आपका-अख्तर खान

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09 अक्टूबर 2021

राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के इतिहास में पांच साल के कार्यकाल में , पांचवीं बार निर्वाचित होने वाले युसूफ खान ने इतिहास रचाया ,

 

राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के इतिहास में पांच साल के कार्यकाल में , पांचवीं बार निर्वाचित होने वाले युसूफ खान ने इतिहास रचाया ,,
,, अख्तर खान अकेला ,,
लाख दुश्मन हो ज़माना हमारा , अगर खुदा मेहरबान हो , तो वोह हमें हर मुसीबत से उभार लेता है , ,जी हाँ दोस्तों , यह अल्फ़ाज़ कमोबेश ,, राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड में पांचवीं बार , मुतव्वली कोटे से , चुनाव जीत कर आये , निर्वाचित सदस्य , भाई हाजी युसूफ खान के लिए सटीक बैठते है ,, हाजी युसूफ खान , जिनके खिलाफ , इनकी कामयाबी को रोंदने के लिए , कई बार ज़माना एक जुट होकर लग जाता है , लेकिन खुदा का करम ऐसा , के हर जुस्तजू , हर जंग में ,युसूफ खान , सुर्खुरू होते है , जीत कर , मुस्कुराते है , और दुश्मनी करने वालों की हरकतों को भुलाकर माफ़ कर देते है , जी हाँ , हाजी युसूफ खान ,यूँ तो किसी पहचान के मोहताज नहीं , यह लगातार 1999 से मुतव्वली कोटे से , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के विधि नियमों के तहत , चुनाव लड़ते है ,और जीतते है , वक़्फ़ बोर्ड सदस्य का कार्यकाल पांच वर्ष होता है , और इसीलिए वर्ष 1999 से आज तक , हुए चार चुनावों में ,यह निर्वाचित सदस्य रहे है , गत चुनाव में , युसूफ खान साहब , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के कार्यकारी सर्वसम्मत चेयरमेन भी रहे है , इस बार फिर वक़्फ़ बोर्ड का पांचवा चुनाव था , जद्दो जहद , विरोध , कुप्रचार , शिद्द्त से विरोधियों की कोशिशें , इनके खिलाफ थीं , लेकिन कहावत है ना , जिसे अल्लाह रखे , उसे कोन चखे , युसूफ खान पांचवीं बार भी वक़्फ़ बोर्ड सदस्य के रूप में , मुतव्वली कोटे से , निर्वाचित हुए , जीत का सहरा इनके सर बाँधा गया ,युसूफ खान साहब ख्वाजा गरीब नवाज़ के बढे साहबज़ादे , हज़रत ख्वाजा फर्ख़रूद्दीन की दरगाह शरीफ , सरवाड़ के मुतव्वली है , कहते है , अल्लाह जिससे जो चाहता है वोह काम ले लेता है , इनके मुतव्वली बनने के बाद , यहां दरगाह का विस्तार , सोंदर्यकरण ,, सुविधाओं का काफी विस्तार हुआ , युसूफ खान साहब के कार्यकाल में , दरगाह के विस्तार के लिए ज़मीन खरीदी गयी , दरगाह का विस्तार हुआ भवन निर्माण हुआ , ,करोड़ों करोड़ रूपये के सौदंर्यकरण कार्य हुए , जिसमे , ऐतिहासिक बुलंद दरवाज़ा बनाया गया , ,दरगाह शरीफ में , मस्जिद इबादतघर निर्मित हुई , ज़ायरीनों के ठहरने के लिए अलग से मुसाफिर खाना बनाया गया , जबकि ज़ायरीनों के लिए दरगाह परिसर में भी एक बढ़ा हॉल ,, जन सुविधाओं को देखते हुए , आधुनिक साफ सफाई व्यवस्था के साथ , व्यवस्थाएं दी गयीं , वुज़ू खाने व्यवस्थित हुए , उर्स के लिए , ज़ायरीनों के आराम के लिए , व्यवस्थाएं हुई , सबसे बढ़ा काम , दरगाह शरीफ के गुंबद को खूबसूरत कर ,वहां 13 किलो सोने का गुंबद शरीफ बनाकर चढ़ाया गया ,, कई मुसाफ़िरों की मदद , कई लोगों की ज़रूरतें पूरी की गयीं , ,ज़ायरीन और , दरगाह शरीफ से जुड़े ज़िम्मेदारों को लगातार एप्रोच कर , यह करोड़ों करोड़ रूपये का काम सम्भवं हो सका है , मुंबई के मन्नान सेठ साहब , का इसम सर्वाधिक सहयोग रहा है , उर्स के वक़्त ज़ायरीनों के लिए मुफ्त खाना , तबर्रुक का इंतिज़ाम राष्ट्रिय स्तर के क़व्वालों की क़व्वालियाँ , और जो भी अजमेर शरीफ आते , जाते वक़्त , सरवाड़ शरीफ की दरगाह की ज़ियारत को जाए , उनकी , प्यार , मोहब्बत , खुलूस के साथ महमान नवाज़ी , युसूफ साहब को , बेहतरीन मेज़बान साबित करने के लिए काफी है , युसूफ खान साहब ने , दरगाह शरीफ के सोंदर्यकरण , निर्माण ,और सूफीयाना कार्यक्रमों में , केंद्रीय मंत्री , प्रकाश जायसवाल , , केंद्रीय मंत्री कार्यकाल में सचिन पायलेट , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , केंद्रीय मंत्री सुल्तान खान , उत्तर प्रदेश के तात्कालिक राज्यपाल , अज़ीज़ कुरैशी , सहित कई केंद्रीय , राज्य स्तरीय नेताओं ने , इस दरगाह शरीफ के रखरखाव , सोंदर्यकरण , सहित सभी कार्यों की , वहां ज़ियारत के बाद , प्रशंसा की है , युसूफ खान साहब विवादों में भी रहे है , तो दूसरी तरफ यह लोगों के चहेते भी रहे है , कई ज़िलों की कमेटियों में , इनके समर्थक सदर , व् पदाधिकारी रहे है , जबकि , कपासन दरगाह हो ,टोंक के विकास कार्य हों , झुंझुनू की नरहर दरगाह हो , या फिर कई जगह वक़्फ़ सम्पत्तियों की किरायेदारी में वृद्धि , उनसे वक़्फ़ सम्पत्ति खाली कराने के प्रयास हो , वक़्फ़ सम्पत्ति को व्यवसायिक गतिविधियों में शामिल करना हो , इनके अपने सुझाव , इनके अपने प्रयासों से वक़्फ़ को फायदा भी हुआ है , ,, , राजस्थान का इतिहास हो , या पुरे भारत में किसी भी राज्य का इतिहास हो ,आज तक , कोई भी शख्स , लगातार पांचवी बार , वक़्फ़ बोर्ड सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर नहीं आया है , इस लिए लोग कहते है , के युसूफ खान ने लगातार पांचवीं बार चुनाव जीत कर , विश्व रिकॉर्ड कहो , या फिर गिनीज़ रिकॉर्ड कहो , रिकॉर्ड बनाया है , जी हाँ दोस्तों , हर शख्स के कुछ दोस्त होते है , ,हर शख्स के कुछ दुश्मन भी होते है , हर शख्स में अच्छाइयां भी होती है , बुराइयां भी होती है ,बस इसमें अगर मौक़ापरस्ती , मतलबी , खुद का काम नहीं होने का मुफाद शामिल हो जाए , तो फिर ऐसे विरोधियों का एक गिरोह बन जाता है , और वोह लगातार ऐसे लोगों को एक जुट होकर सबक़ सिखाने के लिए प्रताड़ित भी करते है , फिर वक़्फ़ बोर्ड , अल्लाह की राह में , समर्पित सम्पत्ति , के रख रखाव को लेकर , कब्जेदारों , किरायेदारों , सहित कई लोगों से बुराई मोल लेना पढ़ती है , कई नेताओं की सिफारिशों को नज़र अंदाज़ करना पढ़ता है ,बस फिर ऐसे लोगों के खिलाफ एक , लामबंध , गिरोह का कोकस सक्रिय होकर , जान , माल , पद , प्रतिष्ठा का दुश्मन बन जाता है , एक सीधी बात , सीधा इलज़ाम , खा गये , मिल गए , सेटिंग हो गया , ,युसूफ खान साहब भी कमोबेश ऐसे ही शिकारियों के शिकार रहे है , इन्होने पदभार संभाला , तब यह राजस्थान रोडवेज के अजमेर ज़िले में , कर्मचारी थे , यह चुनाव लड़े , चुनाव जीते , तो विरोधियों ने इन्हे सरकारी नौकर होकर भी , मुतव्वली का चुनाव लड़ने का आरोपी बताकर , इन्हे हटाने की साज़िशों में अपनी पूरी ताक़त लगा दी , फिर फिर चुनाव हुए यह फिर चुनाव जीते , तब इन पर बेईमानी , भ्रष्टाचार , वक़्फ़ सम्पतत्तियों के रखरखाव में , बेईमानी के आरोप लगे , आरोप साबित नहीं हुए फिर यह सुरखुरु हुए ,, मामला ,राजस्थान हाईकोर्ट भी पहुंचा फिर यह सुरखुरु हुए , फिर यह चुनाव जीते , तब तो हदें ही पार हो गयीं , जनहित याचिकाएं लगीं , ऐंटी करप्शन में शिकायतें हुईं , लेकिन हर जाँच का सामना करने के बाद यह सुरखुरु हुए ,, फिर चुनाव हुए विकट परिस्थितयों में युसूफ साहब चुनाव फिर जीते , अब भाजपा का शासन था , एक तरफ तो सरवाड़ में केकड़ी विधायक इनके खिलाफ हुए , कुछ अतिक्रमणकारी , उनके समर्थक लामबंध हुए , कई मुक़दमे हुए , बेटे को बंद किया गया , दरगाह को सील करने की कोशिश की गयी , महिलाओं के साथ अभद्रता तक के इन के खिलाफ मुक़दमे दर्ज हुए , वक़्फ़ की जांच में ,रिपोर्ट आयी , गोल मोल रिपोर्ट के आधार पर इन्हे भाजपा सरकार ने , निर्वाचित सदस्य होने पर भी , आरोप लगाकर ,पद से निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया , सारा मामला युसूफ साहब ने , माननीय राजस्थान हाईकोर्ट के सामने रखा , बहस हुइ , समीक्षा हुई , सारे मामले आफ्टर थॉट , परेशान करने वाले साबित हुए , और इन्हे फिर से सुर्खुरू करके , राजस्थान सरकार के निलंबन बर्खास्तगी के आदेश खारिज करते हुए , सुरखुरु कर पद पर सदस्य के रूप में बहाल कर दिया गया , फिर साज़िशे हुई , ऑडियो , विडिओ , ना जाने क्या क्या , इल्ज़ामात लगे , जांचें हुई , मुक़दमे दर्ज हुए , इन्होने भी अजमेर कोर्ट में , मानहानि के मुक़दमे पेश किये जिसमे कुछ लोगों के खिलाफ संज्ञान भी हुआ , , कुल मिलाकर ,पुरे बीस साल के कार्यकाल में इन्हे विवादों में रखा गया , इन्हे हराने , हटाने की साज़िशें होती रही , लेकिन बेबाक , निर्भीक , निडर , मुक़ाबला करने वाली इस शख्सियत ने हार नहीं मानी , समझौते नहीं किये , मुक़ाबला किया , और साबित किया , दुश्मन चाहे ज़माना हो जाए , खुदा की हो सरपरस्ती तो कोई क्या कुछ कर लेगा , अब फिर पांचवा चुनाव था , युसूफ खान फिर चुनाव लढे , इस बार फिर वही विवाद ,वही पुराने आरोपों के साथ , इनके खिलाफ एक एक वोटर के पास जाकर , इन्हे वोट नहीं देने की अपील , इन्हे हरा देने की अपील , जितना खर्च लोग एक चुनाव में करते है , उससे ज़्यादा खर्च तो कुछ लोगों ने , युसूफ खान साहब को हराने के लिए खर्च कर डाला , लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पांत , यह फिर चुनाव जीते , और अब फिर पांचवीं पारी , पांच साल के लिए राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के वरिष्ठतम सदस्य के रूप में खेलने के लिए तय्यार है , अल्लाह इन्हे सेहतयाब रखे , मुक़ाबिल रखे , हक़ ईमान के रास्ते पर चलकर , इनसे वक़्फ़ सम्पत्ति के संरक्षण , रखरखाव , सोंदर्यकरण हित में बेहतर से बेहतर काम करवाए , इनके मशवरे राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के अधीनस्थ सम्पत्तियों से अतिक्रमण हठाने , सरकार से , लेंड फॉर लेंड , की ऐवजी ज़मीन , करोड़ों करोड़ का किराया ,, मुआवज़ा , किरायेदारों की किराया अधिनियम के तहत वृद्धि , जिला वक़्फ़ कमेटियों में भाजपा कार्यकाल के , भाजपा विचारक कमेटियों की जगह काम करने वाले , लोगों की नई नियुक्तियां सहित बेहतर से बेहतर टीम भाव से काम हो सकें , बस यही दुआ है , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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