तुम्हारे इबादतघर की मरम्मत नहीं हो रही , तुम्हे सरकारी ओहदो की सियासी नियुक्तियों से दूर कर दिया , तुम्हे संगठन में ओहदों से दूर कर दिया , तुम्हे आपस में भड़का कर लड़ाने की कोशिशें है , फिर भी तुम एक दूसरे पर छींटाकशी करते हो , अपने हक़ के लिए खड़े नहीं होते, , अरे तुम्हारे मुंहे में तो जुबां है , तुम्हारी जुबां तो तलवे नहीं चाट रही , , तुम तो चमचे नहीं , गुलाम नहीं , हाथ बांध कर खड़े रहें वाले नहीं , तुम क्यों अपना फ़र्ज़ नहीं निभाते , तुम क्यों अपने मसाइलों को लेकर आवाज़ नहीं उठाते, तुम भी तो फ़र्ज़ निभाओ , दूसरे की तरफ ऊँगली उठाने के पहले ज़रा अपनी तरफ उठने वाली चार उँगलियों को तो ज़रा देखिएगा भाईजान ,, ,
चलो हम तो कोंग्रेसी है , चलो हम तो भाजपाई है , चलो हम तो राजनीतिज्ञ है , तलवे चातु है , लेकिन तुम, लाखों लाख लोग , करोड़ों करोड़ लोग , तो आज़ाद हो ना , तुम्हारे इबादतघरों , तुम्हारे , मसले , मसाइलों पर, हमारी तरफ क्यों झांकते हो , हमारे कहने से वोट क्यों डालते हो , खुद , क्यों बगावत नहीं ,करते अपनी ज़िम्मेदारियों को समझ कर, खुद क्यों , अपने इबादतघरों , अपनी समस्याओं के लिए , मीटिंगे क्यों नहीं करते, , क्यों , कलेक्टर, मंत्री , मुख्यमंत्री , सांसद , विधायक , के सामने जाकर, उनकी आँखों में आँखे डालकर, उनका घेराव कर , अपनी जायज़ बात क्यों मनवाते , थोड़ा ज़िम्मेदार बनिये , खा गए , मिल गए , सेटिंग कर लिया , चमचे है , चापलूस हैं , कहना बंद कीजिये , अपनी ज़िम्मेदारी निभाइये , उठाइये क़लम , लिखिए अपनी बात , उठाइये गाड़ी , जाइये ,, मंत्री जी ,विधायक जी , कलेक्टर के पास, उठाइये , क़लम , खोलिये सोशल मीडिया एकाउंट खुल कर लिखिए , अपनी समस्या अपनी समस्या को , अटकाने वाले ज़िम्मेदारी को खुलकर वोट नहीं देने के लिए धमकाइए, तुम्हे कोई रोकने , कोई टोकने आये तो कहना ज़रूर , लेकिन झूंठ फरेब , के साथ नहीं , सियासी नाराज़गी की वजह से नहीं , कॉम के मुद्दे ,, जायज़ ,वाजिब मुद्दे होना चाहिए , हथियार बनकर, वोटों की सियासत के लिए नहीं , ऐसा अब तक हम करते तो आये है , तो रोज़ पिट रहे हैं , जेलों में पढ़े है , बेरोज़गारी बढ़ रही है , सरकारी नौकरियां नहीं , ट्रांसफर के लिए तरस रहे हैं , बिजिनेस के लिए लोन नहीं , सरकारी ओहदों पर, सियासी नियक्तियाँ नहीं , पार्टी में टिकिट नहीं , पार्टी में , जिला अध्यक्ष , ब्लॉक अध्यक्ष , वगेरा वगेरा जैसे महत्वपूर्ण पद , जनसंख्या , वोटिंग अधिकतम होने पर भी नहीं , हमारे खुद के समाज के ज़िम्मेदारों के हाथों में ,जब ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की क़लम रही ,तब भी उन्होंने खुद तो बन गए , लेकिन अपने समाज के एक भी ब्लॉक अध्यक्ष को , बनाना मुनासिब नहीं समझा , हमारे नाम पर टिकिट लेते है , पार्टियों को ब्लेकमेल करते है , लेकिन हमारे इबाद्घरों की समस्याएं हो , हमारे मसले , मसाइल हों , राजनितिक उपेक्षा के मामले हो , हमे संगठन में पद नहीं देने के मामले हों , एक शब्द भी हमारे नाम पर टिकिट लेने , हमारे नाम पर ,बेलेंस सियासत का हवाला देकर, संगठन में पद लेने वाले , कितने लोग है , है , जो विधायक है , हारे हुए विधायक है ,सरकार में प्रसाद पर्यन्त पदों पर बैठे हैं , जो हमारी आवाज़ बनते है , कितने तुम्हारे विधायक है , जो विधानसभा में तुम्हारी आवाज़ उठाते है , अरे तुम्हे तो , वक़्फ़ सम्पत्तियों के बचाव के लिए एक विधायक वक़्फ़ का सदस्य दिया है , जिसकी ज़िम्मेदारी है के विधानसभा में वक़्फ़ की सम्पत्तियों के बारे में सवाल उठाये , लेकिन क्या एक भी वक़्फ़ बोर्ड सदस्य ने आज तक वक़्फ़ सम्पत्ति सुधार के मामले में , अतिक्रमण हटाने , सरकार की क़ब्ज़ेदारी हटाने के मामले में , कभी भी कोई भी एक सवाल भी विधानसभा में अगर उठाया हो तो मुझे एक भी उदाहरण बता दें , तो फिर तलवे तुम किसके चाट रहे हों , ,तुम्हारे वक़्फ़ मंत्री , अल्पसंख्यक मंत्री ने , कभी भी एक भी मामले में ,तुम्हारे किसी भी मुद्दे की पैरवी की हो, तुम्हे हक़ दिलवाने के लिए विधानसभा या विधानसभा के बाहर संघर्ष किया हो , तो प्लीज़ एक उदाहरण भी बता दो , हमारे अपने ही , हमे नोच नोच कर खा रहे हैं , और हम ज़िम्मेदार दूसरों को बताकर , हमारी ताक़त खत्म कर रहे हैं , , हमारा अल्पसंखयक विभाग क्या कभी हमारी समस्याओं पर बोला है , प्रदेश कांग्रेस कमेटी , या मुख्यमंत्री आवास के बाहर अपने हक़ के लिए कभी धरना , प्रदर्शन या फिर मांग पत्र दिया है , हरगिज़ नहीं , किसी विधायक ने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की हो , कोई आवाज़ उठाई हो , हरगिज़ नहीं , तो फिर तुम्हे इंसाफ कैसे मिलेगा ,तुम वक़्फ़ की ज़िम्मेदारी , इबादत घरों की ज़िम्मेदारी , के लिए वक़्फ़ कमेटी का गिरेहबान नहीं पकड़ते , तुम वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन को नहीं ,पकड़ते तुम वक़्फ़ बोर्ड में जो सदस्य सत्ताधारी विधायक होते हैं , उन्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहराते, वक़्फ़ के जो ,मंत्री है उन्हें ज़िम्मेदार नहीं बताते , कलेक्टर के पास तक जाने में तुम्हारे पैरों में महंदी लग जाती है , और तुम कहते हो , हम मुसलमान है , अमुक नेता मुस्लिम विरोधी है वोह हमारे काम नहीं होने दे रहा , अरे वक़्फ़ तुम्हारा ,, इबादतघर ,तुम्हारा हॉस्टल तुम्हारा , मंत्री तुम्हारा ,, वक़्फ़ बोर्ड तुम्हारा इसका विधायक तुम्हारा , अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमेन तुम्हारा , तुम खुद , अपने काम करने के लिए स्वतंत्र , आवाज़ उठाने के लिए स्वतंत्र, पत्र लिखने के लिए स्वतंत्र धरने , प्रदर्शन , आंदोलन के लिए स्वतंत्र और तुम , अपने लोगों के गिरेहबान में अपनी इन समस्याओं के लिए तो हाथ नहीं , ,डालते ऐरे , गेरो को ज़िम्मेदार बताकर अपनी ताक़त जाया करते हो , जो थोड़ा बहुत , ज़िम्मेदार चमचागिरी , चापलूसी या अपनी हिकमत से बने है ,तो आर एस एस के लोगों से विरोधियों से , पैकेज लेकर, , उन बेचारों को टारगेट कर, यह चमचे है , यह दलाल है , कहकर उनका मान मर्दन करना चाहते हो , वोह चमचे है , वोह डरपोक है ,तो तुम क्या हो , तुम क्यों आवाज़ नहीं उठाते , क्या तुम्हारे हलक़ में जुबां नहीं , क्या तुम्हे कलक्ट्रेट का रास्ता याद नहीं , क्या तुम्हारी क़लम स्याही नहीं , क्या तुम्हारे सोशल मिडिया पर तुम्हे सच लिखने का हक़ नहीं , क्या तुम्हे धरने प्रदर्शन का हक़ नहीं , क्या तुम्हे , तुम्हारे विधायक , वक़्फ़ चेयरमेन , जिला कमेटियों , वक़्फ़ बोर्ड , अल्पसंख्यक आयोग , संगठन के अल्पसंख्यक विभाग से जवाब मांगने का हक़ नहीं , जाओ तो सही , हिलो तो सही , क्या इबादतघर का मरम्मत का काम ,, तुम्हारी ज़िम्मेदारी में नहीं , क्या तुम्हारी क़ौम की परेशनियां दिक़्क़तें उनके साथ हो रही नाइंसाफियां , उनके खिलाफ संघर्ष तुम्हारा फ़र्ज़ नहीं , तो जनाब सोचो , खुद कुछ करो दूसरे के बारे में कहने पहले अपने गिरेहबान में झांको ,, एक हो जाओ , पहले अपने ज़िम्मेदार लोगों को तो अपनी समस्या कहो , उनका बहिष्कार करो , उन्हें मालाएं पहनाना बंद करो , उनके पिछलग्गू बनना बंद करो , अगर यह लोग निकम्मे है , तो सार्वजनिक रूप से इनके खिलाफ आवाज़ बनो , इन्हे सिर्फ तुम्हारी कॉम के है ,इसलिए पद मिले , इसलिए इन्हे टिकिट मिले , इसलिए इन्हे पार्षद , महापौर , उप महापौर बनाया जाये , यह सोचना बंद करो , जो बने हैं वोह अपनी ज़िम्मेदारियाँ कितनी निभा रहे हैं , तो जनाब हम कोटा की ही बात लें , वोटों की ही बात लें , पुरे कोटा में हम पांच लाख के लगभग ,,, एक विधानसभा में हम पैसठ हज़ार , एक में चालीस हज़ार , एक में अड़तीस हज़ार , एक में बीस हज़ार ,, एक में बाइस हज़ार, उन्नीस हज़ार ,, हैं , वोटों से सरकार बनाते है , फिर भी ,, जब पार्टी सत्ता में नहीं रहती तो सत्ता में आने के लिए , तीन निर्वाचित , तीन सहवृत , प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य बनाती है , एक ब्लॉक अध्यक्ष बनाती है , और अब , दो प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य , एक बाहर का , और ब्लॉक अध्यक्ष में बाबा जी का ठुल्लू , एक भी मंत्री दर्जा पद , कोटा के तुम्हारे किसी भी आदमी को नहीं , इबादतघरों की समस्या जस की तस , पंद्रह सूत्रीय बैठकें नहीं , मदरसा बोर्ड का चेयरमेन नहीं , सब कुछ गुड़ गोबर है , अरे हम तो गुलाम है , तुम तो आज़ाद हो ना, तुम तो बोलो ना,तुम तो लिखो ना, या बस यह नौकर है , यह हाथ बांधे खड़े रहते है , यह चमचे है , गुलाम है , इनकी जुबां हलक़ में अटक जाती है , अपने ही लोगों को कोसकर, तुम अपने फ़र्ज़ को निभाना समझते रहोगे, अरे उठो यार , अंगड़ाई लो ,यार लोगों को इकट्ठा करो यार , लोगों को , सच्चाई से आगाह कराकर , जागरूक करो यार , लोगों को , पाने निकम्मे पदों पर बैठे ज़िम्मेदारों के पास लेजाकर, पहले उनसे खुलकर बात करो यार , फिर वोह नाकारा साबित हों तो तुन्हे भी मुर्दाबाद करो यार , तुम खुद अपने वाजिब हक़ के लिए , लोकतान्त्रिक तरीके से, क़ानून के दायरे में, विरोध प्रदर्शन करो , कलेक्ट्रेट के बाहर , मुख़्यमंत्री के , ,बाहर ,, मंत्री के बाहर, प्रदर्शन करो यार, अख़बारों में खबरें छपवाओ , समस्याएं छपवाओ , अखबार नहीं छापें तो सोशल मीडिया पर ,, पोस्टें लिखकर, एक दूसरे से शेयर कर मर्यादित भाषा में पोस्ट कर माहौल बनाओ यार ,, , तुम भी इंसान हो , ज़िम्मेदार हो , तुम्हारे पैरों में महंदी थोड़ी लगी , है ,तुम्हारे हाथ लकवाग्रस्त थोड़ी है , तुम्हारी जुबां थोड़ी हलक़ में अटकी हुई है ,तुम तो ज़िम्मेदार बनो यार , वोटों के टाइम पर, सिर्फ उसे चुनो , जो तुम्हारा है , तुम्हारे लिए हक़ की लड़ाई करता है , भेड़ चाल की तरह , या फिर बहकावे में आकर , निर्दलीयों के नाम पर , पानी ताक़त जाया मत करो यार ,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 जनवरी 2023
तुम्हारे इबादतघर की मरम्मत नहीं हो रही , तुम्हे सरकारी ओहदो की सियासी नियुक्तियों से दूर कर दिया , तुम्हे संगठन में ओहदों से दूर कर दिया , तुम्हे आपस में भड़का कर लड़ाने की कोशिशें है , फिर भी तुम एक दूसरे पर छींटाकशी करते हो , अपने हक़ के लिए खड़े नहीं होते,
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