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02 दिसंबर 2021

यक़ीनन भास्कर के संवाददाता , प्रेस फोटोग्राफर , भास्कर के इस थीम के सम्पादक , और हिम्मत दिखाकर प्रकाशित करने वाले, प्रकाशक , बधाई के पात्र है

 यक़ीनन भास्कर के संवाददाता , प्रेस फोटोग्राफर , भास्कर के इस थीम के सम्पादक , और हिम्मत दिखाकर प्रकाशित करने वाले, प्रकाशक , बधाई के पात्र है , जिसमे , देश के निचले स्तर पर , पंचायत राज में हो रही इस खामी , इस जेबी व्यवस्था को उजागर करने का उन्होने साहस भी दिखाया ,, खोजपूर्ण पत्रकारिता कर , स्टिंग ऑपरेशन भी किया ,, कई सालों से , पत्रकारिता को लेकर , पत्रकारिता के गैर ज़िम्मेदारी , कर्त्तव्यविहीनता , चापलूसी , चमचागिरी , गोदी गिरी को लेकर , में , और देश भर के बुद्धिजीवियों की जो भावनाये आहत थीं , आज इस तरह की खोजपूर्ण खबर से , वोह लगभग धूल सी गयी है ,फिर से एक चमक , ज़िंदगी में दिखी है , के अभी पत्रकारिता मरी नहीं ,, पत्रकारिता की आग की लपटें ना हों , लेकिन पत्रकारिता की चिंगारी अभी भी ज़िदा है ,, दोस्तों यह राजस्थान के सरपंचों को जेब में रखकर , नौकर , चाकर , गुलाम , पत्नियों को , निर्वाचित करवाकर , जेबी नेतागिरी करें वाले लोगों के खिलाफ एक मात्र तुच्छ अभियान है , लेकिन इस अभियान को, अब हमें आगे बढ़ाना है ,, देश भर में, पंचायत स्तर पर ,नगर निकाय , नगर पालिका , नगर परिषद , नगर निगम स्तर पर , विधायक और सांसदों के स्तर पर ,, यह गंदगी अब साम्राजयवाद के साथ , कैंसर जैसी असाध्य बीमारी हो गयी , इस व्यवस्था से समाज खोखला हो रहा ,है, देश पिछड़ रहा है , और बहनों , भाइयों , मित्रों का बोलबाला है , ,ज़मीनी स्तर पर , एक शख्स पार्षद पति है , सरपंच पति है , भाई है ,पुत्र है , ससुर है , पिता है ,यह सब तमाशे जिला स्तरीय लगातार वोटर्स की निरक्षरता , सरकार की ढिलाई , लोकप्रतिनिधित्व क़ानून की कमज़ोरी की वजह से रोज़ चलन में है , क्या फायदा , राजीव गांधी के उस सपने का , जो उन्होंने , संविधान संशोधन के वक़्त , गांवों की गावं में , शहरों की शहर में , सरकारों के लिए देखा था , सब जेबी लोग है ,जो खा रहे है , मज़े कर रहे है , इतना होता तो भी चलता , अब तो विधायक , सांसद स्तर पर भी यह व्यवस्थाएं हो गयी है , पुत्र , भाई , पति और रिश्तेदार नहीं तो , फिर भाईसाहब , के जेबी लोग विधायक , सांसद बने है , राजस्थान के एक ज़िले में तो ऐसे जेबी विधायक चर्चा का विषय है , जो अपनी विद्यानसभा के प्रति , दायित्वों के निर्वहन की जगह,,, गॉडफादर , भाईसाहब से पूंछ कर ही लघु शंका भी करते है ,उनकी इच्छा के विरुद्ध वाजिब काम करना तो दूर की बात है , अभी देश की सबसे बढ़ी पार्टियां भी उनके विधायक , सांसद भी उच्च स्तरीय सो कोल्ड , नेताओं के इशारे पर , ब्रेनलेस , बॉन लेस , स्पीचलेस बनकर , उनके इशारे पर , रिमोट से चल रहे है ,, मंत्री पत्र , सांसद पुत्र , विधायक पुत्र जैसे जुमले रोज़ देखने को मिलते है, राजस्थान के एक मंत्री ने तो सार्वजनिक रूप से ,  पंचायत राज को सशक्त बनाने के लिए , सरपंच पतियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था , और कहा था , के उनके पास , उनके विभाग में , कलेक्टर के पास ,या  कहीं भी, पंचायत संबधित किसी भी काम के लिए सिर्फ निर्वाचित पंच , सरपंच ही जाएंगे , सरपंच पुत्र , सरपंच पति कहीं भी नहीं जा सकेंगे , लेकिन कुछ साल बाद , ,वोह खुद ही , सरपंच पति बनकर , अपने ही विभाग में , अपना ही बनाया गया अलिखित क़ानून , तोड़ते नज़र आये , सरपंच पत्नी के स्थान पर खुद ही ,हर काम में ,सरपंच पति बनकर गांव के हर विकास में शामिल रहे ,, यह अब इस लोकतंत्र के लिए ,,असाध्य बीमारी है ,इन व्यवस्थाओं से ,आज हमारा लोकतंत्र ,वेंटिलेटर पर है , निर्वाचित लोगों की ऐसी दुर्गति  ,भाई साहबों , रिश्तेदारों , पार्टियों के आगे , सब नतमस्तक हैं ,उनकी जवाबदारी , उनके निर्वाचन क्षेत्र , निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए नहीं ,बल्कि ,भाईसाहब , और उन्हें निर्वाचित करने वाले , गॉडफादर , रिश्तेदारों , पार्टी के ज़िम्मेदारों तक सीमित रह गयी है , ऐसे में वक़्त आ गया है , एक लोकतान्त्रिक क्रान्ति का , देश में अब वर्तमान , चमचावाद , चापलूसी वाद , लोकतंत्र के हत्यारों के इस कमांड व्यवस्था में ,टी ऍन शेषन तो नहीं है , लेकिन कुछ लोग जो अभी भी , काले अंग्रेज़ों से , लड़ाई के लिए संकल्पबद्ध है , कुछ पत्रकार जो आज भी क़लमकार की तरह व्यवहार कर रहे है , खुद भास्कर अखबार जिसने यह खबर अगर ,किसी गहरी सोच , गहरी व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से , प्रकाशित की है , इस खबर में अगर किसी विशिष्ठ व्यवस्था के तहत स्टिंग ऑपरेशन कर , व्यवसायीकरण नहीं है , तो फिर इस व्यवस्था को , पंच , सरपंच , पार्षद ,महापौर ,, विधायक, सांसद , सभी तरह के सहकारिता चुनाव , अन्य चुनावों के लिए ,  निर्भीक , निष्पक्ष होकर , एक अभियान चलाना चाहिए ,, लोकसभा में बैठे सांसदों ,, राज्य सभा में गए , सांसदों , विधासभा , विधानपरिषद में बैठे , सभी प्रतिनिधियों के ज़मीर को जगाना चाहिए , वर्षों पुराना , लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम ,,, संविधान के इससे संबंधित प्रावधानों को बदलने की ज़रूरत है , अब ,किसी निर्वाचित पर ,, निर्वाचन होने के बाद , किसी भी तृतीय पक्षकार चाहे वोह पुत्र हो, पुत्रवधु हो , पिता हो ,ससुर हो,पति हो ,पत्नी हो, भाईसाहब हों ,अगर उनका हस्तक्षेप ज़रा भी साबित हो,ज़रा भी उनके निर्वाचन के बाद ,उनके कर्तव्यों के निर्वहन में ,लापरवाही साबित हो , तो फिर ऐसे निर्वाचन को तुरतं निरस्त करने , निर्वाचित व्यक्ति को ,चाहे वोह सांसद हो ,विधायक हो,मंत्री हो ,प्रधानमंत्री हो,राष्ट्रपति हो, पंच , सरपंच ,पार्षद हो,उसे बर्खास्त करने का क़ानून बनना चाहिए , ऐसे लोगों के खिलाफ , उम्र क़ैद तक की सज़ा का क़ानून बनना चाहिए ,ताकि , देश में वेंटिलेटर पर चल रही लोकतान्त्रिक व्यवस्था , जो भाईसाहबों,बाहुबलियों ,रिश्तेदारों ,के हाथ में रखे कम्प्यूटर से चल रही है,जो व्यवस्था , लोकतंत्र को तार तार कर रही है, उस व्यवस्था पर ,सख्ती से लगाम कसी जा सके , इसके लिए व्यापक सोच के साथ ,जल्दी ही, संविधान संशोधन ,लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के क़ानून में परिवर्तन , या फिर नया लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम बनाने की ज़रूरत है , ताकि ऐसी व्यवस्थाओं पर प्रतिबंध लगे,  ऐसे लोगों को, जेल भेजा जा सके , मामूजान ,भाईजान ,जैसे जुमलों पर ,,गरीबी , महंगाई ,भ्रष्टाचार , क़ानूनव्यवस्था की गुणवत्ता में विफलताओं को, छुपा कर ,भड़काऊ व्यवस्था से , गुमराह वोटरों से  वोट लेकर ,देश की भावनाओं के खिलाफ लोगों के निर्वाचन पर रोक लगाई जा सके ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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