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08 अक्तूबर 2020

अब फैसले पर क्या कहें ,जब , चक्का जाम था ,जब लोग परेशान थे ,तब , अधिकारीयों ने तो बलपूर्वक हटाया नहीं ,और क़ानून ने अपना काम नहीं किया

 अब फैसले पर क्या कहें ,जब , चक्का जाम था ,जब लोग परेशान थे ,तब , अधिकारीयों ने तो बलपूर्वक हटाया नहीं ,और क़ानून ने अपना काम नहीं किया ,, जब रास्ता साफ हो गया ,तब सुप्रीमकोर्ट आदेश दे रही है ,गलत था ,गुर्जर आंदोलन में तोड़फोड़ गलत थी , जाट आंदोलन में तोड़फोड़ गलत थी ,करनी आन्दोलन में तोड़फोड़ गलत थी ,,भारत बंद गैर क़ानूनी असंवैधानिक है , चक्का जाम के लिए क़ानून है ,लेकिन दूसरों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने पर ,अधिकारियो द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने पर अधिकारीयों के खिलाफ विधि की अवज्ञा का मामला दर्ज कर उन्हें जेल क्यों नहीं भेजा जाता , विधि की अवज्ञा मामले में अधिकारीयों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करने की प्रक्रिया का सरलीकरण क्यों नहीं होता ,क्यों उन्हें 197 सी आर पी सी का बचाव देते हो , ऐसे लापरवाह अधिकारीयों के सज़ा सेवा बर्खास्तगी और कमसे कम दस वर्ष की सज़ा अजमानतीय अपराध बना दो ,सब अक़्ल ठिकाने आ जायेगी ,, प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति ,मंत्री ,संतरी सभी के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करवाने की छूट आम जनता को दे दो ,क़ानून के बेरियर जज प्रोटेक्शन एक्ट ,197 सी आर पी सी का बचाव और सभी क़ानून ऍन डी पी एस एक्ट , भ्रस्टाचार अधिनियम ,सहित सभी क़ानूनों में सद्भाविक , और अधिकारीयों के बचाव के अवरोधक हटा दें ,आम आदमी सीधा एफ आई आर किसी के भी खिलाफ करवाने का अधिकार रखे ऐसा क़ानून बना दो ,सब ठीक हो जाएगा ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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