आपका-अख्तर खान

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23 अप्रैल 2022

कहतें है , जब शासन में क़ानून व्यवस्था में लगे हुए लोग , मनमानी करते है , शासकों के अपमान पर , कोई कार्यवाही नहीं करते है , तो फिर ऐसे शासकों के खिलाफ , बुद्धिजीवी भी योजनाबद्ध तरीके से झूंठ बोलकर ,झूंठ लिखकर ,डंके की चोट पर , बकवासबाजी करते है

 कहतें है , जब शासन में क़ानून व्यवस्था में लगे हुए लोग , मनमानी करते है , शासकों के अपमान पर , कोई कार्यवाही नहीं करते है , तो फिर ऐसे शासकों के खिलाफ , बुद्धिजीवी भी योजनाबद्ध तरीके से झूंठ बोलकर ,झूंठ लिखकर ,डंके की चोट पर , बकवासबाजी करते है , उनकी छवि बिगाड़ने के लिए सोशल साइट पर , पोस्टें करते है , प्रकाशित करते है , उनका अपमान करते है , और हमारे भोले भाले कोंग्रेसी , थाने जाते है , बड़ी जद्दो जहद के बाद , शिकायत देते है , और परिवाद का खर्रा लेकर वापस आजाते है , कोई एफ आई आर नहीं , कोई कार्यवाही नहीं , यही मंज़र सोनिया गांधी के मामले में मेने अपनी आँखों से देखा है , सोनिया गाँधी के अपमान मामले में तो , मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार और संबंधित लोगों को भी आधे दर्जन से भी ज़्यादा पत्र लिखे जा चुके है , लेकिन पुलिस है  के इन मामलों में गंभीर होती ही नहीं , सोनिया जी का अपमान ,, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पमाण , झूंठ फैलाकर , झूंठ लिखकर उनका मुख्यमंत्री का अपमान , कोटा पुलिस की नज़र में तो कोई अपराध ही नहीं है , लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय जिनके पास ग्रह मंत्रालय भी है , वहां के अधिकारी , विशेषाधिकारी , ज़िम्मेदार अधिकारी , ऐसे मामलों में लिखित पत्रों को देखकर भी अनदेखा क्यों कर रहे है , ऐसे लापरवाह , ज़िम्मेदार अधिकारीयों को आज भी ज़िम्मेदार पोस्टों पर क्यों लगा रखा है , यह एक फरियादी , एक कोंग्रेसी , एक सोनिया गांधी के प्रति सम्मान रखने वाला कार्यकर्ता , एक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गांधीवादिता , सरलता , को सेल्यूट कर , उनके मान सम्मान की रक्षा की बात करने वाला हो , उसके यह सब ढील पोल हरगिज़ हरगिज़ समझ में नहीं आ पा रही है ,, कोटा  में हाला ही में नामचीन चिकित्स्क , डॉक्टर सकैत गोयल ने ,  मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत के एक बयान को अख़बार की कतरन के साथ , उलटे तरीके से , झूंठ लिखकर , विधायकों को  मुख्यमंत्री के खिलाफ उकसाने की साज़िश रची है , , मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत ने , भाजपा द्वारा सरकारें गिराने ,सरकारें तोड़ने के मामले में विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले में कहा था , गर्व है की सियासी संकट में विधायक 10 करोड़ रूपये में भी नहीं बिके , गहलोत साहब ने , सिविल सर्विसेस डे के कार्यकम में , राजस्थान के सियासी संकट का हवाला देते हुए , 34 दिन होटलों में रहने की बात कहते हुए साफ कहा था , के हमारे विधायक उस वक़्त उन्हें दस करोड़ का ऑफर होने पर भी , उनके प्रलोभन में नहीं आये , उन्होंने विधायकों के इस करेक्टर की तारीफ करते हुए कहा था , के मुझे इस पर गर्व है , अब इस खबर की कतरन के साथ , डॉक्टर साकेत गोयल साहब ने , ,क्या लिखकर प्रकाशित किया , यह भी देख लीजिये , आज राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार की नग्न स्वीकृति , हमारे अपने मुख्यमंत्री द्वारा , विधायकों के लिए इससे बढ़ी शर्मनाक बात और कुछ नहीं हो सकती , अब उन्हें बिकाऊ माना जाता है , इसे उन्होंने अंग्रेजी में भी ट्रांसलेट करके लिखा है , यानि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों की तारीफ की , और इन जनाब ने मुख्यमंत्री के हवाले से विधायकों को यह भड़काने का प्रयास किया के उन्हें बिकाऊ बताया गया है ,  यह उनके लिए शर्मनाक है , यानि , सोशल मिडिया पर सायबर क्राइम   की मर्यादाओं के खिलाफ , डॉक्टर साकेत गोयल साहब ने , मुख्यमंत्री के बयान को लेकर जो खबर विधायकों के सम्मान में छपी थी उसे  मुख्यमंत्री हवाला बताकर , उलटी ही कर दे , ऐसा बताने का प्रयास किया के मुख्यमंत्री महोदय ने , विधायकों को बिकाऊ कहा है ,और विधायकों के लिए यह शर्मनाक है , यह सब कृत्य , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि बिगाड़ने की साज़िश के तहत , उनके बयान को गलत तरीके से प्रचारित करने , कांग्रेस कार्यर्कताओं , और विधायकों को भड़काकर , झगड़ा फसाद करने के लिए उकसाने , आपराधिक अभित्रास करने , अपमान करने ,, मुख्यमंत्री के खिलाफ खुद की वाल पर ,एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज तय्यार करने जिससे मुख्यमंत्री की ख्याति , छवि , गाँधीवादी छवि को नुकसान पहुंचे , कोंग्रेसी भड़के , वाद विवाद हो , यह सब एक शांति , अमन , सुकून भांग करने की साज़िश है, जो साइबर क्राइम के साथ साथ , 469 , 505{2 } , 503 . 506 सहित कई भारतीय दंड संहिता की धाराओं में अपराध है , इस मामले में , पहले तो यह मुगालता था , के डॉक्टर साकेत गोयल की इस पोस्ट को  उन्होंने बिना सोचे समझे ज्ञानाभाव के कारण पोस्ट कर दी , गैरइरादतन पोस्ट हो सकती है , जो वोह भूल सुधारकर , पोस्ट डिलीट कर ,देंगे  लेकिन दुस्साहस देखिये ,, जब कुछ कांग्रेस कार्यर्कताओं ने इस पोस्ट का विरोध किया , तो भूल सुधारने की जगह , डॉक्टर साकेत गोयल साहब , उन टिप्पणियों के साथ , लिखते है , अब  मुझे पार्टी की स्लीपिंग सेल  का इंतज़ार है , इस पोस्ट पर छींटाकशी करने के लिए , फिर वोह लिखते है , आ गए बहुत सारे  , यानी डॉक्टर साकेत गोयल ने यह पोस्ट , जिसमे अख़बार की कतरन में क्या छपा है , और उन्होंने उस बयान का भावार्थ किस तरह से मुख्यमंत्री और विधायकों के बीच में , दरार डालने की साज़िश के तहत यह पोस्ट के अल्फ़ाज़ लिखे है , विधायकों , कोंग्रेसी कार्यर्कताओं को भडकाकर झगड़ा करने , उकसाने का प्रयास दुबारा किया है , ,डॉक्टर साकेत गोयल इसके पहले भी कोरोना के वक़्त , एक समाज के खिलाफ घृणास्पद टिप्पणी कर चुके है , फिर इन्हे खुद को कोरोना होने के वक़्त इन्होने उस पोस्ट को डिलीट कर दी थी , ,डॉक्टर साकेत गोयल के इस कृत्य के खिलाफ  कांग्रेस के दुष्यंत कुमार ने , जब पोस्ट लिखी तो , झालावाड़ के एक चिकित्सक ने मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत के लिए फिर गंदी टिप्पणी कर डाली , यूथ कांग्रेस के प्रदेश सचिव बूंदी ज़िले के प्रभारी , भाई हरपाल राणा जब इस मामले में , मुक़दमा दर्ज करवाने के लिए अपनी टीम के साथ विज्ञाननगर थाने पहुंचे तो उनकी रिपोर्ट ही नहीं लिखी , फिर हंगामा देखते हुए , उप अधीक्षक थाने आये उन्होंने अपराध तो नहीं माना , इसलिए एफ आई आर दर्ज नहीं की , लेकिन परिवाद के रूप में ज़रूर दर्ज करने के निर्देश दिए , हरपाल राणा को भटकाने का प्रयास किया गया के डॉक्टर्स के खिलाफ मुक़दमा तो दर्ज ही नहीं हो सकता , फिर हरपाल राणा ने कहा , यह मेडिकल नेगिलीजेंसी या इलाज के दौरान का कृत्य नहीं है , यह जानबूझ कर सोची समझी साज़िश के तहत ,फेसबुक सोशल मिडिया पर , भड़काऊ आपराधिक प्रकाशन है , तब कहीं , परिवाद की चिट्ठी उन्हें पकड़ाई गयी , ,इसके पहले सोनिया गांधी जी का एक पत्र , जो उन्होंने प्रधानमंत्री जी को लिखा था , उस पर तोड़ मरोड़ कर , उनके अल्फ़ाज़ों का मज़ाक़ उढ़ाकर , अपमानकारी टिप्पणी करने वाले एक डॉक्टर के खिलाफ एक वर्ष पूर्व मेने मुक़दमा दर्ज कराने का प्रयास किया था , कई महीनों तक तो कुछ नहीं हुआ , फिर   मुख्यमंत्री जी को कई पत्र लिखने के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक परवीन जेन साहब ने , बयान लिए , मुक़दमा नहीं बनता है , यह समझाने का प्रयास किया , उन्होने क़ानूनी राय भी ली , फिर परिवाद को ,पंजाब पुलिस को , जाँच के लिए भेज दिया , जहाँ से पंजाब पुलिस ने  मुझे फोन करके कहा के राजस्थान पुलिस में ऐसे कैसे अफसर है , जो क्षेत्राधिकार का क़ानून नहीं जानते , हम यह परिवाद वापस कोटा भेज रहे है, मेने इस मामले में मुख्यमंत्री महोदय को आधा दर्जन पत्र लिखे , कोई मुक़दमा अब तक दर्ज नहीं हुआ , कोई मेसेज परिवाद संबंधित आता है , लेकिन अभी तक कोटा पुलिस या विज्ञाननगर पुलिस की कोई कार्यवाही सामने नहीं आयी है ,क्योंकि मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे अधिकारी ऐसे लापरवाह , क़ानून की उपेक्षा करने वाले अधिकारीयों के प्रति सख्त नहीं है , अफ़सोस यह है के कोटा में पांच विधायक , और विधायक प्रत्याक्षी , दो जिला अध्यक्ष , कई प्रदेश पदाधिकारी है, लेकिन फिर भी  अपनी ही सरकार में ,गंभीर अपमानकारी , फ़र्ज़ी , झूंठी बातें फैलाकर टिप्पणी करने वाले मामलों में भी उनकी चुप्पी है , कोई कार्यवाही नहीं है, क़ानून का डर ऐसे लोगों के खिलाफ है ही नहीं , इसीलिए तो डंके की चोट पर , पहले टिप्पणी फिर कहते है , स्लीपर सेल का इन्तिज़ार है , , ,, वाह अपना ही ,शासन  अपने ही आदेश से लगाए गए पुलिस अधिकारी , और अपने ही अपमान वाजिब अपमान मामले में , अपमान करने वालों के खिलाफ हमारे प्रयासों के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं,,,, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य ,, है , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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