मैं बेवफाई के दौर में अब बता मोहब्बत कहाँ से लाऊँ
मेरे लिए जो लड़े जहाँ से मैं वो रिफाकत कहाँ से लाऊँ
जहाँ की बेएतनाइयों ने मुझे भी पत्थर बना दिया है
करे जो मसरूर तेरे दिल को ,मैं वो नज़ाक़त कहाँ से लाऊँ
हबीब मेरे मुझे बता दे, मैं वो अक़ीदत कहाँ से लाऊँ
दिलो के ये मरहले अजब है ,दिलों के है फैसले अनोखे
जो तेरी दीवानगी को समझे मैं वो लियाक़त कहाँ से लाऊँ
मैं गुरबतों में पली बढ़ी हूँ मैं गर्दिशे वक़्त से लड़ी हूँ
मैं तुझको कैसे ख़रीद पाऊँ, मैं तेरी क़ीमत कहाँ से लाऊँ
बताओ कैसे मिटेगी दूरी बताओ कैसे मिलेंगे ये दिल
तू मेरी आदत कहाँ से लाये, मैं तेरी फ़ितरत कहाँ से लाऊँ
मुझे तो मिटटी में हाथ अपने अभी बहरहाल सानना है
जो तेरे अंदर ख़ुदा ने दी है मैं वो नफ़ासत कहाँ से लाऊँ
सिया सचदेव
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