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30 अक्तूबर 2020

क्या जो चीजे़ं यहाँ (दुनिया में) मौजूद है

 (इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया (141)
जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते (142)
मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ (143)
तो खु़दा से डरो और मेरी इताअत करो (144)
और मै तो तुमसे इस (तबलीगे़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है) (145)
क्या जो चीजे़ं यहाँ (दुनिया में) मौजूद है (146)
बाग़ और चष्मे और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है (147)
उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे (148)
और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ़ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो (149)
तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो (150)
और ज़्यादती करने वालों का कहा न मानों (151)
जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते (152)
वह लोग बोले कि तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हो) (153)
तुम भी तो आखि़र हमारे ही ऐसे आदमी हो पस अगर तुम सच्चे हो तो कोई मौजिज़ा हमारे पास ला (दिखाओ) (154)
सालेह ने कहा- यही ऊँटनी (मौजिज़ा) है एक बारी इसके पानी पीने की है और एक मुक़र्रर दिन तुम्हारे पीने का (155)
और इसको कोई तकलीफ़ न पहुँचाना वरना एक बड़े (सख़्त) ज़ोर का अज़ाब तुम्हे ले डालेगा (156)
इस पर भी उन लोगों ने उसके पाँव काट डाले और (उसको मार डाला) फिर ख़़ुद पशेमान हुए (157)
फिर उन्हें अज़ाब ने ले डाला-बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले भी न थे (158)
और इसमें शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और मेहरबान है (159)
इसी तरह लूत की क़ौम ने पैग़म्बरों को झुठलाया (160)

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