प्रतिष्ठा में ,
आदरणीय मुख्य न्यायधीश महोदय
उच्चतमं न्यायालय ,,, नई दिल्ली , भारत सरकार
विषय ,, राजस्थान के कोटा कोचिंग हब में , छात्र , छात्राये क्यों सुसाइड कर रहे , इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के जज के नियंत्रण में करवाकर , प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर , दोषी लोगों को सज़ा देने और कोचिंग , स्कूल , प्रशासन सरकार के लिए आदर्श गाइडलाइन , दंडात्मक क़ानून बनाकर ,सुसाइड कारणों को , प्रतिबंधित कर ,इसके उलंग्घन पर कठोर दंड के प्रावधान का क़ानून बनाने के निर्देश जारी करने के क्रम में ,,
मान्यवर ,
सादर वनदे ,, हैदराबाद में आपने ,, द नेशनल एकेडमी ऑफ़ लीगल स्टडीज़ ऐंड रिसर्च , के दीक्षांत समारोह में , आप ने , मुंबई आई आई टी के एक छात्र की आत्महत्या के मामले में संवेदना प्रकट कर ,शिक्षण संस्थानों को ,छात्र सुसाइड क्यों कर रहे हैं , इस पर विचार करने का सुझाव दिया है , यक़ीनन , देश भर में खासकर कोटा में इस तरह की आत्महत्याओं को रोकने के लिए , आपका यह बयान , कई छात्र छात्राओं को अनावश्यक आत्महत्याओं के कारणों को प्रतिबंधित करने वाला हो सकता है , इसके लिए , राष्ट्रिय स्तर पर ,राज्य स्तर पर , शिक्षण संस्थानों , स्कूलों , संस्थाओं , कोचिंग सहित , सरकारी प्रबंधन ,. चिकित्सा प्रबंधन , बालकल्याण समितियों का प्रबंधन ,, , आत्महत्या मर्ग मामले में 174 , 176 सी सार पी सी की जांच रिपोर्ट्स की ईमानदाराना जाँच का परीक्षण ,, प्रशासनिक व्यवस्थाओं को नियंत्रित करते हुए , कई मामलों में संयुक्त विचार विमर्श के बाद देश भर में आदर्श गाइडलाइन के साथ , एक दंडात्मक क़ानून बनाना ज़रूरी हो गया है , जिसमे छात्र , छात्रों , को क्या सुविधाएँ आवश्यक रूप से मिलें , उनका मनोविज्ञान क्या रहे , उनके कॅरियर के लिए , बालकल्याण समिति की निगरानी में पेरेंट्स इच्छानुसार या उनकी क्षमता अनुसार किस में एडमिशन करवाए , वगेरा वगेरा मामले में , विस्तृत जांच , माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश जी निगरानी में जांच करवाकर , क़ानून बनाना ज़रूरी है , जिसका निर्देश दिया जाए तो छात्र हित , राष्ट्रहित में बेहतर होगा ,,
आदरणीय आपका तहे दिल से धन्यवाद , के आपने इस मानवीय संवेदना से जुड़े इस मुद्दे पर संज्ञान लिया , और खुले रूप से अपना विचार भी प्रकट किए , आदरणीय कोटा कोचिंग छात्र छात्रों में , देश विदेश से लोग पढ़ने आते हैं , लेकिन यहां अचानक , आत्मत्याओं का आंकड़ा बढ़ने से कोटा आहत है , इसे रोकने के लिए , सरकार ने गाइड लाइन भी बनाई है , लेकिन अपर्याप्त है , फिर भी रोज़ मर्रा ,, ऐसी दर्दनाक घटनाये सुनने , और पढ़ने को मिल रही हैं ,
आदरणीय अभी हाल ही में , कोटा से प्रकाशित एक समाचार पत्र , दैनिक जननायक के सम्पादक सी ई औ ,बी एस झाला ,, सम्पादक , राजेश जी त्रिपाठी ने , कोचिंग , स्कूली छात्र छात्राओं की आत्महत्या के कारण और निवारण पर एक टोक शो रखा था , जिसमे कई मुद्दे उभर कर सामने आये थे , ,आदरणीय प्रथम तो , हर आत्महत्या की जांच उसके कारणों को खोजने के लिए वैज्ञानिक तरीके से होना ज़रूरी है , और आत्महत्या के कारणों की खोज कर , उन कारणों को खत्म करना , दोषी लोगों को , दंडित करना आवश्यक है ,, यहां कोचिंग में पहले , एडमिशन के वक़्त , स्क्रीनिंग करते हुए , डॉक्टर्स , इंजीनियर्स की कोचिंग के पहले , परीक्षा लेकर , गिनती के छात्र छात्राओं को प्रवेश दिया जाता था लेकिन अब हर छात्र छात्रा को , चाहे उसके नंबर कितने ही कम हो , उसे , कॉमर्शिलय कोचिंग व्यवस्था के तहत एडमिशन दिया जाता है , उस पर हॉस्टल की कोई निगरानी नहीं , कोचिंग में , कोई निगरानी नहीं , एक टीचर चालीस से अधिक बच्चों को नहीं पढ़ा सकता , लेकिन बे गिनती की भीड़ को , यह टीचर्स पढ़ाते है , अलग अलग टीचिंग ग्रुप है , बेच बने हुए है , इंटेलिजनेत , नॉन इंटेलिजेंट , वगेरा वगेरा , इससे बच्चा मनोवैज्ञानिक तरीके से मानसिक दबाव में रहता है , एक तरफ तो , कम नंबर वाले बच्चे को भी , उसके पेरेंट , कोचिंग हब , की मरीचिका में आकर यह मान लेते है के मेरा बेटा भी डॉक्टर इंजीनियर बनेगा ,. उसे एडमिशन करवाया जाता है , और फिर निराशावाद उसमे जन्म ले लेता है , इसी तरह , कुछ इच्छा के विरुद्ध बच्चे , एडमिशन जिनका हो जाता है , वोह घूमते फिरते है , आपस में दोस्ती करते है , ड्राप आउट हो जाते है ,तब भी कोटा में ही रहते है , और आपस में प्रेम भाव जाग्रत होने से , होटलों में , एक एक घंटे , जाते है , संबंध बनाते है , फिर गड़बड़ होने पर ,भी ऐसी घटनाये , झगड़े , प्यार में नाकामयाबी इसका कारण है , पुलिस कहती है , के लिव इन रिलेशन शिप की छूट है , हम इन्हे होटलों में एक एक घटे जाने से भी नहीं रोक सकते , आदरणीय , कोटा कोचिंग के हज़ारों हज़ार छात्र ऐसे है , जो पुरे वक़्त कोचिंग में उपस्थ्ति रहते है , लेकिन उनके टेंथ , इलेवंथ , ,ट्वेल्थ में , एडमिशन , या तो , उनके अपने राज्यों के स्कूलों में होतें हैं , या फिर वोह कोटा के ही डमी स्कूलों में दिखावा मात्र मोटी फीस भरकर एडमिशन ले लेते है , स्कूली शिक्षा तो कोचिंग छात्रों के लिए मृतप्राय हो गयी है , हज़ारों हज़ार , डॉक्टर्स ,, इंजीनियर ऐसे बने हैं , जिन्होंने कोचिंग शिक्षा ली है , स्कूली शिक्षा , सी बी एस ई या राजय के स्कूलों की पढ़ाई कैसे होती है , इसका उन्हें ज़रा भी ज्ञान नहीं है , क्योंकि उन्होंने स्कूल सिर्फ फीस जमा कराने जाते वक़्त ही देखा है , फिर कभी वोह स्कूल गया ही नहीं , ऐसे में कोचिंग छात्र , छात्राएं , प्रशिक्षित , इस आयु वर्ग के लोगों को पढ़ाने वाले ,बी ऐड , एस टी सी , जो बल मनोविज्ञान भी पढ़कर आते है जिन्हे आयुवर्ग के बदलाव के वक़्त , बेटियों ,बेटों को कैसे ट्रीट किया जाता है , प्रशिक्षण का कोर्स होने पर ही नियुक्त किया जाता है , ऐसे बच्चे उनके सम्पर्क में नहीं आते , और वोह बेटी , बेटों के आयु वर्ग के बदलाव के वक़्त उनके दोस्त , हमदर्द बनकर , उन्हें गाइड करने के लिए नहीं होते ,तो गंभीर मनोवैज्ञानिक परिणाम होते है , आदरणीय ऐसी आत्महत्याओं के कारणों की जाँच भी , खाना पूर्ति होती है , मर्ग दर्ज हुआ , 174 सी आर पी सी की कार्यवाही हुयी , और बस एफ आर पेश क्योंकि ऐसे छात्र , उनके पेरेंट्स बाहर के होने से , वोह जाँच की खोज खबर के लिए भी मौजूद नहीं रहते , और भी कई कारण है , निराशावाद के , कॉमर्शियल सेट अप , कोचिंग गुरुओं को ,प्रशासन , सरकार और मीडिया के गठबंधन की वजह से खुली छूट ,, सब कुछ जिनकी सूक्ष्म जांच , आदरणीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश से , राष्ट्रिय हित में होना ज़रूरी है ,
अतः मान्यवर के समक्ष , ह्यूमन रिलीफ सोसायटी कोटा की तरफ , से ज्ञापन भेजकर , निवेदन है की इस मामले आपकी संवेदनशीलता है , आपसे उम्मीद है के देश के भविष्य जो , वक़्त से पहले ही , निराशावाद में जाकर , आत्महत्या कर रहे है ,, इन्हे रोकने , कम करने के लिए , ,माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश महोदय के नेतृत्व में , एक जाँच आयोग गठित किया जाए , अधिकतम छह माह में यह जांच पूरी हो , स्कूलों की शिक्षा को डमी शिक्षा बनाने के खिलाफ , स्कूलों , सरकारों के खिलाफ कार्यवाही हो , एक विस्तृत आदर्श गाइड लाइन बनाकर , उसकी पालना सुनिश्चित हो , और इसके उलंग्घन पर , कोचिंग , स्कूल , पेरेंट्स , पुलिस , डॉक्टर्स , मीडिया ,, प्रशासनिक अधिकारी , सरकार के मंत्री , बाल कल्याण समिति वगेरा वगेरा सभी के खिलाफ दंडात्मक क़ानून के प्रावधान किये जाएँ , शायद कुछ बच्चे , अनावश्यक अकाल मृत्यु ,, आत्महत्याओं से बच जाएँ , धन्यवाद ,
प्रार्थी ,
अख्तर खान अकेला ,
महासचिव ह्यूमन रिलीफ सोसायटी
2 थ 15 मैन रोड , विज्ञाननगर , कोटा राजस्थान 324005
मोबाइल 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 फ़रवरी 2023
विषय ,, राजस्थान के कोटा कोचिंग हब में , छात्र , छात्राये क्यों सुसाइड कर रहे , इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के जज के नियंत्रण में करवाकर , प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर , दोषी लोगों को सज़ा देने और कोचिंग , स्कूल , प्रशासन सरकार के लिए आदर्श गाइडलाइन , दंडात्मक क़ानून बनाकर ,सुसाइड कारणों को , प्रतिबंधित कर ,इसके उलंग्घन पर कठोर दंड के प्रावधान का क़ानून बनाने के निर्देश जारी करने के क्रम में ,,
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