विनम्र अपील :-
दिनांक 24 फरवरी 2022 को राजस्थान विधानसभा के प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाबचंद कटारिया द्वारा उदयपुर में हाईकोर्ट की खंडपीठ की स्थापना हेतु सरकार से पूछे गए प्रश्न का जवाब में विधि मंत्री शांतिकुमार धारीवाल ने उदयपुर में खंडपीठ की स्थापना हेतु राज्य सरकार ने अब तक तीन बार 10 फ़रवरी 1997,16 अप्रैल 2009 22 जुलाई 2009 को उच्च न्यायालय के तीन अलग - अलग मुख्य न्यायाधीशों को प्रस्ताव भेजे जाना तथा वर्ष 2019 में 4 पत्र ,2020 में 1 पत्र, 2021 और 2022 में भी कुल 17 पत्र लिखे जाना और उदयपुर में हाई कोर्ट की खंडपीठ की स्थापना की संभावना पर परीक्षण करवाने हेतु जवाब दिया हैं लेकिन हमारे कबीना विधि मंत्री कोटा में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर हाड़ौती संभाग के वकीलों , सामाजिक संस्थाओं , व्यापार संघ द्वारा वर्षो से चलाए जा रहे आंदोलनों, सफल हाड़ौती संभाग के बंद, धरने , वकीलो के द्वारा काफी महीनो तक न्यायिक कार्य के बहिष्कार , संघर्ष, त्याग औरऔर तपस्या के इतिहास को और हाड़ौती संभाग के राजनैतिक दलों के प्रतिनिधिऔर जनप्रतिनिधि भी स्वयं की इस आन्दोलन में की गई सहभागिताके और वायदों को निश्चित रूप से भूल चुके है । हमारा दुर्भाग्य हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री जो हाड़ौती का ही प्रतिनिधित्व करती थीं, राज्य सरकार के वर्तमान विधि मंत्री जी जो अभिभाषक परिषद् के सदस्य रहे हैंऔर माननीय वर्तमान लोकसभा अध्य्क्ष ने कोटा संभाग के निवासी होने के उपरांत भी कोटा में उच्च न्यायालय की पीठ की स्थापना हेतु कोटा के लिए अब तक जरा सी भी पहल नहीं की हैंऔर ना ही कोई प्रयास किया है। कोटा के वकीलों को अदालत का नया परिसर भी कहीं मुंगेरीलाल के हसीन सपने ना बन जाए। ऐसे विकट हालात में हम राज्य और केंद्र सरकार के समक्ष हाड़ौती में उच्च न्यायालय की पीठ को स्थापना के संबंध में राज्य और केंद्र के समक्ष हाड़ौती संभाग का मजबूती से पक्ष रखने ,मांग मनवाने में सक्षम , कर्मठ,ईमानदारऔर योग्य पदाधिकारियों को ही अभिभाषक परिषद् कोटा की 2022 -2023 के पदाधिकारी के रुप में ही निर्वाचित करे क्योंकि वर्तमान में माननीय पूर्व मुख्य मंत्री वसुंधरा जी,लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी , विधि मंत्री राज्य मंत्री शांति धारीवाल जी कोटा संभाग का ही दमदारी से प्रतिनिधित्व कर रहे है। वरना-अभी नहीं तो, कभी नही।
वकील एकता जिंदाबाद। अभिभाषक परिषद् कोटा जिंदाबाद।।
दिनेश सिंह, एडवोकेट।
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