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18 नवंबर 2021

*घनी रात,तेज़ ठंड,और बारिश में देर रात एक बज़े भवानीमंडी पहुँच कर लिया नैत्रदान*

*घनी रात,तेज़ ठंड,और बारिश में देर रात एक बज़े भवानीमंडी पहुँच कर लिया नैत्रदान*

*कोटा से देर रात एक बज़े भवानीमंडी पहुँच कर लिया नैत्रदान* 

किसी अंग की महत्वता क्या होती है यह एक विकलांग बहुत अच्छी तरह से समझता है, जीवन भर विकलांगता के कारण इस कमी को महसूस करने वाले भवानीमंडी निवासी जिला विकलांग संघ के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण जायसवाल (55 वर्ष) अपनी मृत्यु के पश्चात भी दो लोगों को नई नेत्र ज्योति दे गए।

भवानीमंडी के किराना व्यवसायी सत्यनारायण जायसवाल बुधवार को हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया । इसकी सूचना करीबी रिश्तेदार व नगरपालिका पार्षद पिंटू जायसवाल एवं पत्रकार हेमंत जायसवाल को भी लगी।  उन्होंने तुरंत सत्यनारायण जी के पुत्र निर्मल और धर्मपत्नी कृष्णा जायसवाल से,सत्यनारायण जी के नेत्रदान करवाने का अनुरोध किया । 

सभी की सहमति के बाद ,शाइन इंडिया के ज्योतिमित्र कमलेश दलाल ने तुरंत शाइन इंडिया फाउंडेशन व आई बैंक सोसायटी के बीबीजे चैप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ० कुलवंत गौड़ को रात 9:30 बज़े सूचित किया कि,भवानीमंडी आकर पुण्यात्मा के नैत्रदान का कार्य सम्पन्न करायें ।

सूचना मिलते ही डॉ० गौड एवं सहायक रोहित ओझा तुरंत ही टैक्सी करके भवानीमंडी के लिए रवाना हो गए । एक दिन पहले भी देर रात को बाराँ से नेत्रदान लेने के कारण व दिन प्रति-दिन नैत्रदान के कार्यों को लेकर अस्पताल में आना जाना,एक दिन में 5-6 बार नहाना जैसे कार्यों में व्यस्तता रहने के कारण डॉ० गौड़ का भी स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं था,ऐसे में रात का समय,तेज़ ठंड में 120 km दूर तक का सफ़र तय करके आना भी किसी बड़ी परेशानी से कम नहीं है ।

मृत्यु के समय मृतक की धर्मपत्नी कृष्णा जी किसी विवाह समारोह के कारण भवानीमंडी से बाहर थी, ऐसे में उन्हें मृत्यु की सूचना देना और नेत्रदान के लिए सहमति प्राप्त करना अत्यंत कठिन विषय था,परंतु यह बात सराहनीय है कि कृष्णा जी के घर आने के उपरांत तुरंत ही उनको पति की मृत्यु की खबर होने के बाद भी,उनसे जैसे ही नेत्रदान करवाने की बात की,तो उन्होंने तुरंत ही इसकी सहमति दे दी । उसके बाद ही कोटा से टीम रवाना हुई। 

नैत्रदान की प्रक्रिया परिवार के सभी रिश्तेदारों के बीच व कलाल समाज के प्रतिष्ठित लोगों के बीच निवास पर ही सम्पन्न हुई । घर पर उपस्थित सभी परिवारजनों एवं समाज सदस्यों के सामने नेत्रदान संपन्न हुआ, उपस्थित सभी व्यक्तियों ने भी नेत्रदान की प्रक्रिया को अच्छी तरह से देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर विकृति नहीं आती है, इसमें केवल आंखों के ऊपर की झिल्ली जिसे कोर्निया कहा जाता है को ही लिया जाता है, इसमें पूरी आंख नहीं निकाली जाती है, यह रक्तहीन प्रक्रिया 10 मिनट में ही पूरी हो जाती है ।

शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 49 वाँ नेत्रदान है, एवं इस वर्ष का यह 18 वाँ नेत्रदान है, इससे पहले दिनांक 6 जनवरी 2021 को सुनील जी जैन एवं दिनांक 25 जनवरी को अनीता जी शर्मा का 10 फरवरी को मोहनलाल जी वरंदानी, 8 मार्च को भंवरलाल जी माहेश्वरी, 9 मार्च को रुकमणी देवी पोरवाल, 11 मार्च को नंदराम जी आहूजा का, 11 जुलाई को धापूबाई राठौर, 6 अगस्त को केसरीलाल जी नागर का, 31 अगस्त को मनु जी महाराज, 22 सितंबर को हुकमचंद जी गोयल, 2 अक्टूबर को डग से रेखा जैन एवं मोहनचंदजी चतुर्वेदी, 13 अक्टूबर को रमेशचंद जी आहुजा, 21 अक्टूबर को घीसीबाई विजावत और 7 वर्षीय बालिका परी पोरवाल का, 26 अक्टूबर को चमेली बाई सुराणा एवं 27 अक्टूबर को दौलतराम जैन का नेत्रदान इस वर्ष में भवानीमंडी से प्राप्त हो चुका है। 

इसके अतिरिक्त भवानीमंडी की प्रेरणा से 12 नवंबर को कोटा निवासी रंजना गौड का नेत्रदान भी हुआ है, यह पहली बार हुआ है जब 1 वर्ष से भी कम समय में 18 नेत्रदान भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं।

नेत्रदान में सहयोग करने वाले पार्षद एवं समाजसेवी पिंटू जायसवाल ने बताया कि सत्यनारायण जायसवाल नेत्रदान के कार्य की हमेशा समर्थन एवं सराहना करते थे, इसीलिए अत्यंत दुख के क्षणों में भी उन्होंने और पत्रकार हेमंत जयसवाल ने मृतक के परिवार से सत्यनारायण जयसवाल के नेत्रदान के लिए बातचीत की, जिसके लिए परिवारजनों ने सहजता से स्वीकृति प्रदान की।
 

प्रेषक. 
डॉ कुलवंत गौड़,
शाइन इंडिया फाउंडेशन, 
8386900102

*कोटा से देर रात एक बज़े भवानीमंडी पहुँच कर लिया नैत्रदान* 

किसी अंग की महत्वता क्या होती है यह एक विकलांग बहुत अच्छी तरह से समझता है, जीवन भर विकलांगता के कारण इस कमी को महसूस करने वाले भवानीमंडी निवासी जिला विकलांग संघ के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण जायसवाल (55 वर्ष) अपनी मृत्यु के पश्चात भी दो लोगों को नई नेत्र ज्योति दे गए।

भवानीमंडी के किराना व्यवसायी सत्यनारायण जायसवाल बुधवार को हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया । इसकी सूचना करीबी रिश्तेदार व नगरपालिका पार्षद पिंटू जायसवाल एवं पत्रकार हेमंत जायसवाल को भी लगी।  उन्होंने तुरंत सत्यनारायण जी के पुत्र निर्मल और धर्मपत्नी कृष्णा जायसवाल से,सत्यनारायण जी के नेत्रदान करवाने का अनुरोध किया । 

सभी की सहमति के बाद ,शाइन इंडिया के ज्योतिमित्र कमलेश दलाल ने तुरंत शाइन इंडिया फाउंडेशन व आई बैंक सोसायटी के बीबीजे चैप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ० कुलवंत गौड़ को रात 9:30 बज़े सूचित किया कि,भवानीमंडी आकर पुण्यात्मा के नैत्रदान का कार्य सम्पन्न करायें ।

सूचना मिलते ही डॉ० गौड एवं सहायक रोहित ओझा तुरंत ही टैक्सी करके भवानीमंडी के लिए रवाना हो गए । एक दिन पहले भी देर रात को बाराँ से नेत्रदान लेने के कारण व दिन प्रति-दिन नैत्रदान के कार्यों को लेकर अस्पताल में आना जाना,एक दिन में 5-6 बार नहाना जैसे कार्यों में व्यस्तता रहने के कारण डॉ० गौड़ का भी स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं था,ऐसे में रात का समय,तेज़ ठंड में 120 km दूर तक का सफ़र तय करके आना भी किसी बड़ी परेशानी से कम नहीं है ।

मृत्यु के समय मृतक की धर्मपत्नी कृष्णा जी किसी विवाह समारोह के कारण भवानीमंडी से बाहर थी, ऐसे में उन्हें मृत्यु की सूचना देना और नेत्रदान के लिए सहमति प्राप्त करना अत्यंत कठिन विषय था,परंतु यह बात सराहनीय है कि कृष्णा जी के घर आने के उपरांत तुरंत ही उनको पति की मृत्यु की खबर होने के बाद भी,उनसे जैसे ही नेत्रदान करवाने की बात की,तो उन्होंने तुरंत ही इसकी सहमति दे दी । उसके बाद ही कोटा से टीम रवाना हुई। 

नैत्रदान की प्रक्रिया परिवार के सभी रिश्तेदारों के बीच व कलाल समाज के प्रतिष्ठित लोगों के बीच निवास पर ही सम्पन्न हुई । घर पर उपस्थित सभी परिवारजनों एवं समाज सदस्यों के सामने नेत्रदान संपन्न हुआ, उपस्थित सभी व्यक्तियों ने भी नेत्रदान की प्रक्रिया को अच्छी तरह से देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर विकृति नहीं आती है, इसमें केवल आंखों के ऊपर की झिल्ली जिसे कोर्निया कहा जाता है को ही लिया जाता है, इसमें पूरी आंख नहीं निकाली जाती है, यह रक्तहीन प्रक्रिया 10 मिनट में ही पूरी हो जाती है ।

शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 49 वाँ नेत्रदान है, एवं इस वर्ष का यह 18 वाँ नेत्रदान है, इससे पहले दिनांक 6 जनवरी 2021 को सुनील जी जैन एवं दिनांक 25 जनवरी को अनीता जी शर्मा का 10 फरवरी को मोहनलाल जी वरंदानी, 8 मार्च को भंवरलाल जी माहेश्वरी, 9 मार्च को रुकमणी देवी पोरवाल, 11 मार्च को नंदराम जी आहूजा का, 11 जुलाई को धापूबाई राठौर, 6 अगस्त को केसरीलाल जी नागर का, 31 अगस्त को मनु जी महाराज, 22 सितंबर को हुकमचंद जी गोयल, 2 अक्टूबर को डग से रेखा जैन एवं मोहनचंदजी चतुर्वेदी, 13 अक्टूबर को रमेशचंद जी आहुजा, 21 अक्टूबर को घीसीबाई विजावत और 7 वर्षीय बालिका परी पोरवाल का, 26 अक्टूबर को चमेली बाई सुराणा एवं 27 अक्टूबर को दौलतराम जैन का नेत्रदान इस वर्ष में भवानीमंडी से प्राप्त हो चुका है। 

इसके अतिरिक्त भवानीमंडी की प्रेरणा से 12 नवंबर को कोटा निवासी रंजना गौड का नेत्रदान भी हुआ है, यह पहली बार हुआ है जब 1 वर्ष से भी कम समय में 18 नेत्रदान भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं।

नेत्रदान में सहयोग करने वाले पार्षद एवं समाजसेवी पिंटू जायसवाल ने बताया कि सत्यनारायण जायसवाल नेत्रदान के कार्य की हमेशा समर्थन एवं सराहना करते थे, इसीलिए अत्यंत दुख के क्षणों में भी उन्होंने और पत्रकार हेमंत जयसवाल ने मृतक के परिवार से सत्यनारायण जयसवाल के नेत्रदान के लिए बातचीत की, जिसके लिए परिवारजनों ने सहजता से स्वीकृति प्रदान की।
 

प्रेषक. 
डॉ कुलवंत गौड़,
शाइन इंडिया फाउंडेशन, 
8386900102

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