शबद-कीर्तन के साथ सम्पन्न हुआ नेत्रदान।
मनोचिकित्सक को भातृ शोक, सम्पन्न हुआ नेत्रदान।
नेत्रदान कर ,परिवार की परंपरा को बनाये रखा।
शहर के प्रबुद्ध मनो-चिकित्सक डॉ. ऐ. पी. सिंह जी के भाई (ताऊजी के सुपुत्र) वल्लभबाड़ी निवासी सरदार श्री गुरमीत सिंह जी (56 वर्षीय) का शुक्रवार शाम हृदयाघात के कारण निधन हो गया।
डॉ. ए. पी. सिंह द्धारा पूर्व में गुरमीत जी के पिता का भी निधन के उपरांत नेत्रदान करवाया गया था। अभी भी जैसे ही यह शोक की घटना घटी, डॉ. साहब ने तुरंत भाभी तेजिन्दर कौर और भतीजे अवनीत सिंह से नेत्रदान करवाने की बात की। दोनों ने तुरंत ही सहमति दे दी, जिसके उपरांत तुरंत शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम के सदस्य और ईबीएसआर, कोटा चैप्टर के तकनीशियन ने नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया।
डॉ. ऐ. पी. सिंह जी ने शाइन इंडिया फाउंडेशन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, नेत्रदान का कार्य बहुत हद तक शोक को कम करता है। किसी की कमी को कोई पूरा तो नहीं कर सकता, पर मृत्यु के बाद भी वह कहीं किसी और के शरीर में रौशनी बनकर जीवित हैं, इससे बड़ा सुकून, इस दुखः की घड़ी में नेत्रदान के कार्य से ही मिलता है।
नेत्रदान प्रक्रिया के दौरान शबद कीर्तन चल रहा था, वह भी उस समय सभी के मन को काफ़ी सुकून दे रहा था ।
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