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02 दिसंबर 2020

एक गाँधी ,,एक रमेश ,, जो यारों के यार ,,दुश्मनों के दुश्मन , और कोटा में वॉइस टाइपिंग,, यू ट्यूब चेनल्स ,, के साथ ,सोशल मिडिया जर्नलिज़्म को ,, एक नई विधा देने वाले है ,

 एक गाँधी ,,एक रमेश ,, जो यारों के यार ,,दुश्मनों के दुश्मन , और कोटा में वॉइस टाइपिंग,, यू ट्यूब चेनल्स ,,  के साथ ,सोशल मिडिया जर्नलिज़्म को ,,  एक नई विधा देने वाले है , उन्हें  उनकी सालगिरह पर ,, ढेरों शुभकामनाओं से वोह उनके समर्थक ,मित्रों के क़र्ज़दार है , वोह कहते है , मुझे हाड़ोती के पत्रकार साथियों , समाजसेवकों ,, कांग्रेस ,भाजपा से जुड़े नेतृत्व , और आम लोगों से जो प्यार मिला है ,उनका ऋण में चुका पाने में असमर्थ हूँ , लेकिन पत्रकारिता की दुनिया में ,, ब्यूरोक्रेट्स , नोकरशाही ,, सियासी लोगों के भ्रष्टाचार , नाकामयाबी , जनहित में उजागर कर ,,क्षेत्रीय लोगों को इंसाफ दिलाने का  में यथा सम्भव संघर्ष करता रहूँगा ,, सभी को खबर दे , सभी को खबर दे ,,खबर तत्काल यू ट्यूब चैनल , सोशल मीडिया पर अपडेट ,, इधर खबर ,उधर लोगों तक , प्रतिक्रिया के साथ ,खबर को पहुंचाना उनकी ज़िम्मेदारी है ,, रमेश गाँधी ,, मध्य्प्रदेश की सियासत से , तीन दशक पहले कोटा में जब आये तो यहाँ वोह नए थे , लेकिन उन्होंने खुद को एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप स्थापित किया ,, हर वर्ग ,हर समाज ,हर सियासी पार्टी , पत्रकारों के संगठनों , पत्रकारों के मिजाज़ को जाना ,,अफसरशाही का जो पत्रकारिता के साथ गठबंधन का माहौल था ,उस मिथक को तोडा , नेताओं , अफसरों के यहां धड़ल्ले से घुसना ,उनसे खबर निकालना ,, तीखे सवाल करना ,, और फिर आम लोगों तक उन मामलों को पहुंचाना ,, इनके मिजाज़ में रहा , कुछ नाराजगियाँ हुईं , कुछ संघर्ष हुए ,कुछ आरोप प्रत्यारोप लगे ,, लेकिन , रमेश गांधी , एक पत्रकार के रूप में आगे बढ़ते गए  , विवादों को प्यार से निपटाने की कोशिश की , लेकिन जब सर पर ही आगयी ,तो फिर , रेमश गाँधी के रौद्र रूप ने ,, बढे से बढे सूरमाओं के ,,मिजाज़ को ठंडे कर दिए ,, घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया ,,, पत्रकारिता की जब सोशल मीडिया पर एक नई विधा की शुरुआत हुई तो फिर लाइव खबरों से लेकर ,तत्काल खबरों का संसार ,, सोशल मीडिया पर तत्काल अप्डेटेशन इनकी फितरत बन गयी ,, खबरों के मामले में इनका सामाजिक ज्ञान ,अधिकारीयों के साथ ,,एक पत्रकार की तरह बात करने का अंदाज़ , याचक पत्रकारों की नौकरी को धूमिल सा करता नज़र आता है ,,, खुद को बढ़ा  कहने वाले ,,खुद को सो कोल्ड बढ़ा पत्रकार समझने वाले कई लोग उनसे नाराज़ भी रहते है , लेकिन पत्रकारिता की ओरिजनल विधा ,,रमेश गांधी हर बार साबित करके बताते है , वोह कोई भी बढ़ा कार्यक्रम ,हो ,, वी आई पी विज़िट हो ,, मंत्रियों , मुख्यमंत्री की सुनवाई हो , चुनावी सभा ,हो  चुनावी माहौल हो ,वोह सबसे पहले ,सबसे नज़दीक पहुंचकर ,खबर बना लेते है ,, रमेश गाँधी कहते है ,चाय की चुस्की लो और खबर बना लो ,,यथार्थ खबर हो , मालिकों के प्रभाव से अलग हठ कर निष्पक्ष खबर हो , वर्ना , मालिक के कहे इशारे पर , लिखना ,  पत्रकारिता नहीं ,सिर्फ एक नौकरी , समाज ,देश के साथ धोखा है, वोह कहते है इसीलिए अब वोह किसी भी अख़बार में नौकरी नहीं करना चाहते , खुद सोशल मीडिया के माध्यम से ,, लिखित खबरों की पत्रकारिता ,, यू ट्यूब पर लाइव पत्रकारिता के माध्यम से लोगों से जुड़े है ,, इस नयी विधा के साथ उन्हें आम लोगों का , ज़रूरतमंदों का प्यार भी मिला है ,,समर्थन भी मिला है ,,रमेश गाँधी उन सभी के शुक्रगुज़ार भी है ,, रमेश गांधी ,, यारों के यार भी है ,,तो दुश्मनों के दुश्मन भी ,, अगर कोई उनसे दो क़दम बढ़कर दोस्ती की बात करता है ,तो वोह उसके साथ चार क़दम आगे बढ़ कर उसके लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने का हौसला रखते है ,, लेकिन अगर कोई उन पर टेडी नज़र डाले तो फिर , वोह बाबा जी बनकर , उसका कच्चा चिटठा खोलकर ,आमने सामने की लड़ाई के लिए तय्यार रहते है ,, वोह ऐसे लोगों से खूब लड़ते है ,जो उन्हें नुकसान पहुंचाना चाहते है ,, लेकिन अगर वोह लोग फिर शरणम गच्छामि हो जाये , तो पुरानी कड़वाहट भुलाकर फिर से , वोह यारी है मेरा ईमान के नारे के साथ ,ऐसे लोगों के दोस्त बन जाते है ,, एक दिसंबर मंगलवार को , रमेश गांधी के जन्म दिन पर , उन्हें हर वर्ग , हर समाज , की तरफ से जो बधाइयाँ मिली ,जो दुआए मिली , वोह इस प्यार से अभिभूत है ,उन्होंने सभी को धन्यवाद देते हुए ,समाज के प्रति ,,इंसाफ के संघर्ष में , पत्रकारिता के प्रति ,सभी की खबर देने , सभी की खबर लेने , के कर्त्यव हो निभाने के प्रति खुद को संकल्पबध रहने का वचन भी दोहराया है ,,, अख्तर

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