आपका-अख्तर खान

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20 नवंबर 2020

कुछ गैर ऐसे मिले,

 

कुछ गैर ऐसे मिले,*
*जो मुझे अपना बना गए।*
*कुछ अपने ऐसे निकले,*
*जो गैर का मतलब बता गए।*
*दोनो का शुक्रिया*
*दोनों जिंदगी जीना सीखा गए।*
*रिश्ते बनाना इतना आसान जैसे
*'मिट्टी' पर 'मिट्टी' से "मिट्टी" लिखना....!*
*लेकिन रिश्ते निभाना उतना ही मुश्किल जैसे-*
*'पानी' पर 'पानी' से "पानी" लिखना.....!!*

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