बेशक इसमे भी यक़ीनन बड़ी इबरत है और उनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे (121)
और इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब मेहरबान है (122)
(इसी तरह क़ौम) आद ने पैग़म्बरों को झुठलाया (123)
जब उनके भाई हूद ने उनसे कहा कि तुम ख़ुदा से क्यों नही डरते (124)
मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ (125)
तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो (126)
मै तो तुम से इस (तबलीग़े़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी उजरत तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है (127)
तो क्या तुम ऊँची जगह पर बेकार यादगारे बनाते फिरते हो (128)
और बड़े बड़े महल तामीर करते हो गोया तुम हमेशा (यहीं) रहोगे (129)
और जब तुम (किसी पर) हाथ डालते हो तो सरकशी से हाथ डालते हो (130
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 अक्तूबर 2020
बेशक इसमे भी यक़ीनन बड़ी इबरत है
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