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22 नवंबर 2021

विधानसभा दो सो , राजस्थान में , कहने के नाम वाला गांधी , दिल्ली में ओरिजनल कहलाये जाने वाले गांधी ,, अपनी ज़िद पर अड़े रहकर

 , विधानसभा दो सो , राजस्थान में , कहने के नाम वाला गांधी , दिल्ली में ओरिजनल   कहलाये जाने वाले गांधी ,, अपनी ज़िद पर अड़े रहकर ,, टोंक मुस्लिम रियासत के मुस्लिम वोटों से विधायक बने ,सचिन पायलेट की बगावत से , उनकी ज़बरदस्त हिस्सेदारी , फिर भी ,, तुम्हे , दो सो में से सिर्फ एक केबिनेट मंत्री , दो सो में से सिर्फ एक राज्य मंत्री , दो सो में से सिर्फ एक सलाहकार वोह   भी गैर क़ानूनी झुनझुने वाला , यानी , दो सो में से सिर्फ डेढ़ परसेंट तुम्हारी ,  हिस्सेदारी और बदले ,में  अठारह प्रतिशत में से पुरे के पुरे वोट , इनकी गिनती हर विधानसभा में , कहीं , अस्सी हज़ार से तो कहीं , एक लाख ,से  कहीं पचास हज़ार  से , कई जगह तो इनकी ज़मानत हमारी वजह से बचती ,है  कई जगह तो , सिर्फ हमारे वोट , और इक्का दुक्का इनके समाजों के वोट से यह जीतते है ,,, फिर भी यह शर्मसार करने वाले फैसले , यह पीठ पर छुरा घोंपने वाली सियासत , न हिस्सेदारी , न भागीदारी , तो फिर बताओं , क्यों करते हो , तुम इनके साथ वफादारी ,,,  तुम रहे होंगे इस देश के शासक ,, तुमने अंग्रेज़ों से देश को आज़ाद कराने के लिए , कर दिया होगा , अपना सब कुछ क़ुर्बान , तुमने पूरा देश देने पर भी , सिर्फ मिला होगा क़ब्रिस्तान , लेकिन दोस्तों ,तब तुम ज़िंदा थे , आज तुम मर गए हो , तुम्हारा ज़मीर मर गया है , तुम गुलाम हो , पिच्छ लग्गू हो ,, यही वजह है , के तुम अट्ठारह प्रतिशत होकर भी , तुम सो में से सो वोट , वफ़ादारी से देकर भी , तुम हर रोज़ , ज़िंदाबाद करने , गुलामी करने , हाथ बांधे खड़े रहने , तीतर से तीतर फंसाने वाली कहानी की तरह अपनी ही कॉम को हर चुनाव में भविष्य की उम्मीद जगाकर , एक मुश्त वोट दिलवाने के बाद भी , तुम्हे मिलता है सिर्फ बाबा जी का ठुल्लू , तुम गुलाम हो ,तुम तो नौकर , तुम्हारा ज़मीर तो सो गया है , तुम्हारा हक़ संघर्ष का वुजूद खत्म हो गया है , यही तो वजह है , के.. राजस्थान में , आज पैराटीचर्स ठिठुरती ठंड में अपना हक़ मांग रहे है , अल्पसंख्यक आयोग नहीं , हज कमेटी नहीं , वक़्फ़ बोर्ड नहीं , मदरसा बोर्ड नहीं , मेवात बोर्ड नहीं , वक़्फ़ विकास परिषद नहीं , अल्पसंख्यक वित् विकास निगम नहीं , उर्दू एकेडमी नहीं , उर्दू निदेशालय नहीं , राजस्थान में एक भी मुस्लिम महाधिवक्ता नहीं , पंद्रह सूत्रीय कल्याणकारी समितियां नहीं , अल्पसंख्यक मामलात विभाग का संरक्षक नहीं , यह तो तुम्हारे अपने मामले है , तुम्हारे अपने इदारे है , इसके अलावा तुम्हारा अठारह प्रतिशत होने पर भी , सीधा कांग्रेस की सरकार बनाने में  कमोबेश  पूरे के पूरे वोट डाले जाने पर भी , तुम्हे सिवाय , ज़िल्ल्त , उपेक्षा के क्या मिलता है , तुम्हारा खून नहीं खोलता , जब तुम्हे सालों दरी , पट्टियां बिछवाने के बाद , चुनाव के ऍन वक़्त पर , तुम्हारी पार्टी के हाईकमान द्वारा निर्देशित किया जाता है , जिसमे भारी उत्साह से काम करने के बाद भी तुम्हे कहा जाता है , मंच के आसपास , सभाओं में ,चुनाव प्रचार में , दाढ़ी वालों , और टोपी वालों को अलग थलग रखना ,  पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार की भी शुरुआत , सिर्फ मंदिर में पूजा से , तिलक से आरती की थाली से होती है , इतना सब होने पर भी , पहले तो , तुम हार जाओगे कहकर टिकिट नहीं देते ,, फिर अगर टिकिट मिल गया , तो बस , उस वक़्त तुम्हारी अपनी पार्टी के नेता , तुम्हारी अपनी पार्टी के परम्परागत वोटर , केंडिडेट को मुस्लिम कहकर , हिन्दुवाद के चलते , रिजेक्ट कर देते है ,, और तुम्हारे अपने परम्परागत वोट , जो तुम्हारे चुनाव चिन्ह पर जीते लोगों के ज़रिये मज़े करते हैं , वोह वोट के वक़्त ,तुम्हारी पार्टी के चुनाव चिन्ह को रिजेक्ट कर ,, दुश्मन पार्टी से आंतरिक समझौता कर ,उसे भारी वोटों से जिताते है , टिकिट मिलते ही , प्रचार करते है , कोंग्रेस को तो मुसलमानों की पार्टी बना दिया ,, कांग्रेस ने गलत टिकिट दे दिया , यह तो हारेगा , और जब यह हार रहा है , तो हम पागल है क्या जो  अपना वोट बिगाड़ें , अरे यह तो कोई बात नहीं , जिला परिषद में , पूरा बहुमत से भी ज़्यादा बहुमत होने पर भी तुम क्रॉस वोटिंग कर हमे हरा देते हो  , चलो हम चुनाव हार जाते हैं ,तो फिर नगर विकास न्यास के चेयरमेन , मनोनीत पार्षद ,, मनोनीत चेयरमेन गैर अल्पसंख्यक इदारों में हमे तुम क्यों एडजस्ट नहीं करते , लेकिन हम तो तीतर से तीतर फंसाने वाले है , हम इसी लायक है , बहुत कर लिया हमने शासन , बहुत लड़ लिए देश के लिए , अब हमारी बिसात , जूतों में बैठने की , दरी , पट्टी बिछाने की ही हैं , हाथ बाँध कर खड़े रहने की ही है , तुम्हारे इशारे पर , हमारे अपने समाज के जंग जो सिपाहियों को , या फिर लोकतान्त्रिक तरीके से किसी दूसरी पार्टी से लड़ रहे , प्रत्याक्षियों को , दलाल , बी पार्टी , रूपये लेकर खड़ा हो गया , इससे ज़्यादा प्रचार करवाने की नहीं हैं ,, अफसोस दिल्ली से लेकर , राजस्थान तक , यही नज़ारा ,है  ,, हम सिर्फ वोटर , सिर्फ वोटर है , और नेतृत्व के नाम पर ,,. महत्वपूर्ण हिस्सेदारी के नाम पर , हमे अंगूठा सिर्फ अंगूठा दिखाया जाता है ,, अभी राजस्थान में ,, कथित गाँधीवादी , कथित मुसलमानों के हितेषी ने , फिर मंत्रिमंडल बनाया , दो सो विधानसभा सदस्यों में से , एक राज्य मंत्री , एक केबिनेट मंत्री , एक दिल बहलाने को ख़याल अच्छा है , वाला , गैर क़ानूनी , गैर संवैधानिक , मुख्यमंत्री के सलाहकार का पद दिया , दो सो में से एक केबिनेट मंत्री यानी आधा प्रतिशत , दो सो में से एक राज्य मंत्री यानी आधा प्रतिशत , दो सो में से एक सलाकार , यानी आधा प्रतिशत , ज़्यादा से ज़्यादा , एक दो संसदीय सचिव , यानी फिर आधा प्रतिशत , कुल दो सो विधायकों में से , प्रतिशत अधिकतम सिर्फ दो प्रतिशत ,, इसी लायक है हम , हम बगावत करना भूल गए , लोगों को अपनी हिस्सेदारी का अहसास कराना भूल गये , फिर हमे बहलाने , बहकाने , बरगलाने के लिए मिलेगा क्या , वक़्फ़ बोर्ड , मदरसा बोर्ड , अल्पसंख्यक आयोग ,, जेन समाज की भागीदारी के साथ , अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम , शायद , शायद मेवात बोर्ड ,, उर्दू एकेडमी ,, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम , अरे यह तुम्हारे अपने इदारे है , तुम्हे मिलेंगे , लेकिन , क्या दूसरे महत्वपूर्ण इदारे , तुम्हे दिया ,देते है नहीं ना , तो फिर आँखे खोलो , इनके आगे झुके हुए सरों को उठाओ ,, इनके आगे जुड़े हुए हाथों को खोलो , बगावत करो , इन्हे इनकी औक़ात बताओ , इन्हे बिहार याद दिलाओ, इन्हे उत्तर प्रदेश याद दिलाओ , इन्हे उड़ीसा , पश्चिमी बंगाल , याद दिलाओ ,,अरे तुम हो तो यह है , और फिर इस पर भी , इन्हे सत्ता में तुम लाओ , और  फिर सत्ता में आते ही , तुम्हे यह तेजपात की तरह , कंडोम की तरह , टिश्यू पेपर की तरह  निकाल दें , धिक्कार है तुम पर ,धिक्कार है हम पर , अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा , बगावत करो , जब तुम इन्हे जिताते तो हो तो तुम्हे ,, भागीदारी हिस्सेदारी नहीं मिलती , तो फिर यह हार भी जाएंगे ,तो फिर भी तुम्हारा क्या है , जो चला जाएगा ,, अरे भाजपा ने शहज़ाद पुनावाला ,,, यूनुस खान , सगीर अहमद , नजमा हेपतुल्ला ,  ज़फ़र मोहम्मद , शाहनवाज़ ,, मुख़्तार अब्बास नक़वी , अमीन पठान जैसे ना जाने कितने लोगों को , आसमान पर बिठाया है ,   और  जिस पार्टी को आप सो में से सो वोट डालते हो , हाथ बाँध कर खड़े रहते हो , चुनाव प्रचार में तिलक लगवाते हो , पूजा करते हो , आरती करते हो , चरण छूते हो , क़दम बोसी करते हो , अपने ही कॉम को इनके कहने पर ज़लील करते हो , मुखबीरी करते हो , नुकसान पहुंचाते हो , उसके एवज़ में तुम्हे क्या मिलता है , सिर्फ तीतर से तीतर फंसाने का काम , अपनी कॉम में गद्दार कहलाने का लक़ब ,, ,, अंतर्मन जगाओ , ज़मीर को फिर से ज़िंदा करो , वोट की तलवार को , अपनी जीत का ,अपने हक़ों की लड़ाई का ज़रिया बनाओ ,,, अख्तर खान अकेला कोटा

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