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29 जनवरी 2022

जेल अभिरक्षा में , पुलिस पिटाई से , मोहम्मद रमज़ान खान की मोत 29 अप्रेल 2019 को ,, लेकिन मृतक का पुत्र रिज़वान काफी क़ानूनी जद्दो जहद के बाद , अपने पिता के क़ातिलों के खिलाफ ,, ढाई साल बाद कोटा महावीर नगर थाने में ,सिर्फ हत्या का मुक़दमा दर्ज करवा पाया है

 जेल अभिरक्षा में , पुलिस पिटाई से , मोहम्मद रमज़ान खान की मोत 29 अप्रेल 2019 को ,, लेकिन मृतक  का  पुत्र रिज़वान काफी क़ानूनी जद्दो जहद के बाद ,  अपने पिता के क़ातिलों के खिलाफ ,, ढाई साल बाद कोटा महावीर नगर थाने में ,सिर्फ हत्या का मुक़दमा दर्ज करवा पाया है , क्या अनुसंधान ,, होगा ,, क्या नतीजा निकलेगा ,, अब पिता के क़ातिलों को बेटा सजा कैसे दिलवा पायेगा , यह सब सबूतों के नष्ट होने के  सवालों के साथ , भविष्य के अनुसंधान में छुपे है ,, मांगरोल बारां निवासी मोहम्मद रमज़ान ,  जो किराना व्यवसायी थे , अदालत के एक आदेश से सज़ायाफ्ता बंदी होने से ,बारा  जेल में सज़ा भुगत रहे थे , जहां 2019 में बीमार होने पर उन्हें कोटा जेल इलाज के लिए रेफर किया ,, लेकिन गंभीर बीमारी होने से उन्हें ,, कोटा मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया ,, रमज़ान के साथ चालानी गार्ड रामधन , और दिनेश मीणा सहित कुछ पुलिस कर्मचारी थे , ,कोटा मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहने के दौरान , उक्त  चालानी गार्डों ने , मोहम्मद रमज़ान के साथ , डंडों , पाइप से हिरासत में बेरहमी से मारपिटाई की ,, पुलिस की बेरहम पिटाई से , मोहम्मद रमज़ान के गंभीर चोटें आयीं , उसके गले की हड्डी भी टूट गयी , ,इस मामले में मोहम्मद रमज़ान ने एक पत्रकार रहीम को , जयपुर ज़ेरे इलाज अपने साथ पुलिस की बेरहम मारपीट का साक्षात्कार भी दिया , वोह रोया , चीखा , चिल्लाया , लेकिन किसी ने उसकी कोई सुनवाई नहीं की , मोहम्मद रमज़ान गंभीर बीमार होने पर , उसका इलाज जयपुर अस्पताल में करवाने गए , जहाँ चिकित्स्कों ने ,मोहम्मद रमज़ान के गले की हड्डी में फ्रेक्चर हुआ बताकर , दूसरे डॉक्टर को रेफर किया , लेकिन पुलिस कर्मी अपनी बेरहम पिटाई की पोल खुलते देख , मोहम्मद रमज़ान कोटा इलाज करवाने की जगह कोटा ले आये , और उसकी मृत्यु के बाद घर वालों को , मोत की खबर दी , हंगामा हुआ , लेकिन तात्कालिक पुलिस अधीक्षक ने लोकसभा चुनाव के चलते , इस मामले में ,पुलिस हिरासत में मौत की एफ आई आर का वायदा किया ,, जो वायदा खिलाफी के बाद , मर्ग में मुक़दमा 9 / 2019 दर्ज हुआ ,, एफ आई आर हत्या के मामले में दर्ज नहीं हुई , मृतक मोहम्मद रमज़ान का पोस्टमार्टम हुआ , मृतक के पुत्र ने , सभी चिकित्सा पर्चे , सुचना के अधिकार में प्राप्त कर, गर्दन की हड्डी टूटने से मोत का कारण बता कर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से , हत्या का मुक़दमा दर्ज कर , दोषी पुलिस कर्मियों को सज़ा दिलवाने की मांग उठाई , कोई सुनवाई नहीं हुई , मानवाधिकार कार्यकर्ता , एडवोकेट अख्तर खान अकेला , ,एडवोकेट अंसार इन्दोरी की अलग अलग शिकायतों पर , राजस्थान मानवाधिकार आयोग ,, राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग में कार्यवाही दर्ज हुई , मजिस्ट्रेट जाँच शुरू हुई ,, विधायक वाजिब अली ने इस मामले में , बहुजन समाज पार्टी के विधायक की हैसियत से आवाज़ उठाने की कोशिश की , लेकिन फिर वोह कांग्रेस विधायक होते ही चुप्पी साध गए , खुद सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार बढे लवाजमे के साथ , मांगरोल मृतक मोहम्मद रमज़ान के घर पहुंचे , मुक़दमा दर्ज करवाने और दोषी पुलिस कर्मियों को सज़ा दिलवाने का वायदा किया ,. ,राजस्थान विधान सभा में यह मुद्दा उठाने की , स्वीकृति मिली , लेकिन जो समय उन्हें मिला उस समय को उन्होंने सरकार की तारीफों में बर्बाद किया और जब समय खत्म हुआ तो , फिर मोहम्मद रमज़ान का मुद्दा उठाने का निवेदन करते रहे , लेकिन यह मुद्दा वोह नहीं उठा सके , खुद प्रमोद भाया बारां के मंत्री ने भी इस मामले में आश्वसन के सिवा कोई कार्यवाही नहीं की , ,मृतक रमज़ान के पुत्र मोहम्मद रिज़वान ने लाख कोशिशें की , लेकिन कोई जांच नहीं , कोई कार्यवाही नहीं , न्यायिक हिरासत में मोत का कोई मुआवज़ा नहीं , स्थिति विकट थी ,एक बेटे को उसके बाप की मृत्यु के कारण जान्ने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं दी गयी , मजिस्ट्रेट जाँच में भी जब ,, संबंधित लोगों के बयानों पर ऐतराज़ हुआ ,तो बेटे रिज़वान ने हाईकोर्ट में भी शिकायत दर्ज कराई , लेकिन मृतक खुद मर गया , अपने हालातों से , अपनी बीमारी , अपनी ही गलतियों से , ,गवाहान से बयान दिलवाये गये , मृतक क़ैदी वार्ड में फिसल कर गिर गया , उसका पेट मोटा हो रहा था , वोह चीखता था , बहुत ज़्यादा खाना खाता था ,, बहुत ज़्यादा खाना खाने पर ,, गर्दन की हड्डी टूटने के बाद , सीधा सवाल था , के जिस शख्स की गर्दन की हड्डी टूटी है ,  तो फिर वोह एक निवाला तक निगलने के लायक नहीं रहता , फिर खाना खाने बहुत ज़्यादा खाना खाने के गवाह झूंठे और फ़र्ज़ी साबित होते है , खेर बहुत कोशिश हुई ,बहुत टालमटोल हुई , लेकिन 2019 में ही मृतक के पुत्र मोहम्मद रिज़वान ने ,, अपने वकील अख्तर खान अकेला ,, अंसार इन्दोरी , आबिद हुसेन अब्बासी , राजा बाबू महोबिया के ज़रिये अदालत ऐ सी जे एम क्रम 6 में , आरोपी चालानी , गार्ड , दिनेश मीणा , और रामधन वगेरा के खिलाफ हत्या का मुक़दमा दर्ज ,कर कार्यवाही की मांग की , घटना 24 अप्रेल 2019  मृत्यु 25 अप्रेल 2019 को हुई ,, परिवाद के ,, साथ मृतक की चोटों , उसके साथ हुई पिटाई का मृत्यु पूर्व  पत्रकार को दिया गया विडिओ बयान सभी दिए गये , ,लेकिन 210 सी आर पी सी की रिपोर्ट मंगाई ,,गयी ,,, फिर मर्ग जांच के नाम पर कार्यवाही अटकी ,, खेर देर आयद दुरुस्त ,, आयद , माननीय न्यायालय ने  प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए ,, 26 जून 2019 को प्रस्तुत परिवाद में 156 (3 ) सी आर पी सी की प्रार्थना स्वीकार करते ,, हुए दिसंबर 2021 को दोषी चालानी गार्ड दिनेश मीणा ,, रामधन , ज्ञात अज्ञात अभियुक्तों के खिलाफ , हत्या ,  हिरासत में मारपीट का मुक़दमा दर्ज , कर अनुसंधान के  निर्देश दिए , ,  न्यायालय के आदेश के बाद भी महावीर नगर पुलिस , नए साल का इन्तिज़ार करती रही , और अब 24 अप्रेल 2019 की अमानवीय घटना पर लगातार प्रयासों के बाद ,, 10 जनवरी 2022 लगभग ढाई साल भारत ,, आरोपी रामधन , दिनेश मीणा के  खिलाफ पुलिस थाना महावीर  नगर कोटा में एफ आई आर नंबर 12 / 2022 अंतर्गत धारा 302 ,330 , 325 आई पी सी में दर्ज कर अनुसंधान अवधेश कुमार थानाधिकारी द्वारा शुरू किया गया है , इस प्रकरण में , देरी होने के बावजूद भी ,, जयपुर एस एम एस के चिकित्सा जांच के पर्चे , और गले के एक्सरे रिपोर्ट के बाद , हड्डी और गले के डॉक्टर को रेफर करते वक़्त , जो नॉट डाला गया है , वोह महत्वपूर्ण दस्तावेज है , क्योंकि उक्त  प्रकरण में आरोपियों को बचाने के लिए , मृतक मोहम्मद रमज़ान के खुद पलंग से , गिरने , और साथ में इलाज करा रहे क़ैदियों के बयानों में , खूब रोटी खाना , पानी पीना , ,मोटा पेट हुआ , कहलवाया गया है , जो गर्दन की हड्डी टूटने के बाद , किसी भी व्यक्ति द्वारा खाना खाना , पानी पीना सम्भव ही नहीं है , और पत्रकार रहीम ने जो मृतक के मृत्यु पूर्व बयान का विडिओ बनाया है , वोह भी इस मामले में महत्वपूर्ण साक्ष्य है , देखते है , इस मामले में , अनुसंधान में अब पुलिस क्या गुल खिलाती है , ,गर्दन की हड्डी टूटने के तथ्य , और मृत्यु पूर्व बनाये गये विडिओ के बयानों को आधार मानकर , जांच निष्पक्ष करती है , या फिर वही ढाक के तीन पात , मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर क्लोज़र रिपोर्ट लगाकर मामला बंद करती है ,यह देखने की बात है ,, ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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