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26 जनवरी 2022

नफरत, लूट खसोट से सने इस गणतन्त्र को बचा लो यारों

 

नफरत, लूट खसोट से सने इस गणतन्त्र को बचा लो यारों
आज २६ जनवरी यानी गणतन्त्र यानी जनता दिवस लोकतंत्र दिवस है ...दोस्तों इस दिन के लियें वेसे तो आप सभी भाइयों और बहनों को
बधाई
..हम और आप क्या ,सारा देश और सारा देश ही क्या, सारा विश्व जानता है के भारत के दो राष्ट्रीय पर्व पन्द्राह अगस्त और छब्बीस जनवरी है जो गोरव दिवस के रूप में मनाये जाते है ..दोस्तों पहले गणतन्त्रऔर आज के गणतन्त्र में ज़मीं आसमां का फर्क है आज हम खुद को ठगा सा महसूस करते है ..आप सब जानते है के भारत आज़ाद होने के बाद यहाँ के नेता इस देश के आज़ादी के सपने को सच करने के लियें एक कानून बनाना चाहते थे और सभी नेताओं ने एक राय होकर भीमराव आंबेडकर डोक्टर राजेन्द्र प्रसाद सहित कई लोगों की मदद से एक विधान तय्यार किया जिसकी प्रस्तावना २६ नोवेम्बर १९४९ को तय्यार हुई और इस विधान को संविधान के रूप में २६ जनवरी १९५० यानि पुरे दो माह बाद देश को समर्पित क्या गया ..हमारा यह दिन हमारे देश और देशवासियों के लियें गोरव का दिन था ..इस दिन देश भी हमारा था और देश में संचालित होने वाला कानून भी हमारा था इस संविधान में देश को संचालित करने के लियें कार्यपालिका ..न्यायपालिका ..विधायिका ..की व्यवस्था थी तो इसी विधान में आम जनता को आज़ादी दी गयी थी ..लेकिन ऐसी आज़ादी जो एक अनुशासित ....सेल्फ डिसिप्लिन आज़ादी थी जिसमें अपनी हदों में रहकर देश में स्वतंत्र विचरण ..स्वतंत्र व्यापार स्वतंत्र बोलने चालने की स्वतन्त्रता दी गयी थी ..हमारा यह विधान हमे अपने निर्वाचन के लियें निर्वाचन आयोग के गठन और एक स्वतंत्र मतदान के बाद निष्पक्ष देशभक्त सरकार के लियें ज़िम्मेदार बनाता है ..इस विधान में जिसे देश के संचालन के लियें देश की रूह ..देश की आत्मा कहा क्या है ..जिसे देश की रीड की हड्डी कहा गया है उसमे जनता को माई बाप का दर्जा दिया गया है मंत्रियों और अधिकारीयों कर्मचारियों को जनता का सेवक यानी लोकसेवक कहा गया है ..जनता द्वारा जनता की सरकार के निर्वाचने के बाद यह सभी लोग जनता के नोकर कहे जाने लगे ..लेकिन कुछ दिनों तक यह सपना क्रियान्वित हुआ फिर आँख खुली और सभी आज़ादी ..सभी नियम कायदे कानून खत्म ..केवल किताबों में ही कानून अछ्छा लगने लगा ..देश में आज जिसकी लाठी उसी की भेंस है ..देश में आज हिन्दू है ..मुसलमान है ..सिक्ख है इसाई है ..अमीर है गरीब है ..दलित है ..स्वर्ण है ..लेकिन ना तो भारतीयता है और ना ही इंसान है देश में आज विधान है लेकिन इसकी पालना करवाने वाले बंद कमरों में डंडे और बहकावे के बल सरकार बनाते है और फिर पुरे पांच साल जनता पर गुर्राते है ......हमारे देश का शीर्ष जम्मू कश्मीर है तो सही लेकिन विधान में नहीं है देश के हर कानून को जम्मू कश्मीर के अलावा लागू करना लिखा गया है ..यहाँ या तो बोलने और लिखने की इतनी आज़ादी है के कोई भी किसी को चाहे जो लिख दे चाहे जो कह दे किसी भी धर्म की आलोचना कर दे किसी के भी भगवान का मजाक उढ़ा दे और हम इस अराजकता इस अमानवीय कृत्य को आज़ादी का नाम अभिव्यक्ति की स्वत्न्र्ता का नाम देने लगे ..सडकों पर नंगे घूमना .महिलाओं का बाज़ार सजाना ..स्मेक चरस शराब बीडी सिगरेटें बेचना हम अपना व्यापार कहने लगे ..नेता लोग शराब पिलाकर ..लोगों को डरा धमका कर अपनी सरकार बनाना अधिकार समझने लगे और सरकार में आने के बाद जनता से झूंठे वायदे करना ..जनता को धोखा देना और बेईमानी से रूपये कमा कर स्विस बेंक में जमा करना नेताओं न अपना कानून बना लिया ..यह देश जहाँ हमारा अपना शासन है एक नेता अपने कार्यकर्ता का काम नहीं करता ..सिपाही से लेकर मंत्री तक लोग रिश्वत लेते है ..दूध से लेकर घी मक्खन में मिलावट है दवाओं के नामा पर जहर बेचा जा रहा है ..ओरतों की अस्मत खतरे में है गरीबों को न्याय नहीं मिल रहा सारी योजनायें बंद है ....बच्चे मजदूरी में लगे है ओरतों से जिस्म फरोशी करवाई जा रही है ..थानों में बलात्कार हो रहे है ..गरीब की रिपोर्ट नहीं लिखी जाती कलेक्टर और एस पी जनता के लोगों से पर्ची लेकर उन्हें घंटों बाहर बताने के बाद भी उनकी नहीं सुनते है शायद यही आज का विधान बन गया है ..लोकसभा और विधानसभा में सांसद या तो सोते है या फिर रूपये लेकर सवाल जवाब करते है रिश्वत लेकर वोटिंग कर सरकारें बचाते है और किसी भी मुद्दे पर शोर शराबा या फिर मेच फिक्सिंग कर बिना वोटिंग के सदन से वाक् आउट कर अनचाहे फेसले करवाते है शायद यही आज का लोक्त्न्र है दोस्तों यह खून के आंसू रोने वाला लोक्न्त्र आज जब मनाया जाता है तो पार्टियों के कार्यालय सुने रहते है कोंग्रेस हो या भाजपा केवल और केवल रस्म के तोर पर इस दें केवल तिरंगा फेहराया जाता है सरकारी कार्यकमों के हालत यह है के यहाँ कार्यक्रम ऐसे नीरस और मजबूरी के हो गये है के जनता का मोह सरकारी गणतन्त्र कार्यक्रमों से भंग हो गया है ..तो दोस्तों अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है हमारी आज़ादी को हमे अ एक लड़ाई लड़कर फिर से जितना होगा ..हमारे संविधान हमारे कानून को हमे फिर से देश में लागु करवाना होगा ..हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी का नारा एक देकर मूल निवासी ..जाती ..धर्म ..आरक्षण और भाषा के विवाद को हमे हटाना होगा ...मुंबई से जब बिहारियों को भगाते है तो हमारा विधान रोता है ..राष्ट्रिय संवेधानिक भाषा राष्ट्र भाषा हिंदी का जब बेल्लोरी में मजाक उडाया जाता है hiनदी बोलने वालों को ज़िंदा जलाया आजाता है तो हम सिहर जाते है सलमान रुश्दी जेसे धर्म मजहब को गाली बकने और गाली लिखने वाले को जब अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर हीरो बनाना चाहते है तो देश खून के आंसू रोता है ..हम जब वोटों के लियें कत्ले आम करते है जातियों को धर्मों को लडाते है तो यह लोकतंत्र लहूलुहान हो जाता है आओ इसे सुधारे इसे रामराज की परिकल्पना मन में लेकर फिर से आज़ाद भारत के जय जवान जय किसान जय हिंदुस्तान ..मेरा भारत महान का नारा देकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शक्तिशाली बना डाले अगर ऐसा करने का हम संकल्प ले सकते है तभी हमे कहने का हक है गणतंत्र दिवस मुबारक हो ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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