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06 जनवरी 2021

पहले कोटा में फिर,ढाई घंटे में 120 किलोमीटर मुक्तिधाम में जाकर लिया नेत्रदान

 

पहले कोटा में फिर,ढाई घंटे में 120 किलोमीटर मुक्तिधाम में जाकर लिया नेत्रदान
ढाई घंटे में 2 नेत्रदान, एक शहर से 120 किलोमीटर दूर से लिया
दूरी थी,समय से लड़ाई लड़ी,और राख़ होने से पहले बचा ली दो आँखों की रौशनी
वैश्विक बीमारी कोविड के कारण से संभाग में नेत्रदान-अंगदान-देहदान के क्षेत्र में 10 वर्षों से काम कर रही संस्था के काम में थोड़ा परेशानी आ गयी थी । परन्तु जनवरी माह से घर पर होने वाली मृत्यु में भी नेत्रदान लिया जा सकता है,इसकी अनुमति मिलने के बाद पुनः संस्था के कार्यों ने गति बना ली है।
आज अल-सुबह 74 वर्षीया देवाशीष सिटी निवासी जसविंदर कौर जी का शहर के एक निजी अस्पताल में मृत्यु हो गयी । अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भी जब उनके लिए चिकित्सकों ने ज़वाब दे दिया था,तब भी उनके पुत्रों जसप्रीत,संदीप और हरप्रीत ने शाइन इंडिया फाउंडेशन को माँ के अंगदान करने की इच्छा जतायी थी। पर चिकित्सक कारणों से उनका अंगदान तो संभव नहीं हो सका, लेकिन उनके नेत्रदान का कार्य कोविड गाइडलाइंस की पूर्ण पालना के साथ उनके निवास पर सम्पन्न हुआ।
नेत्रदान प्रक्रिया के दौरान ही स्टेशन रोड, भवानीमंडी के ज्योतिमित्र द्धारा सूचना मिली कि,उनके शहर के जाने माने श्री जैन श्वेतांबर सोशल ग्रुप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व फार्मा के काफ़ी अच्छे व्यवसायी श्री सुनील जैन का हृदयाघात से निधन हो गया। ज्योतिमित्र नरेंद्र जैन जी उनके निवास पर गये,शोकाकुल परिवार को नेत्रदान के पुनीत कार्य में सहयोग करने के लिये समझाया पर वह नहीं माने,इसी परिवार से पूर्व में संस्था के अन्य ज्योतिमित्र कमलेश दलाल जी भी नेत्रदान करवाने का अनुरोध कर गए थे ।
शोकाकुल परिवार के दोनों बच्चे स्वप्निल व सिद्धार्थ शहर से बाहर थे,साथ ही सुनील जी को रात में थोड़ा कम दिखने की परेशानी के चलते परिजन निर्णय लेने से हिचक रहे थे । घर के लोगों को यह भी शंका थी कि,रात को कम दिखाई देने की समस्या में नेत्रदान भी संभव है या नहीं, इसके बारे में आई बैंक सोसायटी के कोटा चैप्टर के अध्यक्ष डॉ के के कंजोलिया जी से बात की,तो यह बात साफ़ हो गयी कि आँख की इस स्थिति में नेत्रदान संभव है ।
नरेंद्र जैन जी ने पुनः घर व समाज के लोगों के सामने अपील कि,इस नेक कार्य की महत्ता को समझे,नरेन्द्र जी से सारी बात सुनकर दोनों बेटों ने पिता के नेत्रदान की स्वीकृति दे दी ।
कोटा में टीम देवाशीष सिटी का नेत्रदान सम्पन्न करके फ्री होते ही,तुरंत भवानीमंडी के लिए रवाना हो गयी,बहुत जल्द रवाना होने के बाद भी टीम उनके घर पर नहीं पहुँच सकी, पर भवानीमंडी मुक्तिधाम पहुँच गयी,वहाँ अंतिम संस्कार से पहले शहर व समाज के गणमान्य नागरिकों के बीच शाइन इंडिया फाउंडेशन व आई बैंक सोसायटी के बीबीजे चेप्टर के सहयोग से नेत्रदान प्रक्रिया संपन्न हुई।
नेत्रदान के इस नेक कार्य में, ज्योतिमित्र नरेंद्र जैन,कमलेश दलाल,विवेक लोधा का सहयोग रहा। संस्था सदस्यों ने दौड़ भागकर पहली बार इतने कम समय में इतनी दूरी तय करके नेत्रदान लिए है । संस्था सदस्यों को सुकून है कि भले दूरी ज्यादा और समय काफ़ी कम था,परन्तु हमने किसी की आँख को रौशन करने के लिये, मृत आँखों को राख़ होंने से बचा लिया ।

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