भारत में हिन्दू मुस्लिम समन्वय ,,,गंगा जमुना सन्स्क्रति को नए आयाम देने वाले राष्ट्रपति सम्मान से पुरस्कृत वेदों के ज्ञाता ,,संस्क्रत के महापण्डित ,भगवत गीता और पुराणो के विश्लेषक ,,शास्त्रों के पण्डित ,रिसर्च स्कॉलर ,लेखक ,,,,डॉक्टर हनीफ शास्त्री पिछले दिनों अपने एक दिवसीय दौरे पर कोटा में आयोजित ,,राष्ट्रिय क़लमकार सम्मेलन ,,में हिस्सेदार बने ,,,डॉक्टर हनीफ शास्त्री से छोटी सी मुलाक़ात के दौरान ही ,,गीता और क़ुरआन के समन्वय ,एकरूपता पर खूब चर्चा हुई ,,मुद्दा था जब गीता और क़ुरान का ज्ञान लगभग एक है तो फिर फसादात कैसे ,,,जवाब था ,,अज्ञानता ,,सियासी चालें ,,,,,डॉक्टर हनीफ शास्त्री ने एक सवाल के जवाब में बताया जैसे मुस्लिम समाज की कुछ तबलीग़े हिंदी का क़ुरआन अपने हिन्दू भाइयो को पढाने की कोशिशो में जुटकर ,,क़ुरआन और मुस्लिम समाज के प्रति गलतफहमियां दूर करने की कोशिशों में जुटे है ,,ऐसे ही अगर ,हिंदुस्तान में भगवत गीता को सामान्य भाषा के तर्जुमे के साथ मुस्लिमो सहित सभी तबक़ो के पास पहुंचाया जाए तो सभी गलतफहमियां दूर हो जाएंगे ,,ईश्वर ,,खुदा ,,अल्लाह ,,नाम अलग अलग हो सकते है ,,पूजा पद्धति अलग अलग हो सकती है ,,लेकिन ईश्वरीय आदेश ,,ब्रह्मा आदेश ,,आकाशवाणी आदेश ,,वह्य के ज़रिये जो भी कुछ ज्ञान हमे मिला है वोह अगर हम क़ुरआन शरीफ और भगवत गीता के भावार्थ में देखेंगे तो खुद चोंक उठेंगे ,,सब कुछ हिदायते लगभग एक जैसी ,,सभी क़ानून एक जैसे ,,नीतिया एक जैसी ,,फिर विवाद क्यों ,,क़ुरान अरबी में और भगवत गीता संस्क्रत में सिर्फ इसलिए ,, भारत में साम्प्रदायिक सद्भावना के ब्रांड एम्बेसेडर बने ,,डॉक्टर हनीफ शास्त्री ने गायत्री मन्त्र ,,सूरे फातिहा ,,यानी अलहम्दो शरीफ ,,का मुआवज़ना ,,तुलनात्मक ,,विश्लेषण भी किया है ,,जो भावार्थ दोनों का हूबहू है ,,जब ईश्वर की वाणी एक ,,खुदा की वाणी एक तो फिर ,,एक दूसरे समाज से बेवजह वैचारिक टकराव क्यों ,,,धर्म मज़हब के नाम पर यह अराजकता क्यों ,,,बस इन्हीं सवालों के सकारात्मक जवाब ,,साम्प्रदायिक सद्भाव ,,कोमी एकता के सन्देश के साथ ,,डॉक्टर हनीफ शास्त्री इस विचार के ब्रांडएम्बेसेडर ,,,अन्तर्राष्ट्रीय प्रचारक है ,,,इनके मुख्य प्रकाशनों में मुख्य प्रकाशित रचनाएं,,-मोहन गीता-वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री एवं सुरहफतेहा-गीता व कुरान में सामंजस्य-वेदों में मानव अधिकार-बौद्धिक साहित्य में मानव कर्तव्य-महामंत्र गायत्री में बौद्धिक उपयोग-मानव अधिकार सुरक्षा का शंखनाद-मंत्रशास्त्र व उद्योग-यंत्र महिमा---छपने के लिए तैयार-इस्लामी परंपरा में मानव धर्म -भागवत गीता और इस्लाम धर्म काफी प्रसिद्ध रही है ,,मोहम्मद का 'म', हनीफ का 'ह' और खान का 'न' शब्द को लेकर मोहम्मद हनीफ खान ने 'मोहन गीता' लिख डाली। वर्ष 1994 में 'वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री और सुरहफातेहा' नामक पुस्तक का लोकार्पण करते समय देश के पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा को उनकी यह रचना इतनी पसंद आई कि उन्होंने अपनी तरफ से उन्हें नाम के आगे शास्त्री लगाने की इजाजत दे दी। इसके बाद मोहम्मद हनीफ ने अपने नाम के आगे से खान हटाकर शास्त्री लगाना शुरू कर दिया। वह दर्जन भर पुस्तकों की रचना कर चुके हैं। कमजोर पारिवारिक आर्थिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि की वजह से दसवीं में फेल होने पर मोहम्मद हनीफ शास्त्री इतना व्यथित हुए थे कि आत्महत्या करने तक की सोच ली थी। इसी बीच उनकी मुलाकात शहर के लखन शास्त्री से हुई। उन्होंने उन्हें गीता की एक पुस्तक दी और रोज एक अध्याय पढ़ने को कहा। मोहम्मद हनीफ शास्त्री बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वह जो कुछ भी हैं गीता की वजह से हैं, इसलिए अब उनका उद्देश्य गीता का प्रचार प्रसार करना है। वह अपने जीपीएफ का पैसा निकालकर गीता (छोटी) की छह हजार पुस्तकें बांट चुके हैं, मोहन गीता का छह संस्करण भी प्रकाशित कर चुके हैं। सैकड़ों मंच शेयर कर चुके हैं। हनीफ शास्त्री कहते हैं कि शुरुआती दौर में अपने ही कौम के लोगों के बीच विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन जब समाज के सामने उन्होंने धार्मिक एकता का रहस्य खोला तो सराहना मिलने लगी। वे ही लोग उनको सम्मान की दृष्टि से देखने लगे।
डॉ. मोहम्मद हनीफ शास्त्री, हरि नगर स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में सहायक आचार्य पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 1951 में जिला सोनभद्र के शहर दुधी में जन्में 64 वर्षीय मोहम्मद हनीफ शास्त्री ने वर्ष 1990 में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। वर्ष 1970 में गीता के समीप आए। अपनी पुस्तकों के माध्यम से मुस्लिम और ¨हिन्दू समाज को एक धागे में पिरोने केप्रयासों के लिए सम्मानित हो चुके हैं। चार बार उन्हें पुरस्कार भी दिया गया।उन्हें अब तक मिले सम्मान-वर्ष 1994 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने ' वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री और सुरहफतेहा' नाम पुस्तक के लिए सम्मानित किया।-वर्ष 1996 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने 'गीता और कुरान में सामंजस्य' नामक पुस्तक के लिए सम्मानित किया।-वर्ष 1998 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत ने 'वेदों में मानव अधिकार' पुस्तक के लिए सम्मानित किया।-वर्ष 2003 में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें ' गायत्री मंत्र का वैदिक उपयोग' नामक पुस्तक के लिए सम्मानित किया।-वर्ष 2011 में केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने उन्हें 'राष्ट्रीय सद्भावना सम्मान' से सम्मानित किया।-वर्ष 2011 में कांची कामकोटि पीठाधीश के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने उन्हें 'नेशनल एमिनेंस अवार्ड' दिया।-अखिल भारतीय विद्वत परिषद, वाराणसी ने उन्हें 'दारा शिकोह पुरस्कार' दिया।-वर्ष 2013 में डाक्टर कर्ण सिंह ने उन्हें 'वसुंधरा रत्न' से सम्मानित किया,,,,,,सन् 1976 में पंजीकृत मानवाधिकार और समाज कल्याण केंद्र एक सामाजिक संगठन है जो साम्प्रदायिक, मानव अधिकार, बेघर लोगों, महिलाओं, फुटपाथ पर बसर करने वालों और वंचित लोगों तथा जरूरतमंदों के पुनर्वास कल्याण के लिए कार्य करता है। इसके विशिष्ट कार्यकलापों में ईद, होली, दिवाली और क्रिसमस पर आपसी वार्ता का आयोजन करना, साम्प्रदायिक सौहार्द्र रैली, कवि सम्मेलन, मुशायरा आदि का साम्प्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाने और राष्ट्रीय एकता के लिए आयोजन करना शामिल है।,,,राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र पुरस्कारों की स्थापना राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र संस्थान जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द्र बढाने और राष्ट्रीयता के लिए स्थापित एक स्वायत्तशासी संगठन है, के द्वारा 1966 में की गई थी,,,भारत सरकार ने डॉक्टर शास्त्री को सस्कृत के बुनियाद डालने के लिये काबुल कन्धार भेजा था सन् 2008 अगस्त सन् 2009 तक काबुल में प्रवचन करते रहे,,ऐसे शास्त्रो के ज्ञाता ,,महापण्डित ,,कुरानशरीफ के आलिम ,,पांचो वक़्त के नमाज़ी ,,भारतीयता के प्रचारक ,,,हिन्दूमुस्लिम ,गंगाजमुनी सन्स्क्रति के अलम्बरदार ,,भाई डॉक्टर मोहम्मद हनीफ खान शास्त्री को सेल्यूट ,,सलाम ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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