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26 नवंबर 2021

एक दीपक , श्रीवास्तव परिवार का कुलदीपक ,,जिसने ,, कोटा जिला लाइब्रेरी को ,,अपने अनुभव , ज्ञान ,डिजिटल व्यवस्थाओं से , राष्ट्रिय ही नहीं ,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर दिया है

 एक दीपक , श्रीवास्तव परिवार का कुलदीपक ,,जिसने ,, कोटा जिला लाइब्रेरी को ,,अपने अनुभव , ज्ञान ,डिजिटल व्यवस्थाओं से , राष्ट्रिय ही नहीं ,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  रोशन कर दिया है , ,कोटा यूँ तो शिक्षा नगरी है ,उद्योग नगरी है , पर्यटन नगरी है ,लेकिन जिस तरह से , दीपक श्रीवास्तव ने , अपनी ,महनत  ,, लगन और व्यवस्थाओं के साथ कोटा डिविज़नल लाइब्रेरी के पुस्तकों की सारसंभाल की, है , डिजिटलाइज़ेशन किया है,, यही वजह है के आज,इस लायब्रेरी में , दीपक द्वारा फैलाई गयी रौशनी से , कई शोध छात्र , कई ज्ञान की तलाश में जुटे लोग ,लाभान्वित हो रहे है,, , जी हाँ दोस्तों , में बात कर रहा हूँ ,,कोटा डिविज़नल पुस्तकालय के प्रधान लायब्रेरियन डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव की ,, यह दीपक , श्रीवास्तव परिवार में आज ही रोशन हुए थे , उन्हें उनके जन्म दिन पर बधाई , मुबारकबाद ,, ,,दीपक श्रीवास्तव साहित्यिक मिजाज़ के भी है , लिखने पढ़ने का स्वभाव भी है , वोह रोज़मर्रा अपनी ज़िंदगी में ,नया कुछ करना चाहते है , नया करते है , राजस्थान के विख्यात लेखक ,प्रतिभा खोजी ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,उनके अल्फ़ाज़ों में ,, डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव का परिचय कुछ इस तरह कराते हैं, जो हूँ बहू , उनके अपने अल्फ़ाज़ों के साथ आप के ज्ञानवर्धन के लिए पेश है ,,
 जी हां ! मैं बात कर रहा हूं डा. दीपक कुमार श्रीवास्तव की जो कि राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में मण्डल पुस्तकालयाध्य्क्ष के पद पर कार्यरत हैं । अभी हाल ही में इनेली साउथ एशिया मेंटर सबसे बडे पुस्तकालय संगठन इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ लाईब्रेरी एशोसियेशन एण्ड इंस्टीट्युशनंस (इफ्ला)  की वर्चुअल “ वॉल ऑफ फ़ेम”  में  डॉ. श्रीवास्तव का नाम शामिल किया गया है । जिससे राजस्थान के भाषा एवं पुस्तकालय विभाग का नाम अंतराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हुआ है । इससे न केवल कोटा, हाडौती अपितु राजस्थान सहित देश का मान बढा है ।  डा. श्रीवास्तव भारत के सबसे पहले एम.टेक. अचीवर पब्लिक लाईब्रेरीयन है जिनके 60 से ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है । कई राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा ले चुके हैं । पुस्तकालय विज्ञान की विविध अवधारणों पर इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है । आपको 34 से ज्यादा एवार्ड मिल चुके हैं। इनमें से गलोबल पब्लिक लाईब्रेरी लीडरशिप एवार्ड , मोस्ट क्रियेटीव थींकर एवार्ड , बेस्ट इंफोर्मेशन साईंटीस्ट एवार्ड , बेस्ट पब्लिक लाईब्रेरीयन एवार्ड , यंग पब्लिक लाईब्रेरीयन एवार्ड , मित्रा नोवेल्टी एवार्ड , मनोहर रिसर्च एवार्ड ,  कैलाश बेस्ट रिसर्च पेपर, प्रजेंटेशन एवं नोलेज शेयरिंग एवार्ड , सुमित्रा रिसर्च एवार्ड , आउटस्टेण्डींग लीडरशिप एवार्ड, अफ्रीकन एवार्ड ऑफ एक्सीलेंस इत्यादि प्रमुख अवार्ड हैं । आप राजस्थान पब्लिक लाईब्रेरी के प्रेसीडेंट होने के साथ कई बड़े संगठनों आई .एल.एल , एल.पी.ए , सेलिस एवं नाईजीरीयन लाईब्रेरी एसोशियेशन के भी सदस्य है । डा श्रीवस्तव वर्तमान मे इनेली साउथ एशिया मेंटर है जो कि साउथ एशिया के लाईब्रेरीयंस की ऑनलाईन मेंटरिंग करते हैं । एक दौर था जब पुस्तकालय काफी अव्यव्स्थाओं के लिये चर्चित हुआ करता था लेकिन आपके आने के बाद तो पुस्तकालय की आवो –हवा ही बदल गयी । पुस्तकालय में होने वाले कार्यक्रमों की वजह से शहरवासी इसे उत्सव पुस्तकालय के रूप में देखने लगे है।इनकी टीम प्रबंधन के ही परिणाम है कि आज यह पुस्तकालय ट्रांसजेण्डर्स सर्विस में देश का द्वितीय (प्रथम केरल) एवं राजस्थान का प्रथम पुस्तकालय बन गया है। टॉक शो मे देश नम्बर एक ( आई.पी.एल.एम के अनुसार ) , म्युजिक लाईब्रेरी सर्विसेज , दृष्टिबाधित सेवा  , बुक्स ऑन स्क्रीन सेवा , ऑडियो बुक्स सर्विसेज , वीडीयो बुक्स सर्विसेज में आज राजस्थान का प्रथम पुस्तकालय बन गया है। इतना ही नहीं राजस्थान में सर्वाधिक आजीवन सद्स्य इसी पुस्तकालय के हैँ । डा.दीपक इस पुस्तकालय की सफलता का श्रेय अपने सहकर्मियों को देते हैँ और निदेशालय भाषा एवं पुस्तकालय का भी आभार जताते नहीं अघाते। कोरोना महासमर के  लॉकडाउन के दौरान आपके द्वारा अपने पाठकों को ऑनलाइन पुस्‍तकें एवं पठनीय सामग्री उपलब्‍ध कराते हुए लॉकडाउन में लोगों के  समय का  सदुपयोग हो, ऐसा  प्रयास किया गया है । इन्होंने विभिन्‍न नवाचारों के माध्‍यम से भी भिन्न रुप से समर्थ लोगों को उचित पुस्‍तकालय सेवा देने हेतु भी कई प्रयास किए हैं जिसके लिये पुस्तकालय की सेवाओं को इफ्ला ग्लोबल रिपोर्ट में शामिल किया गया एवं इसकी सराहना अमेरीकन लाईब्रेरीयन एसोशियेशन ने भी की । पुस्तकालय के लिये पूर्ण समर्पित डा. श्रीवास्तव से जब यह पूछा कि आप पुस्तकालयाध्य्क्षों को कोई संदेश देना चाहेंगे तो उन्होने कहा कि -   "जिन्दगी आसान नही होती है , इसे आसान बनाना पडता है कुछ अन्दाज से कुझ नजर अंदाज से "
तो जनाब डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव  जो पुरानी संधारित पुस्तकों को नया जीवनदान देने वाले डॉक्टर भी है ,,पुस्तकों के संरक्षक भी है,, यूँ तो पुस्तक और पुस्तक के ज़रिए, शोधार्थियों की खोज बीन का काम,, कभी खत्म हो नहीं सकता,, लेकिन इन दिनों , सब कुछ कम्प्युटराइज़्ड है ,,बाबा गूगल की दुनिया है,डिजिटलाइज़ेशन है ,ऐसे में, पुस्तकालय के पुराने संस्कार , पुस्तकों की साज सज्जा , उन्हें सुरक्षित संधारित करने के साथ साथ ,भाई दीपक श्रीवास्तव , रोज़ मर्रा , डिजिटल युग की तरफ भी पुस्तकों को संधारित करने का प्रयास कर रहे है , इसलिए , देश भर की लाइब्रेरियों  में,, सी ऐ डी परिसर स्थित , कोटा डिस्ट्रिक स्तर की यह लाइब्रेरी ,, देश भर में , विशिष्ठ है, यहां आज भी इतिहास ,,सहित हर तरह के छात्र छात्राये , अलग अलग मुद्दों पर , रिसर्च कार्यों के लिए ,, ज्ञान तलाशने आते हैं,, एक बार फिर ,कोटा लाइब्रेरी को , इस तरह से राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर , जगमग कर देने वाले भाई डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव को उनके जन्म दिन पर बधाई ,, मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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