सदा बहार (हरे भरे) बाग़ हैं जिनमें (वे तकल्लुफ) जा पहुँचेगें उनके
नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग जो चाहेगें उनके लिए मुयय्या (मौजू़द) है
यूँ ख़ुदा परहेज़गारों (को उनके किए) की जज़ा अता फरमाता है (31)
(ये) वह लोग हैं जिनकी रुहें फरिश्ते इस हालत में क़ब्ज़ करतें हैं कि वह
(नजासते कुफ्र से) पाक व पाकीज़ा होते हैं तो फरिश्ते उनसे (निहायत तपाक
से) कहते है सलामुन अलैकुम जो नेकियाँ दुनिया में तुम करते थे उसके सिले
में जन्नत में (बेतकल्लुफ) चले जाओ (32)
(ऐ रसूल) क्या ये (एहले मक्का) इसी बात के मुन्तिज़र है कि उनके पास
फरिश्ते (क़ब्ज़े रुह को) आ ही जाएँ या (उनके हलाक करने को) तुम्हारे
परवरदिगार का अज़ाब ही आ पहुँचे जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं वह ऐसी
बातें कर चुके हैं और ख़ुदा ने उन पर (ज़रा भी) जुल्म नहीं किया बल्कि वह
लोग ख़ुद कुफ्ऱ की वजह से अपने ऊपर आप जुल्म करते रहे (33)
फिर जो जो करतूतें उनकी थी उसकी सज़ा में बुरे नतीजे उनको मिले और जिस
(अज़ाब) की वह हँसी उड़ाया करते थे उसने उन्हें (चारो तरफ से) घेर लिया
(34)
और मुशरेकीन कहते हैं कि अगर ख़ुदा चाहता तो न हम ही उसके सिवा किसी और
चीज़ की इबादत करते और न हमारे बाप दादा और न हम बग़ैर उस (की मर्ज़ी) के
किसी चीज़ को हराम कर बैठते जो लोग इनसे पहले हो गुज़रे हैं वह भी ऐसे
(हीला हवाले की) बातें कर चुके हैं तो (कहा करें) पैग़म्बरों पर तो उसके
सिवा कि एहकाम को साफ साफ पहुँचा दे और कुछ भी नहीं (35)
और हमने तो हर उम्मत में एक (न एक) रसूल इस बात के लिए ज़रुर भेजा कि
लोगों ख़ुदा की इबादत करो और बुतों (की इबादत) से बचे रहो ग़रज़ उनमें से
बाज़ की तो ख़ुदा ने हिदायत की और बाज़ के (सर) पर गुमराही सवार हो गई तो
ज़रा तुम लोग रुए ज़मीन पर चल फिर कर देखो तो कि (पैग़म्बराने ख़़ुदा के)
झुठलाने वालों को क्या अन्जाम हुआ (36)
(ऐ रसूल) अगर तुमको इन लोगों के राहे रास्त पर जाने का हौका है (तो बे
फायदा) क्योंकि ख़ुदा तो हरगिज़ उस शख़्स की हिदायत नहीं करेगा जिसको
(नाजि़ल होने की वजह से) गुमराही में छोड़ देता है और न उनका कोई मददगार है
(37)
(कि अज़ाब से बचाए) और ये कुफ्फार ख़ुदा की जितनी क़समें उनके इमकान में
तुम्हें खा (कर कहते) हैं कि जो शख़्स मर जाता है फिर उसको ख़ुदा दोबारा
जि़न्दा नहीं करेगा (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ ज़रुर ऐसा करेगा इस पर अपने
वायदे की (वफा) लाजि़म व ज़रुरी है मगर बहुतेरे आदमी नहीं जानते हैं (38)
(दोबारा जि़न्दा करना इसलिए ज़रुरी है) कि जिन बातों पर ये लोग झगड़ा
करते हैं उन्हें उनके सामने साफ वाज़ेए कर देगा और ताकि कुफ्फार ये समझ लें
कि ये लोग (दुनिया में) झूठे थे (39)
हम जब किसी चीज़ (के पैदा करने) का इरादा करते हैं तो हमारा कहना उसके
बारे में इतना ही होता है कि हम कह देते हैं कि ‘हो जा’ बस फौरन हो जाती है
(तो फिर मुर्दों का जिलाना भी कोई बात है) (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 फ़रवरी 2022
सदा बहार (हरे भरे) बाग़ हैं जिनमें (वे तकल्लुफ) जा पहुँचेगें उनके नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग जो चाहेगें उनके लिए मुयय्या (मौजू़द) है यूँ ख़ुदा परहेज़गारों (को उनके किए) की जज़ा अता फरमाता है
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