खुद दिव्यांग थे,इसलिये दृष्टिहीनों के लिये कर गये नैत्रदान
2. दृष्टिहीनों के लिये नैत्रदान कर गये, दिव्यांग रामप्रसाद
3. तेज़ ठंड में, कोटा से भवानीमंडी पहुंच कर लिया नेत्रदान
अंग
की महत्वता क्या होती है ? यह एक दिव्यांग बहुत अच्छी तरह से समझता
है,जीवन भर विकलांगता के कारण इस कमी को महसूस करने वाले भवानीमंडी निवासी
72 वर्षीय रामप्रसाद पोरवाल अपनी मृत्यु के पश्चात दो लोगों को नई नेत्र
ज्योति दे गए।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन,भवानीमंडी शाखा के ज्योति मित्र कमलेश दलाल ने बताया
कि,भवानीमंडी के गोली बिस्कुट व्यवसायी रामप्रसाद पोरवाल के निधन के बाद
वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी अविनाश जैन एवं पत्रकार जगदीश पोरवाल की प्रेरणा से
मृतक के भाई रमेशचंद्र,भतीजे शेखर व मिनेश पोरवाल ने रामप्रसाद जी के
नेत्रदान करवाने का निर्णय लिया ।
कमलेश
जी सूचना देने पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड ,अपने साथ सहायक
उत्कर्ष मिश्रा को कोटा से साथ लेकर कार से भवानीमंडी के लिए रवाना हो गए
बीच रास्ते में घना कोहरा और तेज ठंड थी इसके बाद भी सुबह 10:00 बजे
रामप्रसाद जी के निवास पर पहुंचकर उनका नेत्रदान डॉ गौड़ ने प्राप्त किया ।
घर
पर उपस्थित सभी परिवारजनों एवं समाज सदस्यों के सामने नेत्रदान संपन्न
हुआ, उपस्थित सभी व्यक्तियों विशेषकर महिलाओं ने भी नेत्रदान की प्रक्रिया
को अच्छी तरह से देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर
विकृति नहीं आती है, इसमें केवल आंखों के ऊपर की झिल्ली जिसे कोर्निया कहा
जाता है को ही लिया जाता है, इसमें पूरी आंख नहीं निकाली जाती है, यह
रक्तहीन प्रक्रिया 10 मिनट में ही पूरी हो गई।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 76 वाँ
नेत्रदान है । इस माह जनवरी में अभी तक संस्था के सहयोग से पूरे हाड़ौती
संभाग से 36 नेत्रों का संकलन किया जा चुका है ।
प्रेषक.
डॉ कुलवंत गौड़
शाइन इंडिया फाउंडेशन,
8386900102
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