पर्यटन दिवस और कोटा को सौगात......
दुनिया की सबसे बड़ी घंटी लगेगी कोटा चंबल रिवर फ्रंट में
आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया के निर्देशन में होगा काम
देवेंद्र कुमार आर्य और हरिराम कुम्भावत होंगे शिल्पकार
7 किलोमीटर तक सुनाई देगी आवाज
के के शर्मा कमल
कोटा । यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की कोटा के लिए सबसे नया व अलग करने की परिकल्पना व कोटा को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने के संकल्प को मूर्त रूप देने हेतु देश के सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट ' अनूप भरतरिया ' के निर्देशन में चंबल रिवर फ्रंट का निर्माण किया जा रहा है ।
चंबल रिवर फ्रंट पर विश्व का आठवां अजूबा दुनिया की सबसे बड़ी घंटी का निर्माण किया जा रहा है । इस एक कलाकृति में 3 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगे । संपूर्ण विश्व में दो बड़े घंटे ( Bell ) है , सबसे बड़ी घंटी 8.2165 मीटर की है जो चाइना ( चीन ) में है , दूसरी घंटी 8x6.6 मीटर की मास्को रूस में है । यह दोनों घंटियां अलग - अलग टुकड़ों में बनी है जिसको बाद में जोड़ा गया । इसके बावजूद चाइना की घंटी को लटकाते समय उसका एक टुकड़ा टूट गया जो अभी तक टूटा हुआ है वही मास्को वाली घंटी लटकाई ही नहीं जा सकी ।
अब कोटा शहर में इस असाध्य कार्य को संभव किया जा रहा है । चंबल रिवर फ्रंट पर जहां " स्टील मैन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य विश्व की सबसे बड़ी घंटी बना रहे हैं । यह घंटी ( Bell ) 8.5 × 9.25 मीटर की होगी और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह रहेगी कि यह दुनिया की एकमात्र व सबसे बड़ी सिंगल पीस कास्टिंग होगी ।
कोटा के चंबल रिवर फ्रंट में एक साथ तीन वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली ये एकमात्र कलाकृति होगी जिसे देखने के लिए दूर - दूर से देशी - विदेशी पर्यटक कोटा आएंगे तथा ये कलाकृति कोटा को टूरिस्ट हब बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी । इस घंटी का वजन बिना अलंकरणों के करीब 57 हजार किलो रहेगा । घंटी का रंग भी अपने आप में बेमिसाल है , इसका केमिकल कंपोजिशन इस प्रकार से सेट किया गया है कि ये गोल्डन लुक का अहसास कराएगी । घंटी का ये रंग 15 सालों तक यथावत बना रहेगा । 15 वर्षों तक इसकी चमक बरकरार रहेगी । इसके बाद इस पर पॉलिश करने से यह वापस चमक जाएगी । इस घंटी की उम्र 5000 साल की है , मतलब यह घंटी हर मायने में बेमिसाल होगी ।रात के समय घंटी को बजाने पर इसकी ध्वनि तरंगे 7 से 8 किलोमीटर तक सुनाई देगी । यह घंटी जमीनी सतह से 70 फीट ऊंचे स्टैंड पर लटकाए जाएगी । घंटी ब्रोंज मेटल में ढाली जाएगी । घंटी की ढलाई का कार्य भी चंबल रिवर फ्रंट पर अस्थाई फैक्ट्री लगा कर किया जा रहा है । विश्व की सबसे बड़ी घंटी के निर्माण में करीब 225 ट्रक ग्रीन सेंड , 5 ट्रक सोडियम सिलीकेट , 12 ट्रक CO2 , 3 ट्रक एलपीजी व 20000 लीटर डीजल का उपयोग होगा । लगभग 150 दिनों में इस प्रोजेक्ट को पूर्ण कर दिया जाएगा ।
यह घंटी तीन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएगी
दुनिया की सबसे भारी सिंगल पीस कास्टिंग ( ढलाई ) " नॉन फेरस "
विश्व की सबसे बड़ी घंटी
विश्व की पहली जॉइंट लेस चेन ( इन एज कास्ट कंडिशन )
यह रहेंगे शिल्पकार
इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य
इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य को स्टील मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है । देवेंद्र कुमार ने वर्ष 1982 में जयपुर एमएनआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल इसके बाद वर्ष 1984 में मैकेनिकल में एएमआईई की | इन्होंने वर्ष 1985 में कास्टिंग पर 1986 में मेल्टिंग पर स्पेशलाइजेशन किया । देवेंद्र ( कुमार आर्य पिछले 40 वर्षों से देश और विदेश में स्टील प्लांट लगाने का कार्य कर रहे हैं इन्होंने पूरे भारतवर्ष में 112 नए स्टील प्लांट स्थापित कराए हैं व 22 देशों में 48 स्टील प्लांटों को अपनी टेक्निकल कंसलटेंट सर्विसेज से सुचारु गति प्रदान की है । देवेंद्र कुमार आर्य ने 6 जून 1994 को अमरकंटक में विश्व की सबसे बड़ी भगवान महावीर की प्रतिमा बनाई है जो 25 हजार किलो की दुनिया की सबसे बड़ी सिंगल पीस नॉन फेरस कास्टिंग है ।
हरीराम कुम्भावत
हरीराम कुम्भावत इस घंटी के मॉडल प्रतिरूप को बनाने वाले विश्व विख्यात कलाकार है , जिन्हें 4 मार्च 2020 को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । हरीराम कुम्भावत ने वर्ष 2013 में कोटा में घटोत्कच्छ सर्किल का निर्माण किया था , इसके अलावा दिल्ली एयरपोर्ट पर बनी हाथों की मुद्राओं में बनी 24 कलाकृतियों व सूर्य नमस्कार कलाकृति का निर्माण किया है ।
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