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17 नवंबर 2020

गणतंत्र दिवस छब्बीस जनवरी को जन्मे भाई अहमद रईस निज़ामी ,, चाहे उज्जैन नगर निगम में जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में ,सरकार ,नगर निगम , और आम जनता के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करते हों , लेकिन इनकी गज़ले ,इनकी नज़्में , इनके अशआर ,, मोहब्बत , खुलूस , की तरबियत देते है ,

 शिप्रा नदी के किनारे , महाकाल की उज्जैन नगरी ,, विक्रमादित्य ,, कवि कालिदास की नगरी ,, जहां मोहब्बत , प्यार , खुलूस ,, साहित्य संगम की रवानगी है ,, वहीँ , गणतंत्र दिवस छब्बीस जनवरी को जन्मे भाई अहमद रईस निज़ामी ,, चाहे उज्जैन नगर निगम में जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में ,सरकार ,नगर निगम , और आम जनता के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करते हों , लेकिन इनकी गज़ले ,इनकी नज़्में , इनके अशआर ,, मोहब्बत , खुलूस , की तरबियत देते है ,, उर्दू , हिंदी , संस्कृत , अंग्रेजी ज़ुबानों पर इनकी बेहतरीन पकड़ , इन्हे और दूसरे शायरों से बेहतर , अलग , बना देती है ,, यह शायरी के अहमद भी है ,,साहित्य में रईस भी है ,, और अल्फ़ाज़ों से ग़ज़लों के बुनते वक़्त इनका अपना निज़ाम इनके नियंत्रण में होने से ,, यह निज़ामी भी है ,, इसीलिए अहमद रईस निज़ामी , आज देश के ही नहीं ,विश्व के बेहतरीन अंतर्राष्ट्रीय शायरों में , अपनी पुर खुलूस पहचान रखते है ,,, वोह कहते है ,, आओ खो जाते है ,, शिप्रा की रवां लहरों में ,, खुद नहाओ , नहलाओ ,, चलो प्यारे करें ,, प्यार के संदेश को आगे बढ़ाते हुए ,,, रईस निज़ामी कहते है ,, मोहब्बतों के उजाले अभी सलामत हैं ,,जहाँ चाहने वाले भी सलामत है , ,वफ़ा की राख में , काँटों की आगदारी हो ,, हमारे पाँव की अभी सलामती है ,,,, उनकी विनम्रता ,, उनका खुलूस देखिये ,, वोह कहते है ,, मोहब्बतों की रिवायतों का , अमीन बनकर , में आसमानों से मिलता रहा , ज़मींन बनकर ,, , राष्ट्रपभक्ति पर वोह लिखते है ,, वतन पर जाँनिसारी की अदाकारी सलामत है , हमारे खून में अब भी वफादारी सलामत है ,,, वफ़ा की हरारत आज भी मौजूद है उनके गुलामों में ,, यह चौदह सो बरस पहले की चिंगारी सलामत है ,,, रईस निज़ामी कहते है ,, ऐ वतन जिस वक़्त तुझ से बेवफा हो जाएँ हम ,, वोह घडी आने से पहले ही फना हो जाएँ हम ,,बदलते हालातों की रवानगी पर उनका तंज़ है , घट गईं इंसानी क़द्रें ,, खून पानी हो गया ,, परचमे हिंदुस्तान क्या ज़ाफ़रानी हो गया , अजब सवाल है , रईस निज़ामी का हुकूमत से , के हुकूमत तिरंगे की है , क्यों ज़ाफ़रानी प्रबंधन हो गया ,,, रईस निज़ामी मोहब्बत लिखते है ,मोहब्बत बांटते है ,, मोहब्बत जीते है , इनका उज्जैन नगरी , कवि कालिदास का संदेश , महाकाल का प्यार , ,मोहब्बत , एकता का संदेश फैलाने का क्रम लगातार जारी है ,, अहमद रईस निज़ामी ,एक हज़ार से भी ज़्यादा , क़ौमी एकता ,सद्भावना सम्मेलन में अपनी तक़रीर , अपनी गज़ले , अपनी नज़्मे पेश कर , लोगों में क़ौमी एकता का जज़्बा पैदा कर ,, नफरत को खत्म करने के एक डॉक्टर साबित हुए है ,, अपने वालिद स्वर्गीय निजामुद्दीन साहिब ने उन्हें ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया , लेकिन इसी के साथ मोहब्बत का पैगाम ,क़ौमी एकता का परचम पकड़ना भी सिखाया ,, इनके वालिद ने इन्हे , नफरत के खिलाफ प्यार की जंग का एक , जांबाज़ सिपाही बनाया ,, यही वजह रही , के बचपन से ही रईस निज़ामी ने ,, लिखना शुरू किया ,तकरीरें शुरू की , और इनकी तक़रीरों में जो कशिश , जो प्यार , जो रवानगी , जो मनोविज्ञान रहा ,उससे हर कोई शख्स प्रभावित हुए बगैर न रहा सका , पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजेंद्र जेन ने ,इन्हे उज्जैन नगर निगम में जनसम्पर्क अधिकारी के पद की ज़िम्मेदारी दी और यह ज़िम्मेदारी आज भी , रईस निज़ामी अपनी ,अदबी खिदमात के साथ बखूबी निभा रहे है ,,, उज्जैन को पर्यटन नक़्शे पर ज़्यादा से ज़्यादा बेहतर तरीके से कैसे पेश किया जाए , इसके लिए भी उन्होंने एक रिसर्च स्कॉलर बनकर ,बहतरीन काम किया ,,,बी कॉम के बाद उर्दू अदम में कामिल की डिग्री लेकर ,, उर्दू शायरी के यह उस्ताद बने और अंतर्राष्ट्रीय मुशायरों में इनकी फनकारी ,अदाकारी , इनके अल्फ़ाज़ों की वज़नदारी ने इन्हे उस्तादों का उस्ताद बना दिया ,, अब तक छह से अधिक उर्दू अदब के मुताल्लिक़ किताबों का प्रकाशन इनके ज़रिये किया जा चूका है ,, इनकी शायरी में ,, नफरत के खिलाफ मोहब्बत का फलसफा ,, गद्दारों के खिलाफ , राष्ट्रभक्ति का संदेश , गोली ,, बम , टेंक ,तोपों के खिलाफ ,, मोहब्बत की बोली का पैगाम होता है ,, तिरंगे को यह तिरंगा ही रहने देना चाहते है , तिरंगे में यह छत्तीस क़ौमों का इंसाफ , उनका नेतृत्व देखते है ,, आज़ाद हिन्दुस्तान की मोहब्बत , खुलूस ,एकता देखते है इसीलिए तिरंगे को हरे रंग , सेफ्रोन रंग में बदलने की हर कोशिश के यह मुखालिफ होते है ,,, और ,तिरंगा सिर्फ तिरंगा ,राष्ट्रिय झंडा ज़िंदाबाद रहे , इसकी कोशिशों में अपने अल्फ़ाज़ों की रवानगी के साथ हर मंच पर तब्लीग में जुट जाते है ,,, ,अहमद रईस निज़ामी , भारत के हर ,,हर मुशायरे की रूह ऐ रवां ,बनकर सभी नामचीन शायरों के साथ , , अपनी शायरी के जोहर दिखाते रहे है , लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ,लंदन ,, जद्दाह ,दुबई , संयुक्त अरब अमीरात ,रियाध ,बहरीन , मक्का शरीफ सहित क़रीब तेंतीस देशों में इन्होने ,,भारत के तिरंगे ,,क़ौमी एकता के परचम को लहराया है ,,और हर जगह सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ,इक़बाल के इस फलसफे को दोहराते हुए ,सार्थक किया है ,ऐसे लेखक ,ऐसे शायर , ऐसे जनसम्पर्क अधिकारी ,ऐसे क़ौमी एकता के जज़बाकार ,,अदाकार ,साहित्यकार ,भाइ अहमद रईस निज़ामी को मेरा सलाम ,सेल्यूट ,,, उर्दू साहित्य के लिए , देश के लिए ,देश की क़ौमी एकता ,भाईचारा सद्भावना के लिए उनकी शायरी ,उनके प्रकाशित लेख ,पुस्तके , नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जंग में ,एक हथियार बनकर लोगों को हौसला देती है ,यही वजह है ,, के रईस निज़ामी , महाकाल उज्जैन की नगरी से निकल कर कवि कालिदास की इस नगरी को साहित्य की नगरी की एक नयी पहचान देते है ,इनका सम्मान ,दुबई में ,लंदन में ,जद्दाह में , मक्का में , देश के ही नहीं ,विश्व के हर बढे शहर में होता है ,और यह हर जगह , मेरा भारत महान ,, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद , क़ौमी एकता ज़िंदाबाद के साथ ,,पुरस्कृत , सम्मानित होकर ,,भारत माँ की ,, उज्जैन नगरी के क़दमों में इन सभी सम्मानों को रख देते है ,,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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