बेशक जहन्नुम घात में है (21)
सरकशों का (वही) ठिकाना है (22)
उसमें मुद्दतों पड़े झींकते रहेंगें (23)
न वहाँ ठन्डक का मज़ा चखेंगे और न खौलते हुए पानी (24)
और बहती हुयी पीप के सिवा कुछ पीने को मिलेगा (25)
(ये उनकी कारस्तानियों का) पूरा पूरा बदला है (26)
बेशक ये लोग आख़ेरत के हिसाब की उम्मीद ही न रखते थे (27)
और इन लोगो हमारी आयतों को बुरी तरह झुठलाया (28)
और हमने हर चीज़ को लिख कर मनज़बत कर रखा है (29)
तो अब तुम मज़ा चखो हमतो तुम पर अज़ाब ही बढ़ाते जाएँगे (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 मार्च 2023
बेशक जहन्नुम घात में है
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