ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं (2)
(ऐ रसूल) शायद तुम (इस फिक्र में)अपनी जान हलाक कर डालोगे कि ये (कुफ्फार) मोमिन क्यो नहीं हो जाते (3)
अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाजि़ल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ (4)
और (लोगों का क़ायदा है
कि) जब उनके पास कोई कोई नसीहत की बात ख़ुदा की तरफ़ से आयी तो ये लोग उससे मुँह फेरे बगै़र नहीं रहे (5)
उन लोगों ने झुठलाया ज़रुर तो अनक़रीब ही (उन्हें) इस (अज़ाब) की हक़ीकत मालूम हो जाएगी जिसकी ये लोग हँसी उड़ाया करते थे (6)
क्या इन लोगों ने ज़मीन की तरफ़ भी (ग़ौर से) नहीं देखा कि हमने हर रंग की उम्दा उम्दा चीजे़ं उसमें किस कसरत से उगायी हैं (7)
यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) ख़ुदा की एक बड़ी निशानी है मगर उनमें से अक्सर इमान लाने वाले ही नहीं (8)
और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार यक़ीनन (हर चीज़ पर) ग़ालिब (और) मेहरबान है (9)
(ऐ रसूल वह वक़्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने मूसा को आवाज़ दी कि
(इन) ज़ालिमों फ़िरऔनयों की क़ौम के पास जाओ (हिदायत करो)(10)
क्या ये लोग (मेरे ग़ज़ब से) डरते नहीं है (11)
मूसा ने अर्ज़ कि परवरदिगार मैं डरता हूँ कि (मुबादा) वह लोग मुझे झुठला दे (12)
और (उनके झुठलाने से) मेरा दम रुक जाए और मेरी ज़बान (अच्छी तरह) न चले तो हारुन के पास पैग़ाम भेज दे (कि मेरा साथ दे) (13)
(और इसके अलावा) उनका मेरे सर एक जुर्म भी है (कि मैने एक शख़्स को मार डाला था) (14)
तो मैं डरता हूँ कि (शायद) मुझे ये लाग मार डालें ख़ुदा ने कहा हरगिज़
नहीं अच्छा तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ हम तुम्हारे साथ हैं (15)
और (सारी गुफ्तगू) अच्छी तरह सुनते हैं ग़रज़ तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ
और कह दो कि हम सारे जहाँन के परवरदिगार के रसूल हैं (और पैग़ाम लाएँ हैं)
(16)
कि आप बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए (17)
(चुनान्चे मूसा गए और कहा) फ़िरऔन बोला (मूसा) क्या हमने तुम्हें यहाँ रख
कर बचपने में तुम्हारी परवरिश नहीं की और तुम अपनी उम्र से बरसों हम मे रह
सह चुके हो (18)
और तुम अपना वह काम (ख़ून कि़ब्ती) जो कर गए और तुम (बड़े) नाशुक्रे हो (19)
मूसा ने कहा (हाँ) मैने उस वक़्त उस काम को किया जब मै हालते ग़फलत में था (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 अक्तूबर 2020
यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) ख़ुदा की एक बड़ी निशानी है
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