जल्द ही एक दर्द लिखूंगा
बीता है मुझ पर
उस पर बा खूब लिखूंगा
सरहदें मेरे लिए
मायने नहीं रखती
मैं जो भी लिखूंगा
पर सच लिखूंगा
मैं जिसको चाहता हूं
वह मुझे ना चाहे तो भी मैं
यह गुनाह कबूल लिखूंगा
रोके की जिंदगी कब तक मुझे मौत को में आमीन लिखूंगा
मेरा खुद का लिखा हुआ
में रोज़ रोज़ पल पल लिखूंगा,,

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)