में एक आज़ाद पंछी ,खुले आकाश में उड़ने वाला पंछी , कई साल पहले ,कितने साल पहले अब याद नहीं आज ही के दिन 10 मार्च निकाह के एक दिन पहले ,मुझे बहला फुसलाया ,नए कपड़े पहनाये ,,घोड़ी पर बिठाया ,, फिर दूसरे दिन निकाह , बीवी मुट्ठी खोल में तेरा गुलाम कहलवाया गया ,और बस मुझे पिंजरे में क़ैद करवा दिया ,,एक जेलर , एक कमांडर मुझे अपनी जागीर समझने लगे ,रोज़ दिन में मुझे क्या करना है ,क्या खाना है ,क्या पहनना है ,किस्से मिलना है ,किस्से नहीं मिलना है ,इस पर तीसरे नेत्र की तरह ,सी सी टी वी कैमरे की तरह से निगरानी होने लगी ,,मेरे लिए सुबह निर्देशित कर ,शाम को किये काम काज ,नहीं होने वाले कामकाजों की रिपोर्ट देना मजबूरी हो गयी ,शुरू में तो मुझे क्रोध आया ,गुस्सा आया ,मेने संघर्ष किया ,लेकिन हर बार हार जाने के बाद ,मेरा संघर्ष धीमा हुआ ,में सरेंडर हुआ , और अब उँगलियों के इशारे पर नाचने लगा हूँ ,मेरी जेलर ,मेरी कमांडर एक खुली जेल के क़ैदी की तरह सुबह मुझे छोड़ती है ,फिर वही रात को ,इस खुली जेल में , कभी यह कमाण्डर झूंठ भी बोलती है ,,में नियमित अगर चार चपाती खाता हूँ ,तो चुपके से चार की जगह पाँच चपाती रख देती है पूंछने पर झूंठ नहीं चार ही चपाती थी कहकर घुड़काती है ,,, कोई भी महमान आ जाए उसकी ज़िम्मेदारी मुझे निभाने ही नहीं देती ,पहले से ही उनकी महमानवाज़ी पूरी हो जाती है ,,में बुरा यह सबसे अच्छी ,में गैर ज़िम्मेदार यह ज़िम्मेदार ,,यह रिश्तेदारों की हमदर्द ऐसा कुछ जादू घरवालों पर रिश्तेदारों पर किया है के बस मेरे चुप रहने में ही भलाई है ,,,यह जेलर अब अकेली नहीं है ,, एक सॉफ्टवेयर इंजीयनर सब जेलर ,,एक डॉक्टर महिला जेलर ,,एक प्यारी सी बिटिया जेलर को भी , इसने अपने साथ टीम में शामिल किया है ,,बस क्या करूं ,, गुज़िश्ता सालों से ,,सुख दुःख में एक दूसरे के साथी बनकर ,,प्यार मोहब्बत ,,तकरार के साथ ,, खुशियों और भविष्य की खुशगवार योजनाओं के साथ आपकी दुआओं के इन्तिज़ार में में इस खूबसूरत क़ैदख़ाने में पढ़ा हूँ ,,क्या करूं सोता हूँ तो खुशनुमा ख्वाब देखता हूँ ,उठता हूँ तो चाय ,नाश्ता खाना टेबल पर मिलता है ,,कपड़े मैचिंग के साथ टेबल पर ,रुमाल ,टॉवल ,मोटरसाइकल कार की चाबी हाथ में मिल जाती है ,,,बच्चों की ज़िम्मेदारी में सांझेदारी है ,,घर में महमाननवाज़ी की ज़िम्मेदारी से मुक्ति है ,,एक स्वर्ग सा एक जन्नत से घर की इस जेल का माहौल है , सोचता हूँ चलो जेल ही सही ,,उम्रकैद ही रहे ,खुशियों के साथ ,सह्तयाबी के साथ ,इस खतरनाक जेलर और तीनों इनके अधीनस्थ सब जेलरों के साथ ,अम्मी की दुआओं ,,भाई ,, बहनों के प्यार ,,,साले ,सलेज ,सालियों , साड़ुओं ,मामा ,मामियों ,, रिश्तेदारों ,दोस्तों के साथ ,आप लोगों के साथ बस इस जेल की कहानी यूँ ही ,खूबसूरती से ,मोहब्बत के जज़्बे के साथ गुज़रती रहे ,पर 10 मार्च का यह दिन हर बार नई खुशियों का पैगाम लेकर आये ,,मेरी शरीक ऐ हयात ,खतरनाक जेलर का खतरनाक पन यूँ ही सदियों , सदियों चलता रहे,, बेटे के लिए बेहतर बहु ,,बेटियों के लिए बेहतर दामाद भी ऐसे ही जेलर की टीम में शामिल होकर ,मुझे प्यार ,,मोहब्बत ,कामयाबी , खुशियों के क़ैदख़ाने में क़ैद रखें ,,,, आमीन सुम्मा आमीन ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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