ब्रीफ पर ध्यान दिए बगैर ही , चालान ,, चार्जशीट पेश हो जाते है , केस ऑफिसर स्कीम में , अधिकारी उपस्थित नहीं होते , गवाहों को पूर्व में ही , अपने नियंत्रण में ,लेकर सुरक्षा नहीं देते , बयान समझाते नहीं , होना यह चाहिए के , गवाह के पास , तामील तत्काल हो , और तामील के साथ , संबंधित गवाह का , जो भी गवाही का हिस्सा हो , उप अधीक्षक की रिज़र्व, पत्रावली में से उसकी फोटो कॉपी करवाकर, उस गवाह को पूर्व में ही उसकी गवाही की तय्यारी के लिए उसे प्रति उपलब्ध कराई जाए , इतना ही नहीं , जो चालानी मुंशी हैं , उन्हें गवाह को साथ लेकर सरकारी वकील तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी दी जाए , ताकि न्यायालय में गवाह पेश होने के पूर्व , अपने बयानों को याद कर सके और उसे भरोसा भी हो के पुलिस उसे संरक्षित कर रही है , होस्टाइल गवाह में , अगर मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देने के बाद भी गवाह मुकरा है , तो उसे , सज़ा देने के लिए संज्ञेय अपराध दंडात्मक बनाकर , संशोधन की तत्काल ज़रूरत है , न्यायालय में भी हर पक्षद्रोही गवाह के खिलाफ तथ्यों के आधार पर संज्ञान लेने का प्रार्थना पत्र पेश कर दण्डात्मक कार्यवाही की शुरआत होना चाहिए ,, जबकि बैठकों को नियमित जिला कलेक्टर की अध्यक्षता , पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति सुनिश्चित कर , बैठक में जो भी सुझाव आये , जो भी फैसले हो , उनका निराकरण तत्काल सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है , लोक अभियोजक , अपर लोक अभियोजक , अभियोजन अधिकारी , अनुसंधान अधिकारीयों के लिए , अर्धवार्षिक , रिफ्रेशर कोर्स , हर हाल में करवाना ज़रूरी है , राजस्थान सरकार सभी जिला कलेक्टर्स कार्यालयों में आयोजित ऐसी बैठकों ,, के मिनट्स बैठकें हुई भी या नहीं , आये गए सुझावों , निर्णयों पर कार्यवाही में लापरवाही क्यों हुई, उसकी भी समीक्षा करे , और भविष्य के सुधारों के लिए हर ज़िले में लोकअभियोजक , अपर लोक अभियोजक के लिए पृथक से कार्यालय , गवाहों को समझाइश के लिए कक्ष , सहित ऐसी बैठकें नियमित हो उनके फैसलों को तत्काल लागू करवाए जाए , और गवाही में उपस्थिति ,में गवाही की तलबी में लापरवाही बरतने वाले ,पुलिसअधिकारी पुलिस कर्मियों ,, अनुसंधान अधिकारीयों , ,केस ऑफिसर स्कीम में लापरवाही बरतते वाले अधिकारीयों के खिलाफ भी कार्यवाही के निर्देश जारी करें , जबकि , पूर्व दोष सिद्धि साबित करने, संशोधित आर्म्स एक्ट में , गैंगेस्टर अपराधी के लिए पूर्व अपराध की साक्ष्य के साथ प्रमाणित प्रतिलिपियाँ पेश करवाने के निर्देश भी हों , ताकि हार्डकोर अपराधियों को सबक़ सिखाने वाली सज़ा न्यायालय के विधिक प्रावधानों के तहत दिलवाई जा सके ,, अभी बुधवार को , कोटा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में आयोजित हार्डकोर अपराधियों पर कार्यवाही के लिए आयोजित बैठक ,में में खुद अख्तर खान अकेला , उपस्थित था , जबकि , उप निदेशक अभियोजन श्रीकांत जी ने भी , बैठक के एजेंडे के साथ कई सुझाव प्रेषित किये है ,, देखते हैं , इन पर अमल कब से शुरू होता है , ,एक ब्रेक के बाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...