सूरए अल गाशियह मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी छब्बीस (26) आयतें है
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
भला तुमको ढाँप लेने वाली मुसीबत (क़यामत) का हाल मालुम हुआ है (1)
उस दिन बहुत से चेहरे ज़लील रूसवा होंगे (2)
(तौक़ व जंजीर से) म्यक़्क़त करने वाले (3)
थके माँदे दहकती हुयी आग में दाखिल होंगे (4)
उन्हें एक खौलते हुए चशमें का पानी पिलाया जाएगा (5)
ख़ारदार झाड़ी के सिवा उनके लिए कोई खाना नहीं (6)
जो मोटाई पैदा करे न भूख में कुछ काम आएगा (7)
(और) बहुत से चेहरे उस दिन तरो ताज़ा होंगे (8)
अपनी कोशिश (के नतीजे) पर शादमान (9)
एक आलीशान बाग़ में (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 अगस्त 2021
भला तुमको ढाँप लेने वाली मुसीबत (क़यामत) का हाल मालुम हुआ है
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