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17 सितंबर 2021

नकल गेंगों पर राष्ट्रद्रोह के मुकदमे चलाओ

 

प्रसंगवश
नकल गेंगों पर राष्ट्रद्रोह के मुकदमे चलाओ!
मेडिकल परीक्षा नीट, जेईई और पुलिस परीक्षा में नकल कराने वालों के कृत्य माफी योग्य नहीं
मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं में नकल कराने वाले हाईटेक गेंग पकड़े गए हैं। जो लाखों रुपए लेकर नकल कराने से लेकर फर्जी (डमी) परीक्षार्थी बैठाकर एवज में परीक्षा तक दिलाने के हथकंडे अपनाते रहे हैं। जिन्हे मुन्ना भाई भी कहा जाता है। हाल ही में अपने राजस्थान में ऐसे गिरोह सक्रिय पाए गये। पुलिस एसआई परीक्षा में भी ऐसा ही सामने आया। प्रवेश परीक्षाओं में विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा रहता है। कड़ी मेहनत और लगन से विद्यार्थी तैयारी करते हैं। किंतु यह नकल पास गिरोह उनमें से कई के अरमानों पर पानी फेर देते हैं। ऐसा ही घालमेल आरपीएससी में भी होता रहा है। वहां तो आयोग के चेयरमैन से लेकर मंत्री तक पर ऐसे आरोप लगे। तत्कालीन आरपीएससी चेयरमैन हाबीब गौरान तो अपनी बेटी के परीक्षा वर्ष में अहमदाबाद के उस प्रिंटिंग प्रेस तक पेपर हासिल करने जा पहुंचे थे। स्पष्ट मामले में भी कोई कठोर कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं की गई। क्योंकि तब की गैर भाजपाई सरकार के एक केंद्रीय मंत्री ने आरोपी के पक्ष में हस्तक्षेप किया था। मौजूदा मे जी-23 ग्रुप के सक्रिय नेता है। जो अब ना सांसद है, ना ही राज्यसभा सदस्य रहे हैं। हालांकि मौजूदा सरकार के बड़े नेता उन पर पार्टी/पाला बदलने का दबाव बनाए हुए हैं ।
प्रवेश परीक्षाओं में नकल ना हो इसके लिए ड्रेस कोड से लेकर कुर्ते, कुर्ती के बटन तथा चोटी, बूट, चप्पलों तक तथा बच्चियों के सौभाग्य चिन्ह जैसे कि कान की स्वर्ण बालियां और नाक की नथ, अंगुली की अंगूठी तक उतरवा दी जाती है। तू डाल डाल मैं पात पात के अनुरूप नकल गिरोह सरगना डिजिटल डिवाइसों के जरिये नकल कराने में सक्रिय होकर प्लान तैयार करते हैं। नकल की यह बीमारी पहले बिहार राज्य में ही ज्यादा होती थी। लेकिन नालायक औलादों के लिए धनाढ्य लोग लाखों रुपए की थैलियां खोल देते हैं। इस कारण नकल गेंग पनप रहे हैं। इसलिए भी पनपे हैं कि अब तक किसी ऐसे एक भी मामले में भी ऐसे हथकंडे बाजो पर कड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। और सामान्य कानून के चलते यह बदमाश आसान जमानत पा जाते हैं। नकल गिरोह पकड़े जाने की खबरें तो आती है किंतु इनके अंतिम अंजाम का पता नहीं चलने दिया जाता। और ऐसे गैंग मेधावी विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद करने के खेल में फिर लिप्त हो जाते हैं। तीन दशक पहले मध्य प्रदेश राज्य में व्यापमं घोटाला हुआ था। उसमें अधिकारियों की मिलीभगत से गधे, घोड़े भी तर गए थे। तात्पर्य की फुल फर्जीवाड़ा करके मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश करवा दिए थे। उक्त घोटाले की अग्नि अभी तक सुलग रही है। हाल ही में एसटीएफ ने एक और एफआईआर दर्ज की है।मामला पुलिस आरक्षक भर्ती2013 का है ।पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि फर्जीवाड़े से आरक्षक बने अभ्यर्थी जाटव को गणित के आसान सवाल हल करना भी नहीं आता । एफआईआर में लिखा गया है अभ्यर्थि पढ़ाई में पूरा गधा है। उसे परीक्षा में पास घोषित कर दिया। उसने अपनी जगह साल्वर बैठाकर परीक्षा दी थी।
उच्च अध्ययन की प्रवेश परीक्षाओं में ऐसे फर्जीवाड़े देश की प्रतिभाओं को कुंठित करते हैं। मेधावी और होनहार विद्यार्थियों का गला घोंटने के समान है। शैक्षिक फर्जीवाड़े के दोषियों का कृत्य राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में क्यों नहीं माना जाता? रासुका मे अपराध पंजीकृत करके उसीअनुरूप ही राष्ट्रद्रोही जैसी सजा दी जाए। शुचिता की दम भरने वाली सरकारें इसकी पहल क्यों करने को तैयार नहीं है ।
गयाप्रसाद बंसल gpbansaldkd@gmail.com
इंट्रो
कोटा में फर्जी बीएड कराने वाले रह रहे महलों में
कोटा में आज से चार दशक पहले फर्जी बीएड कराने का गोरखधंधा खूब फला फूला था। कर्नाटक और कश्मीर से फर्जी डिग्रियां खरीदी जाती थी। फर्जी परीक्षाएं आयोजित की जाती थी। फर्जी डिग्रियों से मास्टरजी बन कर राजस्थान में ही हजारों माड साहब रिटायर हो चुके हैं। ऐसी फर्जी बीएड कराने वाले आज भी कोटा में है। जो आलीशान बंगलों में विराज रहे हैं। पार्टियों से खुद के लिए विधायकी के टिकट भी मांगते रहते हैं या पार्टी संगठनों में पदाधिकारी बने बैठे हैं। ऐसा वे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त करने के लिए करते हैं। शहर कोटा के नालों में बड़े बड़े कब्जे करके शानदार पब्लिक स्कूल भी चला रहे हैं और कई प्रकार की प्रवेश परीक्षाओं के हथकंडों से भी तार सावधानी से जुड़े हैं। कोटा के शिक्षा माफियाओं के तौर पर भी हुई थी पहचान। जांच हो जाए तो ऐसे सफेदपोश बेनकाब हो सकते हैं।, गया प्रसाद जी बंसल

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