गुलाब कटारिया ,अगर प्रतिपक्ष के नेता की , ईमानदारी से भूमिका निभाते तो , कम से कम डी बी गुप्ता , पूर्व मुख्य सचिव , मुख्य सुचना आयुक्त नहीं होते ,, सभी आवेदकों के साक्षात्कार होते ,, क्योंकि , सुचना के अधिकार अधिनियम के विधिक प्रावधानों में ,, समाज सेवा ,,, ,विधि का ज्ञाता ,, पत्रकारिता , सोशल मिडिया सहित कुछ आवश्यक अनुभवों की ,, पाबंदी ऐसी है जो एक सरकारी नौकरशाह सेवा नियमों के तहत , सेवा में रहते कोई भी नौकरशाह नहीं कर सकता ,, ऐसे आवश्यक योग्यताओं के मामले में ,, वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन , अबूबकर नक़वी को , अयोग्य घोषित कर ,राजस्थान उच्च न्यायालय पहले ही बर्खास्त कर ,अपना न्यायिक आदेश जारी कर चुकी है ,, उस वक़्त गुलाब चंद कटारिया की सरकार थी यह गृह मंत्री थे ,, सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्ती से ऐसे पदों पर , नौकरशाहों की नियुक्ति नहीं करने के पूर्व में ही निर्देश दे रखे है ,, क्योंकि सूचना आयुक्त मामले में , नौकरशाहों के खिलाफ ही तो सुनवाई होती है ,, चयन समिति में ,, प्रतिपक्ष नेता के नाते ,,भाजपा के गुलाब कटारिया की सहमति ,, नौकरशाहों को ओहदों पर बिठाने के गठबंधन ही कहा जाएगा ,,, अख्तर

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